पूर्व भारतीय मुख्य कोच रवि शास्त्री ने मोहम्मद शमी की रिकवरी प्रक्रिया को लेकर बीसीसीआई पर गंभीर आलोचना की है। उन्होंने शमी को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के आखिरी हिस्से में शामिल न करने को एक बड़ी गलती बताया। शास्त्री का मानना है कि अगर शमी टीम में होते तो सीरीज का परिणाम अलग हो सकता था। ऑस्ट्रेलिया ने यह सीरीज 3-1 से जीती, हालांकि भारत ने पहला टेस्ट पर्थ में अपने नाम किया था।
शमी की चोट और संघर्ष
मोहम्मद शमी, जो नवंबर 2023 के वनडे वर्ल्ड कप फाइनल के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर थे, ने नवंबर 2024 में रणजी ट्रॉफी में बंगाल के लिए प्रभावशाली प्रदर्शन किया। उन्होंने मध्य प्रदेश के खिलाफ 43 ओवर फेंके और बाद में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (SMAT) के सभी नौ मैच खेले। इस दौरान उन्होंने अपनी गेंदबाजी का वर्कलोड बढ़ाने का प्रयास किया।
लेकिन मेलबर्न में होने वाले बॉक्सिंग डे टेस्ट से तीन दिन पहले, जब सीरीज 1-1 से बराबरी पर थी, बीसीसीआई ने ऐलान किया कि शमी को बाकी बचे दो टेस्ट के लिए चयन के लिए विचार नहीं किया जाएगा। बीसीसीआई के बयान में कहा गया कि उनकी बाईं घुटने में सूजन है, जो वर्कलोड बढ़ने के कारण हुई है। “उनके घुटने को अभी गेंदबाजी के वर्कलोड के लिए नियंत्रित एक्सपोजर की जरूरत है,” बीसीसीआई ने कहा।
संचार की कमी पर शास्त्री की नाराजगी
रवि शास्त्री ने बीसीसीआई की मेडिकल टीम पर शमी की स्थिति को लेकर स्पष्ट जानकारी न देने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि मीडिया में शमी की चोट को लेकर कैसी-कैसी बातें चल रही थीं। उनकी रिकवरी की स्थिति क्या है? वह एनसीए में कब से बैठे हुए हैं, कोई स्पष्ट जानकारी क्यों नहीं दी जा रही?”
खोया हुआ अवसर
शास्त्री ने कहा कि शमी की गैरमौजूदगी ने भारत के गेंदबाजी आक्रमण पर भारी दबाव डाल दिया, खासकर जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज पर। एक अनुभवी तीसरे तेज गेंदबाज की कमी के कारण भारत अंतिम तीन टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी पर निरंतर दबाव नहीं बना सका।
उन्होंने शमी की रिकवरी के प्रबंधन में की गई गलतियों को उजागर करते हुए कहा, “उनकी क्षमता को देखते हुए, मैं उन्हें ऑस्ट्रेलिया ले जाता। उन्हें टीम के साथ रखता और उनकी रिकवरी पर बारीकी से नजर रखता। ऑस्ट्रेलिया में मौजूद सर्वश्रेष्ठ फिजियो और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद से उनकी स्थिति का मूल्यांकन करता और अगर तीसरे टेस्ट तक वह फिट नहीं होते, तो उन्हें वापस भेज देता। लेकिन मैं उन्हें टीम का हिस्सा बनाए रखता।”
तीसरे तेज गेंदबाज की अहमियत
शास्त्री के मुताबिक, शमी की गैरमौजूदगी से भारत को बड़ा नुकसान हुआ। उनका मानना है कि अगर शमी टीम के साथ होते, तो नेट्स पर गेंदबाजी करने और टीम के माहौल में रहने से उनकी रिकवरी बेहतर होती। “भले ही वह खेलने के लिए फिट न होते, लेकिन टीम के साथ बने रहने से उनकी रिकवरी तेज होती,” शास्त्री ने कहा।
भविष्य के लिए सबक
शास्त्री की आलोचना यह दर्शाती है कि पेशेवर क्रिकेट में स्पष्ट संचार और खिलाड़ियों के प्रबंधन की कुशलता कितनी महत्वपूर्ण है। शमी की चोट को लेकर हुई चूक भारत के मौजूदा रिकवरी प्रबंधन में खामियों को उजागर करती है, जो बड़े टूर्नामेंटों में टीम के प्रदर्शन पर असर डाल सकती है।
शमी को टीम से बाहर रखने और उनकी स्थिति को लेकर अपर्याप्त जानकारी देने के कारण भारत ने न केवल अपने प्रमुख तेज गेंदबाज को खो दिया, बल्कि बाकी गेंदबाजों पर भी असहनीय दबाव डाला। शास्त्री की टिप्पणियां यह याद दिलाती हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए सटीक योजना और बेहतर संचार आवश्यक है।