पुराना योद्धा एक बार फिर मोर्चे पर
आईपीएल 2025 में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) का अगला मुकाबला शुक्रवार को कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के खिलाफ चेपक स्टेडियम में होना है। लेकिन इस मैच की सबसे बड़ी ख़बर मैदान पर उतरने वाले 11 खिलाड़ियों से नहीं, बल्कि डगआउट से जुड़ी है — एमएस धोनी एक बार फिर सीएसके की कप्तानी करते नजर आएंगे।
पांच बार की चैंपियन सीएसके इस सीज़न में बेहद खराब स्थिति में है। टीम ने अब तक खेले गए पांच में से चार मैच गंवा दिए हैं और दस टीमों की लीग में नौवें पायदान पर है। इससे भी बड़ी चिंता यह कि नियमित कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ अब चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर हो चुके हैं।
गायकवाड़ की चोट और कप्तानी में बदलाव
गायकवाड़ ने आईपीएल 2024 से पहले धोनी से कप्तानी की कमान संभाली थी और धीरे-धीरे अपनी लय पकड़ रहे थे। लेकिन 30 मार्च को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मुकाबले में जोफ्रा आर्चर की शॉर्ट बॉल उनके कोहनी पर लगी और हालात बिगड़ गए। दर्द के बावजूद उन्होंने दिल्ली कैपिटल्स और पंजाब किंग्स के खिलाफ मैच खेले, लेकिन दर्द असहनीय होता गया।
सीएसके कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने जानकारी दी कि जब सूजन कम हुई, तब MRI कराया गया और उसमें कोहनी की ‘रेडियल नेक’ में फ्रैक्चर सामने आया। “वह दर्द सहकर खेलते रहे, लेकिन अब वे टूर्नामेंट से बाहर हैं,” फ्लेमिंग ने बताया।
संकट में संजीवनी बने धोनी
ऐसे वक्त में एक बार फिर सीएसके को थामा है उस कप्तान ने जिसने टीम को उसकी पहचान दी — महेंद्र सिंह धोनी। 2008 से 2023 तक कप्तानी करते हुए धोनी ने चेन्नई को पांच आईपीएल खिताब दिलवाए और एक क्रिकेटिंग ब्रांड में तब्दील कर दिया।
कोच फ्लेमिंग ने बताया, “धोनी ने दोबारा कप्तानी संभालने में कोई हिचक नहीं दिखाई। वह हमेशा टीम की जरूरत के समय आगे आते हैं।” उम्र भले ही बढ़ गई हो, लेकिन धोनी का रणनीतिक दिमाग आज भी वैसा ही तेज़ है जैसा अपने स्वर्णिम दौर में था।
टीम में फेरबदल की तैयारी
सीएसके की सबसे बड़ी समस्या इस वक्त उनका बल्लेबाजी क्रम है। गायकवाड़ को छोड़कर कोई बल्लेबाज स्थिरता नहीं दिखा पाया है। शीर्ष क्रम में अस्थिरता और मध्यक्रम की नाकामी ने टीम को लगातार हार की कगार पर ला खड़ा किया है।
राहुल त्रिपाठी को एक बार फिर शीर्ष क्रम में मौका मिल सकता है, हालांकि अब तक के प्रदर्शन में वे सहज नहीं दिखे हैं। वहीं, मंझे हुए खिलाड़ी दीपक हुड्डा को मध्यक्रम में उतारा जा सकता है ताकि अनुभव और स्थायित्व दोनों मिल सके।
सीएसके इस बार दिल्ली के युवा पावर-हिटर वंश बेदी को आज़मा सकती है, जिनमें लंबे छक्के लगाने की काबिलियत है। साथ ही मुंबई के किशोर आयुष म्हात्रे को इम्पैक्ट प्लेयर के रूप में लाया जा सकता है।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण: भविष्य की बुनियाद
कोच फ्लेमिंग ने यह भी संकेत दिए कि टीम मौजूदा संकट को भविष्य के निर्माण के अवसर के रूप में देख रही है। “हम स्क्वाड के भीतर से विकल्प देखेंगे। जो खिलाड़ी हमारे साथ लंबे समय से हैं, उन्हें अब जिम्मेदारी लेनी होगी,” उन्होंने कहा।
यह सीएसके की परंपरा रही है — संकट में समाधान खोजना और भविष्य के सितारे गढ़ना।
शुक्रवार का मुकाबला: उम्मीद बनाम हकीकत
केकेआर के खिलाफ शुक्रवार का मुकाबला सिर्फ दो अंकों के लिए नहीं, बल्कि टीम की आत्मा को बचाने की लड़ाई है। एक हार और सीज़न लगभग हाथ से निकल जाएगा। और ऐसे वक्त में टीम को संभालने वाला कोई और नहीं, बल्कि वही चेहरा है जिसने टीम को शिखर तक पहुंचाया था।
अब सवाल यह नहीं है कि धोनी क्या कर सकते हैं, बल्कि यह है — क्या वह फिर से कर सकते हैं?
निष्कर्ष: क्या फिर से लिखी जाएगी एक नई कहानी?
यह वापसी किसी योजना का हिस्सा नहीं थी, न ही कोई विदाई सीज़न का रोमांटिक किस्सा। यह एक मजबूरी में आया हुआ निर्णय है। लेकिन शायद यहीं धोनी की असली खूबी है — जब वक्त सबसे कठिन हो, वह सबसे शांत रहते हैं।
कप्तान धोनी एक बार फिर मैदान में हैं, चेन्नई की उम्मीदों की कमान थामे हुए। क्या वह इस बार भी टीम को गर्त से निकालकर शिखर की ओर ले जा पाएंगे? यह तो वक्त ही बताएगा — लेकिन शुक्रवार से इसकी शुरुआत हो सकती है।