नई दिल्ली | रायसीना डायलॉग 2025
भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी दिनों-दिन गहरी होती जा रही है। इसी कड़ी में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (National Intelligence Director) तुलसी गबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शांति नीति की सराहना करते हुए उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समान बताया। गबार्ड ने यह टिप्पणी रायसीना डायलॉग 2025 में की, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैश्विक नीति संवाद मंचों में से एक है।
गबार्ड, जो इस समय भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं, ने अपने संबोधन में कहा,
“जिस तरह राष्ट्रपति ट्रंप वैश्विक शांति के लिए प्रयासरत हैं, ठीक उसी प्रकार प्रधानमंत्री मोदी भी शांति और स्थिरता के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं।”
‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को लेकर किया बड़ा खुलासा
तुलसी गबार्ड ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को अलगाववाद के रूप में देखना एक गंभीर भूल होगी। उन्होंने इस गलत धारणा को तोड़ते हुए कहा,
“यह मान लेना कि अमेरिका फर्स्ट नीति का मतलब अमेरिका का अन्य देशों से कटाव है, पूरी तरह से गलत है। यह धारणा केवल अज्ञानता और गलतफहमी को दर्शाती है। राष्ट्रपति ट्रंप की मंशा टकराव नहीं, बल्कि शांति, सहयोग और कूटनीतिक मजबूती है। वह एक ऐसे नेता के रूप में अपनी विरासत स्थापित करना चाहते हैं, जो दुनिया को एकजुट कर सके।”
भारत-अमेरिका सहयोग की नई दिशा
गबार्ड ने अपने संबोधन में भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वॉशिंगटन दौरे पर थे, तब राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के साथ साइबर सुरक्षा (Cyber Security) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में सहयोग को एक ऐतिहासिक अवसर बताया था।
“हमारा लक्ष्य केवल रक्षा और सुरक्षा नहीं है, बल्कि नवाचार और तकनीक के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाना है। दोनों देशों के बीच डिजिटल सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी।”
मोदी-ट्रंप की दोस्ती और रणनीतिक संबंध
गबार्ड ने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की व्यक्तिगत मित्रता को भी भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती का आधार बताया। उन्होंने कहा,
“राष्ट्रपति ट्रंप के लिए प्रधानमंत्री मोदी का वॉशिंगटन दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं था, बल्कि यह उनकी व्यक्तिगत मित्रता और दोनों देशों की प्राथमिकताओं को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत था।”
गबार्ड ने यह भी बताया कि ट्रंप प्रशासन और भारत सरकार के बीच लगातार उच्च-स्तरीय बातचीत हो रही है, जिससे रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा रहा है।
“मैं स्वयं इसका गवाह हूं। मेरे राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में नियुक्त होते ही मुझे म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए भेजा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य
गबार्ड के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, रक्षा, तकनीकी और कूटनीतिक सहयोग आने वाले वर्षों में और अधिक मजबूत होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों देश वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए मिलकर कार्य करेंगे।
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने अलोहा की भावना का उल्लेख करते हुए कहा,
“अगर हम सच्ची साझेदारी के साथ काम करें, तो न केवल भारत और अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अधिक शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। यही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। बहुत-बहुत धन्यवाद!”
निष्कर्ष
तुलसी गबार्ड का यह बयान भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है। उनका यह दावा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप दोनों वैश्विक शांति के पक्षधर हैं, इस बात को रेखांकित करता है कि भारत और अमेरिका आने वाले वर्षों में वैश्विक शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाएंगे।
इसके अलावा, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रक्षा सहयोग और कूटनीतिक रिश्तों को नई दिशा देने की मंशा स्पष्ट करती है कि भारत-अमेरिका संबंध अगले दशक में अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचने वाले हैं।
क्या भारत और अमेरिका की यह साझेदारी दुनिया के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगी? यह देखना दिलचस्प होगा!