भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एक बार फिर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए हैं। इस बार उन्हें रमजान के दौरान रोजा न रखने को लेकर ट्रोल किया जा रहा है। हालांकि, शमी ने इस मामले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह मुद्दा काफी गर्माया हुआ है।
निष्कर्ष
मोहम्मद शमी को रमजान में रोजा न रखने पर ट्रोल किया जा रहा है, लेकिन यह पूरी तरह से उनका व्यक्तिगत निर्णय है। सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे पर अलग-अलग राय दे रहे हैं, लेकिन अंततः यह शमी का निजी मामला है। क्रिकेट प्रेमियों को उनके खेल पर ध्यान देना चाहिए, न कि उनके निजी जीवन पर।
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की वजह
रमजान का पवित्र महीना शुरू होते ही दुनियाभर के मुसलमान रोजा रखते हैं। ऐसे में फैंस को उम्मीद थी कि मोहम्मद शमी भी रोजा रखेंगे, लेकिन जब उनकी कुछ तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आईं, जिनमें वे सामान्य जीवन व्यतीत करते नजर आए, तो कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया।
फैंस के मिले-जुले रिएक्शंस
कुछ लोगों ने शमी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक मुस्लिम होने के नाते उन्हें रमजान के नियमों का पालन करना चाहिए। वहीं, कई लोग शमी के समर्थन में भी उतरे और कहा कि धार्मिक मान्यताओं को लेकर किसी पर जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि रोजा रखना पूरी तरह से व्यक्तिगत निर्णय है और किसी को भी इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
पहले भी ट्रोल हो चुके हैं मोहम्मद शमी
यह पहली बार नहीं है जब मोहम्मद शमी को धार्मिक मुद्दों पर ट्रोल किया गया हो। इससे पहले भी कई बार उनकी निजी जिंदगी को लेकर सवाल उठाए गए हैं। खासकर जब उनकी पत्नी हसीन जहां के साथ उनका विवाद सामने आया था, तब भी उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
क्रिकेट करियर पर फोकस कर रहे हैं शमी
ट्रोलिंग के बावजूद मोहम्मद शमी अपने क्रिकेट करियर पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है और भारतीय टीम के लिए महत्वपूर्ण खिलाड़ी बने हुए हैं। उनका ध्यान सिर्फ अपने खेल पर है और वे सोशल मीडिया की नकारात्मकता से खुद को दूर रख रहे हैं।
ट्रोलिंग पर अन्य खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया
शमी की ट्रोलिंग पर कई पूर्व क्रिकेटरों और प्रशंसकों ने भी प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि खिलाड़ियों को उनके धर्म के आधार पर नहीं बल्कि उनके प्रदर्शन के आधार पर आंका जाना चाहिए।
क्या कहा क्रिकेट जगत ने?
भारतीय क्रिकेट से जुड़े कुछ विशेषज्ञों और पूर्व खिलाड़ियों ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों को व्यक्ति की निजी पसंद पर छोड़ देना चाहिए और खिलाड़ियों को उनके खेल से आंका जाना चाहिए।