Thursday, July 17, 2025
Homeराष्ट्रीय समाचारपुणे पोर्शे दुर्घटना: आरोपी को नाबालिग के रूप में माना जाएगा, बाल...

पुणे पोर्शे दुर्घटना: आरोपी को नाबालिग के रूप में माना जाएगा, बाल न्याय बोर्ड का निर्णय

पुणे:
पुणे की काल्याणी नगर में मई 2024 में हुए एक भयानक पोर्शे दुर्घटना मामले में आरोपी 17 वर्षीय युवक को बाल न्याय बोर्ड (JJB) ने नाबालिग माना है। यह दुर्घटना उस समय हुई थी जब युवक शराब के नशे में पोर्शे चला रहा था और उसने दो आईटी पेशेवरों, आनीश अवस्थी और अश्विनी कोष्ठा, को कुचल दिया था।

दुर्घटना का विवरण और आरोपी का बयान

दुर्घटना में दोनों आईटी पेशेवर अपने स्कूटर पर थे और यह घटना सुबह के समय हुई थी। आरोपी युवक ने पुलिस द्वारा की गई जांच के अनुसार, शराब के नशे में कार चलाई, जिसके कारण यह दुखद हादसा हुआ। इसके बाद, आरोपी को गिरफ्तार किया गया और उसे बाल न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया। हालांकि, आरोपी को जमानत दी गई, लेकिन उसे 300 शब्दों का एक निबंध लिखने की शर्त पर जमानत मिली, जिसमें सड़क सुरक्षा के बारे में चेतावनी दी गई थी।

आरोपी की मां की गिरफ्तारी

इस मामले में आरोपी की मां को जून 2024 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने बेटे के शराब सेवन को छिपाने के लिए उसकी रक्त नमूने को बदल दिया था। इसके लिए उसने ₹3 लाख की राशि का भुगतान किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत दी थी, जिससे मामला और भी जटिल हो गया।

प्रोसेक्यूशन और बचाव पक्ष का दृष्टिकोण

इस मामले की सुनवाई के दौरान, विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिराय ने तर्क दिया कि आरोपी नाबालिग को शराब के प्रभाव में गाड़ी चलाते हुए पकड़ा गया था और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 (हत्या का प्रयास नहीं करना) और धारा 467 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि ये अपराध गंभीर अपराध के तहत आते हैं, और आरोपी को वयस्क की तरह परीक्षण होना चाहिए।

बचाव पक्ष के वकील प्रशांत पटिल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि बाल न्याय अधिनियम (JJ Act) का उद्देश्य पुनर्वास और सुधार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ये अपराध अवश्य ही ‘गंभीर’ नहीं माने जा सकते। उनका कहना था कि इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य आरोपी के सुधार की संभावना को देखते हुए उसे वयस्क के रूप में परीक्षण नहीं किया जा सकता।

बाल न्याय बोर्ड का निर्णय

बाल न्याय बोर्ड ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुना और आखिरकार आरोपी को नाबालिग के रूप में ही माना। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी का भविष्य सुधार की ओर मुड़ सकता है और उसे सुधारात्मक उपायों के तहत पुनर्वास का अवसर मिलना चाहिए।

फैसले के बाद का प्रभाव

इस फैसले के बाद, कई लोगों ने बाल न्याय बोर्ड के इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। कुछ का कहना है कि आरोपी ने गंभीर अपराध किया है, जबकि दूसरों का मानना है कि बाल न्याय अधिनियम के तहत उसे सुधार का एक मौका मिलना चाहिए। इस मामले का परिणाम भविष्य में कई अन्य मामलों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments