Thursday, February 20, 2025
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पीएम मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी की बैठक: नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया, बदलाव और विवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार (17 फरवरी) को बैठक कर सेवानिवृत्त होने जा रहे मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार के उत्तराधिकारी की नियुक्ति पर विचार किया। यह पहली बार है जब देश के चुनाव आयोग के प्रमुख की नियुक्ति के लिए एक चयन समिति का गठन किया गया है।

नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव क्यों हुआ और पहले यह कैसे होती थी?

बैठक के दौरान राहुल गांधी ने असहमति पत्र सौंपकर सरकार से आग्रह किया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट नई नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर दायर याचिकाओं पर निर्णय नहीं ले लेता, तब तक नियुक्ति टाल दी जाए। हालांकि, सरकार ने अंतिम निर्णय लेते हुए चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।

पहले मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसे होती थी?

निर्वाचन आयोग तीन सदस्यीय निकाय है, जिसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। सभी आयुक्तों की स्थिति समान होती है, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रधान न्यायाधीश की तरह “प्रथम समान” दर्जा प्राप्त होता है।

पहले, संसद द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए कोई विशेष कानून नहीं था। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते थे। आमतौर पर, कार्यरत मुख्य चुनाव आयुक्त का उत्तराधिकारी वरिष्ठतम चुनाव आयुक्त होता था, जिसकी वरिष्ठता उनकी नियुक्ति की तिथि के आधार पर तय की जाती थी।

वर्तमान आयोग में राजीव कुमार (सीईसी), ग्यानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि ग्यानेश कुमार और संधू दोनों ही 14 मार्च को नियुक्त किए गए थे और वे एक ही बैच (1988 आईएएस) के अधिकारी हैं। ऐसे में वरिष्ठता को लेकर भ्रम की स्थिति बनी। परंपरागत प्रक्रिया के अनुसार, राष्ट्रपति ग्यानेश कुमार को सीईसी नियुक्त कर सकते थे, लेकिन अब मामला इतना सीधा नहीं है।

अब सीईसी की नियुक्ति कैसे होगी?

अब यह प्रक्रिया मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के तहत होगी। इस कानून में सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

इस अधिनियम के तहत:

  • कानून मंत्री (वर्तमान में अर्जुन राम मेघवाल) की अध्यक्षता में एक खोज समिति पहले पांच उम्मीदवारों की सूची तैयार करती है।
  • यह सूची एक चयन समिति को भेजी जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री (पीएम द्वारा नामित) होते हैं।
  • वर्तमान चयन समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं।

चयन समिति की बैठक प्रधानमंत्री कार्यालय, साउथ ब्लॉक में हुई, जहां सीईसी और ईसी के पदों के लिए पांच-पांच नामों की सूची रखी गई। बैठक के दौरान राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक नियुक्ति रोकने की मांग की। हालांकि, सरकार ने अंतिम निर्णय लेते हुए चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। अब राष्ट्रपति चयन समिति की सिफारिश के आधार पर नए सीईसी और ईसी की नियुक्ति करेंगे।

क्या नया कानून वरिष्ठता को अनिवार्य बनाता है?

नहीं। यह अधिनियम सरकार को चयन प्रक्रिया में अधिक स्वतंत्रता देता है। हालांकि ग्यानेश कुमार का नाम सूची में था, फिर भी सरकार अन्य योग्य व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है।

क्या अधिनियम पात्रता मानदंड भी निर्धारित करता है?
पहले सरकार आमतौर पर वरिष्ठ नौकरशाहों को चुनाव आयोग में नियुक्त करती थी। अब अधिनियम स्पष्ट रूप से यह निर्धारित करता है कि सीईसी और ईसी उन्हीं व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाएंगे जिन्होंने भारत सरकार में सचिव स्तर का पद धारण किया हो और चुनाव प्रबंधन का अनुभव रखते हों।

इसके अलावा, अधिनियम यह भी स्पष्ट करता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को दोबारा नियुक्ति नहीं मिलेगी। यदि कोई चुनाव आयुक्त सीईसी बनता है, तो उसका कुल कार्यकाल छह वर्ष से अधिक नहीं हो सकता।

नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव क्यों किया गया?

यह अधिनियम सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अस्तित्व में आया। 2015 से 2022 के बीच केंद्र सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गईं।

मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि सीईसी और ईसी की नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जानी चाहिए, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश शामिल हों। हालांकि, सरकार ने संसद में नया विधेयक पारित कर प्रधान न्यायाधीश की जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया।

क्या चयन समिति का निर्णय अंतिम होगा?

नहीं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी गई है। Association for Democratic Reforms ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर प्रधान न्यायाधीश को चयन समिति से हटाने के प्रावधान को असंवैधानिक बताया है।

सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या संसद को संविधान पीठ के निर्णय को कानून के जरिए बदलने का अधिकार है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति से पहले सुनवाई की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे 19 फरवरी को सूचीबद्ध किया। जस्टिस सूर्यकांत ने यह आश्वासन दिया कि अदालत के फैसले का प्रभाव नियुक्तियों पर भी पड़ेगा, भले ही वे पहले हो चुकी हों।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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