भारत की U-19 महिला टीम ने फिर दिखाया दम
भारतीय महिला क्रिकेट की दिग्गज खिलाड़ी मिताली राज ने भारत की U-19 महिला टीम की लगातार दूसरी T20 विश्व कप जीत पर गर्व व्यक्त किया। निकी प्रसाद की कप्तानी में इस युवा टीम ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को बेयुएमास ओवल, कुआलालंपुर में मात दी, और 52 गेंद शेष रहते शानदार जीत दर्ज की।
इस उपलब्धि ने भारत की अंडर-19 स्तर पर बादशाहत को और मजबूत कर दिया है, जो इस बात का प्रमाण है कि देश में महिला क्रिकेट की गहराई लगातार बढ़ रही है। मिताली के अनुसार, युवा खिलाड़ियों का कौशल स्तर पहले से कहीं अधिक ऊंचा है, जिसका श्रेय संगठित प्रशिक्षण, एक्सपोजर टूर और राज्य क्रिकेट संघों एवं राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) की योजनाओं को जाता है।
मिताली राज ने भारत की युवा प्रतिभाओं की सराहना की
मिताली ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आयु वर्ग की क्रिकेट में जबरदस्त सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि लड़कियों की खेल जागरूकता और दबाव को संभालने की क्षमता खासतौर पर काबिले-तारीफ है।
“मैंने अंडर-15, अंडर-16 और अंडर-19 खिलाड़ियों को देखा है, और इस स्तर पर उनका तकनीकी कौशल असाधारण है। लगातार दो ICC U-19 टूर्नामेंट जीतना इस बात का प्रमाण है कि युवा प्रतिभाओं को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जा रहा है,” मिताली ने कहा।
पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम को ज्यादा चुनौती नहीं मिली, केवल सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ एक मुश्किल क्षण आया था, जब डेविना पेरिन की आक्रामक बल्लेबाजी ने गेंदबाजों पर दबाव बनाया। हालांकि, भारतीय टीम ने तेजी से वापसी करते हुए दो महत्वपूर्ण विकेट झटके और मैच पर अपना नियंत्रण बनाए रखा।
गोंगड़ी त्रिशा: उभरती ऑलराउंडर स्टार
भारत की इस ऐतिहासिक जीत में गोंगड़ी त्रिशा सबसे अहम खिलाड़ी रहीं। उन्होंने टूर्नामेंट में 309 रन बनाए और अपनी लेग स्पिन गेंदबाजी से 7 विकेट भी झटके। इसके साथ ही, त्रिशा ने इतिहास रचते हुए टूर्नामेंट में शतक लगाने वाली पहली खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया।
“महिला क्रिकेट अब उस मुकाम पर पहुंच चुका है जहां ऑलराउंडरों की भूमिका बेहद अहम हो गई है। त्रिशा इस मामले में बेहतरीन उदाहरण हैं। उनकी लेग स्पिन पारंपरिक लेग स्पिनरों से अलग है और वे अपनी लाइन व लेंथ पर बेहतरीन नियंत्रण रखती हैं,” मिताली ने कहा।
मिताली ने यह भी बताया कि वह त्रिशा की बल्लेबाजी से बचपन से ही प्रभावित रही हैं। “मैंने उन्हें तब से देखा है जब वह बहुत छोटी थीं। वह मेहनती खिलाड़ी हैं और उनमें ऊंचे स्तर पर खेलने की क्षमता है। लेकिन भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाना ही काफी नहीं होता, वहां टिके रहना भी उतना ही चुनौतीपूर्ण होता है। त्रिशा में वह क्षमता है, लेकिन उन्हें लगातार अपने खेल में सुधार करना होगा और नियमित प्रदर्शन करना होगा,” उन्होंने कहा।
निकी प्रसाद: भविष्य की कप्तान?
कप्तान निकी प्रसाद ने पूरे टूर्नामेंट में बेहतरीन नेतृत्व क्षमता दिखाई। 2023 संस्करण में न खेल पाने का अफसोस इस बार उनके लिए प्रेरणा बन गया, और उन्होंने टीम को मजबूती से आगे बढ़ाया।
मिताली, जिन्होंने 2005 और 2017 में भारतीय महिला टीम को वनडे विश्व कप के फाइनल तक पहुंचाया था, निकी में भविष्य की एक मजबूत लीडर की झलक देखती हैं। “सेलेक्टर्स ने उन्हें कप्तान के रूप में चुना और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। उनकी नेतृत्व क्षमता पूरे टूर्नामेंट में स्पष्ट दिखी, और वह भारत के लिए एक अहम लीडर बन सकती हैं,” मिताली ने कहा।
अब जब ये युवा खिलाड़ी U-19 से U-23 और फिर सीनियर स्तर पर कदम रखेंगे, तो उनके सामने नई चुनौतियां आएंगी। मिताली का मानना है कि यदि निकी प्रसाद को सही दिशा में तैयार किया गया, तो वह भारत की सीनियर टीम की भविष्य की कप्तान बन सकती हैं।
क्या सीनियर टीम इस लय को बरकरार रख सकेगी?
जहां भारत की U-19 महिला टीम लगातार दूसरी बार विश्व विजेता बनी, वहीं सीनियर टीम अभी भी अपने पहले ICC खिताब की तलाश में है। आगामी वनडे विश्व कप को देखते हुए, मिताली को उम्मीद है कि हरमनप्रीत कौर की टीम इस युवा सफलता से प्रेरणा ले सकती है।
“सीनियर विश्व कप एक अलग चुनौती है। घरेलू मैदान पर खेलना फायदेमंद होगा, लेकिन अंततः यह इस बात पर निर्भर करेगा कि टीम किस तरह से टूर्नामेंट की तैयारी करती है और अपने खेल को अमल में लाती है,” मिताली ने कहा।
भारत की अंडर-19 टीम की इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब सभी की निगाहें सीनियर टीम पर हैं। क्या वे भी इसी सफलता को दोहरा पाएंगी और अपना पहला ICC खिताब जीत पाएंगी? इसका जवाब आने वाले समय में मिलेगा।