रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर संघर्ष और नेतृत्व से भरा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक की उनकी यात्रा प्रेरणादायक है। जानिए उनकी सफलता की कहानी!
रेखा गुप्ता का कॉलेज जीवन और छात्र राजनीति
रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से शुरू हुआ। 1995 में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से महासचिव पद जीता और 1996-97 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) की अध्यक्ष बनीं। इस दौरान उन्होंने छात्र अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई और विश्वविद्यालय प्रशासन से कई अहम मुद्दों पर सवाल किए।
रेखा गुप्ता की मुलाकात दौलत राम कॉलेज की प्रिंसिपल से
शनिवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान रॉय ने कहा,
“रेखा गुप्ता हमेशा अपने वादे निभाती हैं। वह छात्रों के लिए प्रेरणा हैं और मेरी शुभकामनाएं हमेशा उनके साथ रहेंगी।”
मुख्यमंत्री ने भी छात्रों को संबोधित करते हुए कहा,
“सिर्फ मैं ही मुख्यमंत्री नहीं बनी हूं, बल्कि आप सभी मुख्यमंत्री बने हैं। यह उपलब्धि पूरे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की है।”
रेखा गुप्ता के छात्र जीवन को कैसे याद करते हैं उनके प्रोफेसर?
दौलत राम कॉलेज में 1992 से 1995 तक पढ़ाने वाली प्रोफेसर इंदु जैन ने कहा,
“रेखा बहुत मजबूत इरादों वाली थीं। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थीं। उनमें नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी, जो अब पूरी दुनिया देख रही है।”
राजनीति में रेखा गुप्ता का सफर
रेखा गुप्ता का राजनीतिक करियर सिर्फ छात्र राजनीति तक सीमित नहीं रहा।
- 2007 में पार्षद बनीं: उत्तर पीतमपुरा से चुनाव जीतकर उन्होंने अपने क्षेत्र में लाइब्रेरी और पार्क जैसी बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दिया।
- NGO की स्थापना: उन्होंने “AAS” नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) शुरू किया, जो समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय है।
- 2023 में महापौर चुनाव लड़ा: हालांकि, उन्हें आम आदमी पार्टी (AAP) की शैली ओबेरॉय के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा।
- 2025 में विधानसभा चुनाव जीता: शालीमार बाग सीट से जीत दर्ज कर उन्होंने दिल्ली विधानसभा में कदम रखा।
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं रेखा गुप्ता
50 वर्षीय रेखा गुप्ता को दिल्ली भाजपा ने वरिष्ठ नेताओं पर तरजीह दी और महिला नेतृत्व को प्राथमिकता दी। 20 फरवरी 2025 को उन्होंने रामलीला मैदान में हजारों समर्थकों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
निष्कर्ष
रेखा गुप्ता की कहानी न केवल एक छात्र नेता से मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि मेहनत और संकल्प से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। उनकी यात्रा युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है और राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाती है।
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