Tuesday, July 1, 2025
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ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा बनना नहीं देता घरेलू अत्याचार में छूट: SC की स्पष्टीकरण

🔍 समाचार की पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ — एक विशिष्ट सैन्य अभियान — में भाग लेने से किसी को घरेलू अत्याचार या दहेज हत्या जैसे अपराधों में छूट नहीं मिलती। यह टिप्पणी उस व्यक्ति, बलजींदर सिंह के मामले में सुनवाई के दौरान आई, जो कि अपनी पत्नी की हत्या (दहेज मृत्यु) का दोषी पाया गया है और अभी भी रिहाई के लिए कोर्ट से छूट की मांग कर रहा है।

🧑‍⚖️ मामला और सुनवाई का सारांश

  • अदालत ने रिहाई से इनकार किया: सुप्रीम कोर्ट ने वित्तीय अपराध के दोषी को रिहाई से छूट देने से इनकार कर दिया।

  • आपीली सुनवाई: यह अपील पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दे रही थी, जिसने सजा को बरकरार रखा था।

  • सैन्य सेवा का दावा: वकील विकास चौधरी ने बताया कि बलजींदर का दावा था—”मैं पिछले 20 वर्ष से सेंध सीमा कमांडो रहा हूं, ऑपरेशन सिंदूर में भी शामिल रहा।”

  • न्यायाधीशों का जवाब:

    “सीधे घर में पत्नी की हत्या करना सैन्य सेवा से छिपा नहीं जा सकता”
    — इन्होंने बलजींदर की सैन्य उपलब्धियों को मानते हुए यह स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा पर उसका अमली असर इसी बात से समझा जा सकता है कि वह पूरी शारीरिक क्षमता में था।

📝 सजा का विवरण

  • आरोपी: बलजींदर सिंह

  • निर्णय: दहेज हत्या (धारा 304‑B, IPC)

  • मृतक: आरोप के अनुसार लड़के की शादी के दो साल में ही उसकी पत्नी की हत्या कर दी गई।

  • निर्णय वर्ष: जुलाई 2004 में अमृतसर की एक ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाया।

⚠️ न्यायालय की टिप्पणी

  • अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में छूट देना ‘अनुचित’ होगा।

  • हालांकि कोर्ट ने आपील पर सुनवाई जारी रखते हुए मामले में छह सप्ताह में उत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया।

🧭 महत्व और जानने योग्य बातें

  1. सैन्य सेवा निजी अपराधों में छूट नहीं लाती – सार्वजनिक सेवा और निजी कृत्य अलग माने जाएंगे।

  2. न्याय का निर्भिक ढांचा: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा जैसे मामलों में सर्वश्रेष्ठ सिविल और सैन्य पृष्ठभूमि भी रक्षा का आधार नहीं बन सकती।

  3. दहेज हत्या (Section 304‑B): यह भारतीय दंड संहिता की एक गंभीर धारणा है, जिसे सजा से बचने में किसी प्रकार की कोई छूट नहीं होगी।

निष्कर्ष

यह निर्णय न केवल बलजींदर सिंह के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे देश के लिए संदेश है — किसी भी व्यक्ति की सामाजिक या सैन्य सेवा उसकी कानूनी जिम्मेदारियों को कम नहीं कर सकती। यह न्याय के समक्ष सभी को समान जवाबदेह की आवश्यकता को फिर से रेखांकित करता है।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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