पूर्व इंग्लैंड के कप्तान माइकल वॉन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली टेस्ट सीरीज से पहले भारतीय टीम की तैयारियों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। वॉन को इस बात पर हैरानी है कि भारतीय टीम ने वार्म-अप मैच खेलने की जगह इन्ट्रा-स्क्वाड सिमुलेशन गेम खेलने का फैसला किया। उनके मुताबिक, यह फैसला खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों के लिए पूरी तरह से तैयार होने से रोक सकता है।
पारंपरिक तैयारी का रास्ता छोड़ना
भारत ने पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरों में वार्म-अप मैच खेले थे और वह दो ऐतिहासिक जीतों के साथ घर लौटे थे। 2020/21 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ अभ्यास मैच खेला और सीरीज का पहला टेस्ट एडिलेड में खेला था। इसी तरह 2018/19 के दौरे पर भी टीम ने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ खेलकर अपने अभियान की शुरुआत की थी। इन मैचों ने खिलाड़ियों को पिचों के स्वभाव को समझने और अपनी तकनीक में सुधार करने का मौका दिया। लेकिन इस बार, भारतीय टीम ने इस पारंपरिक तरीके को छोड़कर एक इन्ट्रा-स्क्वाड मैच और नेट सत्र के जरिए तैयारी की।
इन्ट्रा-स्क्वाड गेम में प्रतिस्पर्धा की कमी
वॉन का मानना है कि इन्ट्रा-स्क्वाड मैच कभी भी वार्म-अप मैच का विकल्प नहीं हो सकते। उनके अनुसार, एक घरेलू टीम के खिलाफ खेलने से खिलाड़ियों को असली मुकाबले का दबाव महसूस होता है, जो खुद की टीम के खिलाफ खेलते समय नहीं होता। उन्होंने कहा, “जब आप अपनी टीम के खिलाफ खेलते हैं, तो वह प्रतिस्पर्धात्मक धार नहीं आती जो किसी अन्य टीम के खिलाफ खेलने पर महसूस होती है। इससे मानसिकता में वह तेज धार पैदा नहीं हो पाती।”
पर्थ की परिस्थितियों का लाभ उठाने का मौका गंवाना
पर्थ की पिचें अपनी गति और उछाल के लिए मशहूर हैं। वाका का मैदान विशेष रूप से टेस्ट क्रिकेट की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के लिए जाना जाता है। वॉन ने बताया कि वाका और ओप्टस स्टेडियम की पिचें लगभग एक जैसी हैं। वाका पर अभ्यास करने से भारतीय खिलाड़ी पिच की उछाल और गति के अनुकूल हो सकते थे। “कम से कम एक मैच खेलना भारतीय टीम के लिए फायदेमंद होता। इससे खिलाड़ी परिस्थितियों को समझने और अपनी तकनीक को सुधारने में सक्षम होते,” उन्होंने कहा।
भारतीय बल्लेबाजी क्रम की चुनौती
भारतीय बल्लेबाजी क्रम फिलहाल कठिन समय से गुजर रहा है। विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी घरेलू सीजन में संघर्ष कर रहे हैं। दूसरी ओर, युवा बल्लेबाजों का प्रदर्शन भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। वॉन के अनुसार, एक वार्म-अप मैच इन बल्लेबाजों के लिए जरूरी लय हासिल करने का बेहतरीन मौका होता। इसके जरिए वे तेज गेंदबाजी और उछाल भरी पिचों के लिए खुद को मानसिक और तकनीकी रूप से तैयार कर सकते थे।
पुरानी और नई सोच का अंतर
वॉन ने अपने और आज के खिलाड़ियों की सोच के अंतर पर भी रोशनी डाली। उनके अनुसार, पुराने समय के खिलाड़ी विदेशी परिस्थितियों में खुद को ढालने के लिए ज्यादा मैच खेलते थे। इससे उन्हें पिच की विशेषताओं और गेंदबाजों की रणनीतियों को समझने में मदद मिलती थी। लेकिन आज के खिलाड़ी सालभर क्रिकेट खेलते हैं और उन्हें लगता है कि वे परिस्थितियों के साथ जल्दी सामंजस्य बिठा सकते हैं।
क्या आधुनिक खिलाड़ियों को अतिरिक्त तैयारी की जरूरत है?
आधुनिक खिलाड़ियों के पास बेहतर तकनीक, वीडियो विश्लेषण और कोचिंग स्टाफ की सहायता होती है। वे सालभर क्रिकेट खेलते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा रहता है। लेकिन वॉन का मानना है कि खेल की वास्तविक परिस्थितियों में खेलकर जो अनुभव मिलता है, वह किसी भी तकनीक से बेहतर होता है।
पहले दिन की चुनौती
वॉन ने यह भी बताया कि टेस्ट क्रिकेट के पहले दिन की चुनौती सबसे बड़ी होती है। खिलाड़ियों के लिए यह जरूरी है कि वे मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह तैयार रहें। “शुरुआती दिन में प्रदर्शन से ही सीरीज की दिशा तय होती है।”
अनुभव और नई रणनीतियों का मिश्रण
भारतीय टीम की नई रणनीति का परीक्षण इस सीरीज में होगा। अनुभव और नई सोच के इस मिश्रण का नतीजा यह तय करेगा कि भारतीय टीम अपनी तैयारियों में कितनी सफल रही।
वार्म-अप मैच का महत्व
वॉन ने यह भी कहा कि वार्म-अप मैच से टीम को विपक्षी टीम की ताकत और कमजोरियों को समझने का मौका मिलता है। इससे रणनीति बनाने में मदद मिलती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
डटकर मुकाबला करने की उम्मीद
भले ही वॉन ने भारतीय टीम की तैयारियों पर सवाल उठाए हों, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि टीम इस चुनौती का डटकर मुकाबला करेगी। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि टीमें मैदान पर उतरें और जीत के लिए पूरा जोर लगाएं।”
निष्कर्ष: ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले भारत की तैयारी पर माइकल वॉन के सवा
भारतीय टीम की यह अनोखी तैयारी रणनीति चर्चा का विषय बन गई है। माइकल वॉन जैसे अनुभवी खिलाड़ी का मानना है कि पारंपरिक वार्म-अप मैच भारतीय टीम के लिए ज्यादा उपयोगी साबित हो सकता था। अब यह देखना होगा कि इस नई रणनीति के साथ भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में कितना अच्छा प्रदर्शन कर पाती है।