श्रीनगर, 23 अप्रैल — दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में स्थित बैसारन घाटी में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस भयावह वारदात में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। इस मर्मांतक घटना में 17 अन्य घायल हुए हैं।
यह बीते लगभग दो दशकों में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला है। इससे पहले 2008 में मुंबई में ऐसा रक्तरंजित मंजर देखा गया था। घाटी में पिछले कुछ वर्षों से बहाल होती शांति और पर्यटन की बढ़ती चहल-पहल को इस हमले ने बड़ा झटका दिया है।
मोदी सरकार ने दी कड़ी कार्यवाही की चेतावनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी के कारण सऊदी अरब की अपनी द्विदिवसीय यात्रा बीच में छोड़ दी और बुधवार सुबह नई दिल्ली लौटे। एयरपोर्ट पर ही उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, विदेश मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपात बैठक की। इसके साथ ही 12:30 GMT पर एक विशेष सुरक्षा कैबिनेट मीटिंग भी बुलाई गई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त लहजे में कहा, “हम उन लोगों तक जरूर पहुंचेंगे जिन्होंने इस हमले को अंजाम दिया है और उन साजिशकर्ताओं को भी बेनकाब करेंगे जो पर्दे के पीछे बैठकर भारत की ज़मीन पर खून-खराबा करने की साज़िश रचते हैं।” उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस हमले का स्पष्ट, तीखा और प्रभावी उत्तर जल्द ही दिया जाएगा।
आतंकी संगठन ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ ने ली जिम्मेदारी
हमले के पीछे ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ नामक एक अज्ञात आतंकी संगठन का हाथ बताया जा रहा है। इस संगठन ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उसने यह हमला इसलिए किया क्योंकि घाटी में 85,000 से अधिक बाहरी लोगों को बसाया जा रहा है जिससे जनसंख्या का अनुपात बदला जा रहा है।
एक और बयान में इस संगठन ने दावा किया कि जिन लोगों को निशाना बनाया गया, वे आम पर्यटक नहीं थे बल्कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े ‘खुफिया शोधकर्ता’ थे। उनका कहना है कि यह हमला दिल्ली की रणनीति के खिलाफ चेतावनी है।
सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई
हमले के बाद सुरक्षा बलों ने पहलगाम क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया। सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी कर जंगलों में संभावित आतंकियों की तलाश शुरू की। करीब 100 संदिग्धों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने चार संदिग्धों में से तीन के स्केच भी जारी किए हैं। एक आतंकी के पास बॉडी कैमरा भी था।
हमले के समय घाटी में लगभग 1,000 पर्यटक और 300 स्थानीय सेवा प्रदाता मौजूद थे।
घाटी में विरोध और बंद
हमले के खिलाफ दर्जनों स्थानीय संगठनों ने कश्मीर में बंद का आह्वान किया। स्कूलों ने कक्षाएं स्थगित कर दीं और बाजार पूरी तरह बंद रहे। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने “निर्दोषों की हत्या बंद करो” और “पर्यटक हमारी जान हैं” जैसे नारे लगाए।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, “हम शर्मिंदा हैं। कश्मीर शर्मिंदा है। हम इस संकट की घड़ी में पूरे देश के साथ खड़े हैं।”
पर्यटकों का पलायन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
हमले के बाद श्रीनगर एयरपोर्ट से अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था की गई क्योंकि पर्यटक तेजी से घाटी छोड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि श्रीनगर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला मुख्य राजमार्ग, जो हाल ही में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुआ था, एकतरफा ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया है।
स्थानीय ट्रैवल एजेंसियों के अनुसार, ग्रीष्मकालीन सीजन के लिए कई बुकिंग्स रद्द हो रही हैं। हालांकि ट्रैवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की कश्मीर इकाई ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि “हम कश्मीर यात्रा को बढ़ावा देते रहेंगे और भय व अव्यवस्था फैलाने की साजिशों के खिलाफ डटकर खड़े रहेंगे।”
2019 के बाद की पृष्ठभूमि
कश्मीर में 1989 से चल रही आतंकवादी हिंसा में हजारों लोग मारे गए हैं, हालांकि हाल के वर्षों में हिंसा में गिरावट आई थी। 2019 में भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित कर दिया था। इससे बाहरी लोगों को यहां भूमि खरीदने और नौकरी पाने के अधिकार मिल गए थे, जिसे पाकिस्तान और अलगाववादी समूहों ने जनसांख्यिकी बदलने का प्रयास बताया।
इस घटनाक्रम ने भारत-पाक संबंधों में एक बार फिर तनाव ला दिया है। पाकिस्तान ने इस हमले पर खेद जताते हुए कहा कि वह पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता है।