मुंबई – सोमवार सुबह वर्ली सी फेस के पास स्थित आचार्य अत्रे चौक मेट्रो स्टेशन पर जब लोग पहुंचे, तो उनके होश उड़ गए। स्टेशन की पूरी परिधि पानी में डूबी हुई थी। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (MMRCL) द्वारा ‘एक्वा लाइन’ नाम देना शायद अब उन्हें भारी पड़ रहा है, क्योंकि ये लाइन अब अपने नाम को हू-ब-हू चरितार्थ कर रही है — पानी ही पानी।
पहली बारिश में ही बह गई तकनीकी तैयारी
एक्वा लाइन की अधिकांश संरचना ज़मीन के नीचे है। लेकिन बारिश की पहली ही बौछार ने उसकी जलरोधक तैयारियों की पोल खोल दी।
आचार्य अत्रे चौक स्टेशन पर पानी इस तरह से घुसा जैसे कोई नदी अपने किनारे तोड़कर बाढ़ ला रही हो। सीढ़ियों और ऑटोमेटिक लिफ्टों से पानी अंदर आ रहा था।
ट्रेन सेवाएं कुछ घंटों तक बाधित रहीं। मीडिया कवरेज के लिए पहुंचे पत्रकारों को सुरक्षा कर्मियों ने बाहर निकाल दिया, लेकिन यात्रियों द्वारा शूट किए गए वीडियो चंद मिनटों में सोशल मीडिया पर तैरने लगे।
उद्घाटन को बीते थे सिर्फ़ 15 दिन
10 मई को बड़े धूमधाम से इस स्टेशन का उद्घाटन हुआ था। यह सेवा पहले SEEPZ से BKC तक सीमित थी, जिसे अब आचार्य चौक तक बढ़ाया गया था। अगले कुछ महीनों में इसे कफ परेड तक विस्तार दिया जाना प्रस्तावित है। ये मुंबई की तीसरी मेट्रो लाइन है, जो संचालन में आई है।
ठाकरे का हमला: “मई में ही मुंबई डूब गई!”
शिवसेना (UBT) नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने राज्य सरकार पर करारा हमला किया।
“महाराष्ट्र में सरकार नाम की कोई चीज़ दिख नहीं रही। मई में ही मुंबई जलमग्न है।”
ठाकरे ने याद दिलाया कि MVA सरकार के दौरान जहां-जहां जलभराव होता था, वहां समाधान निकाला गया था। लेकिन आज वही जगहें फिर से डूबी पड़ी हैं।
आरे कार शेड विवाद भी आया याद
ठाकरे ने 2019 में एक्वा लाइन प्रोजेक्ट के तहत आरे वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का भी विरोध किया था। तब बीजेपी और शिवसेना की सरकार गठबंधन में थी। प्रदर्शनकारियों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिन्हें उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद हटा लिया गया था।
RTI कार्यकर्ता का तीखा प्रहार
RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली ने निर्माण से जुड़े अफसरों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि योजना में भारी बारिश के प्रावधान ही नहीं थे, और न ही ठोस ड्रेनेज सिस्टम बनाया गया।
“ये घटना निर्माण गुणवत्ता, निगरानी व्यवस्था और जनता के पैसों की बर्बादी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।”
उन्होंने MMRCL से नुकसान की भरपाई ठेकेदारों से करने की मांग भी की।
MMRCL का स्पष्टीकरण: “अचानक हुई तेज़ बारिश”
MMRCL प्रमुख अश्विनी भिड़े ने बयान में कहा कि पानी एक निर्माणाधीन द्वार से अंदर आया। एक अस्थायी जलरोधक दीवार पानी को रोक नहीं पाई। उन्होंने आश्वासन दिया कि बहाली कार्य जारी है।
क्या मुंबई में भूमिगत मेट्रो व्यावहारिक है?
मुंबई की भौगोलिक स्थिति कोकण क्षेत्र में आती है, जो देश में सबसे ज्यादा बारिश प्राप्त करता है। 26 जुलाई 2005 की बाढ़ और 2017 की बारिश जैसे हादसे मुंबई की स्मृति में आज भी ताज़ा हैं।
ऐसे शहर में भूमिगत मेट्रो बनाना कितना व्यवहार्य और टिकाऊ है, ये सवाल अब ज़ोर पकड़ रहा है।
एक्वा लाइन, मुंबई की एकमात्र पूरी भूमिगत मेट्रो लाइन है, जिसके कई स्टेशन निचले इलाकों में बने हैं। BKC स्टेशन, सीधे मिठी नदी के किनारे है — वही नदी जो 2005 में पूरे शहर को पंगु कर चुकी थी।
निष्कर्ष:
मुंबई की नई मेट्रो लाइन ने जहां आधुनिकता का वादा किया था, वहीं अब वो विफल योजना और प्रशासनिक लापरवाही की मिसाल बनती जा रही है। पहली ही बारिश ने जो चित्र खींचा है, वो सिर्फ़ एक स्टेशन की तस्वीर नहीं — बल्कि शहरी योजना की नब्ज़ पर उठते सवालों की तस्वीर है।