गुलियन वेरी सिंड्रोम अब जबकि इस बीमारी से एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है ऐसे में लोगों के मन में इस बीमारी से एक दहशत बैठ गई है जानते हैं क्या है यह गुलियन बैरी सिंड्रोम और कैसे इस बीमारी से बचा जा सकता है।
क्या है गुलियन बैरी सिंड्रोम
गुलियन बैरी सिंड्रोम जीबीएस एक पोस्ट इनफेक्टेड न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो कि पहले मांस खाने से लोगों को होती थी। मुर्गी का कच्चा या अधपका मांस खाने से लोगों को जीबीएस होती थी। इस बीमारी का कारण एक बैक्टीरिया है जो कि पेट के इन्फेक्शन की वजह बनता है यह बैक्टीरिया कैंम्पिलोबेक्टर जेजूनी है। यह बैक्टीरिया व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है तो आईए जानते हैं क्या है यह बीमारी के लक्षण और कैसे इस बीमारी से बचा जा सकता है
क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का अपना इम्यून सिस्टम ही अपनी ही नर्व सेल्स को नुकसान पहुंचाने लगता है।हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार इस बीमारी से बचने के लिए आपको बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए।
कैसे यह बैक्टीरिया हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है
जीबीएस नामक बीमारी एक बैक्टीरिया कैंम्पिलोबेक्टर जेजूनी के कारण होती है यह बैक्टीरिया पेट में इन्फेक्शन करता है। यह पेट इम्यूनिटी को कमजोर करता है। और हमारा इम्यून सिस्टम ही हमारी नर्व सेल्स को कमजोर करने का काम करने लगता है। हमारा इम्यून सिस्टम हमारी नर्व सेल्स को खाने लगता है। शुरुआत हमारे शरीर में झनझनाहट से होती है हमें अपने हाथ पैरों में चीटियां से चलती भी महसूस होती है उंगलियों के पोरों में झनझनाहट महसूस होती है फिर हमारी उंगलियां सुन्न होना शुरू होती है। फिर हमारे हाथ पैर सुन्न होने लगते हैं। बाद में हमारे हाथ पैर काम करना बंद कर देते हैं। पुणे में दो-तीन दिन में ही मरीज वेंटिलेटर पर पहुंच चुके हैं। परिस्थितियों को देखते हुए लगता है कि जैसे ही आपको कमजोरी महसूस हो तुरंत ही हॉस्पिटल जाना चाहिए ताकि आपके शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया निकल जा सके और आपका इम्यून सिस्टम तेजी से रिकवर हो सके।
एक हफ्ते के बाद इस बीमारी का इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। एक तरीके से यह बीमारी लाइलाज हो जाती है।
क्या-क्या ना खाएं और क्यों
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार हमें कच्चा और अधपका मांस नहीं खाना चाहिए। ऐसे में वेजीटेरियन लोग सोचेंगे कि हमें तो इस बीमारी का बिल्कुल भी खतरा नहीं है पर ऐसा नहीं है यह बैक्टीरिया जल्दी खराब होने वाली चीजों में पनप सकता है। जैसे चावल, चीज और पनीर। ये ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम लंबे समय तक रख लेते हैं या हम किसी होटल में खाना खाने जाते हैं तो वहां पर काफी समय पहले से ही इन चीजों को फ्रिज में रखा होता है। इसलिए कोशिश करें कि आप बाहर का खाना ना खाएं। अगर बाहर का खाना खा रहे हैं तो भी चावल, पनीर और चीज खाने से बचे अगर मांस खा रहे हैं तो अच्छी तरह से पका हुआ और ताजा ही खायें। लंबे समय तक रखा हुआ कोई भी भोजन न खाएं। जिन भोजन में नमी की मात्रा अधिक होती है ऐसे भोजन में बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं। डेरी प्रोडक्ट को अगर हम ढंग से स्टोर नहीं करते तो इनमें बैक्टीरिया पनपने की ज्यादा संभावना होती है। हम 40 डिग्री से 140 डिग्री फारेनहाइट के बीच में या चार डिग्री सेल्सियस से -60°c के बीच में रखा हुआ भोजन खा सकते हैं।आप फ्रिज में रखा हुआ भोजन भी खा सकते हैं। इससे बीमारी का खतरा कम होता है पर ध्यान रखें वह एक या दो दिन से ज्यादा बासी ना हो।
क्या है इस बीमारी के लक्षण
हाथ और पैरों में आती है झनझनाहट
आपके हाथों पैरों की उंगलियां सुन्न होना शुरू हो जाती है। कुछ समय बाद आपके हाथ पैर काम करना बंद कर देते हैं।
शरीर के अनेक अंगों में एक साथ पक्षाघात शुरू हो जाता है
शरीर के अनेक अंगों, हाथ, पैर, चेहरे की मासंपेशियां काम करना बंद कर देती है। जिसके कारण लकवा या पक्षाघात का असर हो जाता है।
सांस लेने में कठिनाई
छाती की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है रेस्पिरेट्री ऑर्गन फेल होने लगते हैं। व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।