पोप फ्रांसिस का निधन — चर्च में शोक, दुनिया ने झुकाए सिर
ईस्टर मंडे सुबह 7:35 बजे वैटिकन सिटी से आई यह दुखद खबर पूरी दुनिया को झकझोर गई। 88 वर्ष की उम्र में रोमन कैथोलिक चर्च के आध्यात्मिक प्रमुख पोप फ्रांसिस का निधन हो गया।
वैटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फैरेल ने एक गहन और गंभीर वक्तव्य में कहा:
“आज सुबह 7:35 बजे रोम के धर्माध्यक्ष, फ्रांसिस, परम पिता परमेश्वर के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु और चर्च की सेवा में समर्पित रहा।”
इतिहास रचने वाले पोप
अर्जेंटीना में जन्में जोर्ज मारियो बर्गोलियो, जिन्हें पूरी दुनिया पोप फ्रांसिस के नाम से जानती है, 2013 में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ पोप बने। वे पहले जेसुइट, पहले अमेरिकी और 1200 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे।
उनकी पोपाई के दौरान करुणा, समावेशिता, विनम्रता और पर्यावरण संरक्षण के लिए गहन संवेदनशीलता की छवि दुनिया के सामने उभर कर आई।
असाधारण जीवन का अंत, लेकिन मिशन अमर
पोप फ्रांसिस के स्वास्थ्य संबंधी संघर्ष पिछले कुछ वर्षों से चिंता का विषय बने हुए थे। सांस की तकलीफ से लेकर आंतों की सर्जरी और दोहरी निमोनिया तक, उन्होंने अंतिम समय तक जीवन और कर्तव्य के बीच संतुलन बनाकर चलने का प्रयास किया।
कार्डिनल फैरेल ने कहा,
“ईश्वर की अनंत दयालुता में विश्वास के साथ, हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को सौंपते हैं।”
वेटिकन सुधारों में उनका अमूल्य योगदान
पोप फ्रांसिस ने वैटिकन में कई ऐतिहासिक सुधारों की नींव रखी। चाहे वह वित्तीय पारदर्शिता की दिशा में कदम हो या चर्च में व्याप्त दुराचार के खिलाफ कड़े फैसले — उनके नेतृत्व में चर्च ने साहसिक परिवर्तन देखे।
उनकी ‘लाउडातो सी’ एनसाइक्लिकल ने पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक चेतना जागृत की और जलवायु परिवर्तन पर ठोस कार्रवाई की मांग रखी।
अब आगे क्या?
वैटिकन अब उनके अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट गया है। रोमन कैथोलिक चर्च ‘सेडे वाकांटे’ की स्थिति में प्रवेश कर चुका है। यह वह समय होता है जब पोप की गद्दी रिक्त होती है और नया पोप चुनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स विश्व स्तर पर एकजुट होकर जल्द ही नए पोप का चुनाव करेगा। पोप फ्रांसिस की शिक्षाएं और उनके दिखाए मार्गदर्शन युगों तक लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।
👉 निष्कर्ष:
पोप फ्रांसिस ने दुनिया को करुणा, समावेश और सेवा का असली अर्थ सिखाया। उनका जीवन, उनकी शिक्षाएँ और सुधारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी रहेंगी।