Monday, March 31, 2025
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उत्तर भारत हमें द्वितीय श्रेणी नागरिक बना देगा: तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी की परिसीमन पर चेतावनी

लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाने के केंद्र के फैसले का विरोध

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को एक बार फिर जनसंख्या-आधारित परिसीमन का विरोध जताया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि यह प्रक्रिया पूरी की जाती है, तो दक्षिण भारत “अपनी राजनीतिक आवाज़ खो देगा।”

रेड्डी ने चेन्नई में परिसीमन पर आयोजित जॉइंट एक्शन कमेटी की बैठक में कहा, “यदि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया गया, तो उत्तर हमें द्वितीय श्रेणी नागरिक बना देगा। अगर बीजेपी ने जनसंख्या को आधार मानकर परिसीमन किया, तो दक्षिण भारत की राजनीतिक शक्ति कम हो जाएगी। दक्षिण भारत इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।”

उन्होंने केंद्र सरकार से यह मांग की कि लोकसभा सीटों की संख्या में वृद्धि न की जाए।

जनसंख्या नीति और विकास के असमान वितरण पर सवाल

रेड्डी ने कहा कि “देश के सामने एक बड़ा संकट है। बीजेपी जनसांख्यिकीय दंड (Demographic Penalty) की नीति अपना रही है। 1971 के बाद जब भारत ने परिवार नियोजन को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में अपनाया, तब दक्षिण भारत ने इस दिशा में बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन उत्तर भारत के बड़े राज्य इसमें असफल रहे।”

उन्होंने आगे कहा कि “हमने (दक्षिण भारत) सबसे तेज़ी से आर्थिक प्रगति हासिल की, उच्च जीडीपी, प्रति व्यक्ति आय, रोज़गार के अधिक अवसर, बेहतरीन सामाजिक कल्याण और बेहतर विकास किया। लेकिन कर राजस्व के वितरण में हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है।”

रेड्डी ने आँकड़ों के माध्यम से बताया कि “तमिलनाडु द्वारा दिए गए 1 रुपये के कर पर उसे केवल 6 पैसे वापस मिलते हैं, कर्नाटक को 16 पैसे, तेलंगाना को 42 पैसे, और केरल को 49 पैसे मिलते हैं। जबकि बिहार को 1 रुपये के कर पर 6.6 रुपये, उत्तर प्रदेश को 2.2 रुपये और मध्य प्रदेश को 1.73 रुपये वापस मिलते हैं।

हम एक देश के रूप में एकजुट हैं और हम इसका सम्मान करते हैं, लेकिन हम इस प्रस्तावित परिसीमन को स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि यह हमारी राजनीतिक स्थिति को सीमित कर देगा।”

अगली बैठक हैदराबाद में होगी: एम.के. स्टालिन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने घोषणा की कि परिसीमन पर अगली बैठक हैदराबाद में आयोजित की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर कानूनी कदम उठाने की भी संभावना है।

उन्होंने कहा, “हम परिसीमन के विरोध में नहीं हैं, लेकिन हम निष्पक्ष परिसीमन की माँग कर रहे हैं। हमें अपने अधिकारों को स्थापित करने के लिए निरंतर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।”

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की प्रतिक्रिया

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस परिसीमन योजना को “दमोसल की तलवार” करार दिया और आरोप लगाया कि “बीजेपी सरकार इस मुद्दे पर बिना किसी चर्चा के आगे बढ़ रही है।” उन्होंने कहा कि इस निर्णय से दक्षिण भारत की राजनीतिक स्थिति कमजोर होगी और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

परिसीमन पर दक्षिण भारत की एकजुटता

इस बैठक के दौरान दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों के नेताओं ने एक साथ मिलकर इस प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि “यदि यह योजना लागू की जाती है, तो इससे दक्षिण भारत की राजनीतिक स्थिति को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।”

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, स्टालिन और विजयन ने केंद्र सरकार से परिसीमन के इस प्रस्ताव को वापस लेने की माँग की। साथ ही, कानूनी और राजनीतिक स्तर पर इस फैसले का विरोध करने का संकल्प लिया।

निष्कर्ष

परिसीमन के मुद्दे ने दक्षिण और उत्तर भारत के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है। दक्षिण भारत की सरकारें इसे अपने राजनीतिक अधिकारों का हनन मान रही हैं और इस पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है और विपक्षी दल इस मुद्दे को किस तरह से आगे बढ़ाते हैं।

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