दक्षिण कोरिया में मंगलवार रात(3 दिसंबर 2024) राष्ट्रपति यून सुक योल द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा ने देश को राजनीतिक संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया। राष्ट्र को संबोधित करते हुए यून ने “राष्ट्र-विरोधी ताकतों” का मुकाबला करने के लिए इस असाधारण कदम को उठाने की बात कही। उन्होंने इसे देश की संवैधानिक व्यवस्था और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया। हालांकि, इस फैसले के बाद विरोध तेज हो गया, जिससे राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी।
विवादित घोषणा
राष्ट्रपति यून की मार्शल लॉ की घोषणा के साथ ही कई कठोर कदम उठाए गए। सभी राजनीतिक गतिविधियों और हड़तालों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, और मीडिया को मार्शल लॉ कमांड के नियंत्रण में कर दिया गया, जैसा कि योनहाप न्यूज़ ने रिपोर्ट किया। इस घोषणा ने पूरे देश में हलचल मचा दी, और नागरिकों ने खुद को एक सैन्य शासित आपातकालीन स्थिति में पाया।
“यह कदम सत्ता हथियाने के लिए नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र को आंतरिक खतरों से बचाने के लिए उठाया गया है,” यून ने अपने संबोधन में कहा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यह अस्थायी उपाय है और दक्षिण कोरिया की विदेशी नीतियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यून ने उत्तर कोरियाई समर्थकों को देश की संप्रभुता के लिए खतरा बताते हुए उनके प्रभाव को खत्म करने की जरूरत पर जोर दिया।
कड़ा विरोध और विधायी पलटवार
यून के आश्वासनों के बावजूद, उनकी घोषणा के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली। विपक्षी नेताओं और नागरिक अधिकार संगठनों ने इस कदम को अभूतपूर्व और तानाशाहीपूर्ण करार दिया। प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जहां प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने के खिलाफ आवाज उठाई।
बुधवार सुबह दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली ने आपातकालीन सत्र बुलाया। सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सांसदों ने एकजुट होकर मार्शल लॉ की घोषणा को रद्द करने के लिए मतदान किया। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष वू वोन शिक ने मार्शल लॉ को “अवैध” घोषित करते हुए कहा कि विधायिका जनता के साथ मिलकर लोकतंत्र की रक्षा करेगी।
“लोकतंत्र कभी भी टैंकों और संगीनों के साये में फल-फूल नहीं सकता,” वू ने कहा। “नेशनल असेंबली यह सुनिश्चित करेगी कि सरकार हमारे नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता का हनन न करे।”
South Korean Pres. Yoon, a key U.S. ally, is facing growing calls to resign after he suddenly declared "emergency martial law." @MarthaRaddatz reports on the dramatic developments. https://t.co/5MzhSSwF9c pic.twitter.com/EP2edPX54j
— World News Tonight (@ABCWorldNews) December 4, 2024
मार्शल लॉ क्या है?
मार्शल लॉ एक असाधारण उपाय है, जिसे सरकारें गंभीर संकट के समय लागू करती हैं। इसके तहत सैन्य प्राधिकरण नागरिक शासन पर नियंत्रण स्थापित कर लेता है और सामान्य कानूनी प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया जाता है। आमतौर पर यह बड़े पैमाने पर नागरिक अशांति, प्राकृतिक आपदाओं या बाहरी आक्रमण जैसे खतरों के जवाब में घोषित किया जाता है।
दक्षिण कोरिया के मामले में, यून ने इसे उत्तर कोरियाई समर्थकों से जुड़ी कथित राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक बताया। मार्शल लॉ के तहत सेना कानून प्रवर्तन और न्यायिक निकायों सहित नागरिक संस्थानों का प्रत्यक्ष नियंत्रण अपने हाथ में ले लेती है। इस दौरान सभा, अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता जैसे नागरिक अधिकारों पर गंभीर प्रतिबंध लगाए जाते हैं।
राजनीतिक संकट और जनाक्रोश
मार्शल लॉ की घोषणा ने दक्षिण कोरिया के राजनीतिक परिदृश्य को और विभाजित कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति पर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का दुरुपयोग कर अपनी पकड़ मजबूत करने का आरोप लगाया। प्रमुख विपक्षी नेता ली जे-म्युंग ने यून के कदम को “खतरनाक और तानाशाहीपूर्ण” करार देते हुए कहा कि यह भविष्य के प्रशासन के लिए एक खतरनाक उदाहरण पेश करता है।
जनता का आक्रोश भी तेजी से बढ़ा। सियोल में नेशनल असेंबली के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग करने लगे। “लोकतंत्र की रक्षा करो!” और “यून को हटाओ!” जैसे नारों से सड़कों पर गूंज उठी।
“मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा,” 45 वर्षीय शिक्षक किम मिन-जी ने कहा, जो विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। “हमारा राष्ट्रपति हमारी स्वतंत्रता की रक्षा करने के बजाय उसे छीन रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यह संकट वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। दक्षिण कोरिया के प्रमुख सहयोगी अमेरिका ने इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने संयम बरतने का आग्रह किया और लोकतांत्रिक मानदंडों को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
“हम दक्षिण कोरिया की स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं,” प्रवक्ता ने कहा। “हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे संवाद और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के पालन के माध्यम से अपने मतभेदों को हल करें।”
जापान और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों सहित अन्य देशों ने भी इसी तरह की चिंताएं व्यक्त कीं और शांतिपूर्ण समाधान की अपील की।
राष्ट्रपति यून की प्रतिक्रिया
बढ़ते दबाव के बीच, राष्ट्रपति यून ने बुधवार दोपहर एक और संबोधन दिया। हालांकि उन्होंने स्पष्ट रूप से माफी नहीं मांगी, लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि उनके फैसले के खिलाफ व्यापक विरोध हो रहा है। यून ने तुरंत मार्शल लॉ समाप्त करने और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए नेशनल असेंबली के साथ काम करने का वादा किया।
“मैं हमारे लोगों की आवाज़ साफ़-साफ़ सुन रहा हूँ,” यून ने कहा। “इस राष्ट्र की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए मेरी प्रतिबद्धता अडिग है। मैं सभी हितधारकों के साथ खुली बातचीत करूंगा ताकि हम एक साथ आगे बढ़ सकें।”
निष्कर्ष
हालांकि मार्शल लॉ का संक्षिप्त लेकिन तीव्र दौर समाप्त हो गया है, लेकिन इस घटना ने दक्षिण कोरिया के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डाला है। यह प्रकरण सरकार के भीतर सत्ता संतुलन और कार्यकारी प्राधिकरण की सीमाओं पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जैसे-जैसे दक्षिण कोरिया इस अशांत अध्याय से गुजरता है, उसके लोकतांत्रिक संस्थानों की मजबूती की परीक्षा होगी। अब यह देखना बाकी है कि राष्ट्रपति यून जनता का विश्वास वापस जीत सकते हैं या नहीं।