नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल मीटिंग में नहीं दिखे कई विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्री
नई दिल्ली में शनिवार को आयोजित नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र और राज्यों के साझा विकास की बात कर रहे थे, तब पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक और पुडुचेरी के मुख्यमंत्रियों की कुर्सियां खाली रहीं। इस बार की बैठक का फोकस था – “विकसित राज्य से विकसित भारत @2047”।
बैठक का उद्देश्य और नेतृत्व
यह बैठक देश के शीर्ष नीति-निर्धारण निकाय की गवर्निंग बॉडी थी, जिसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, और केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं। इसकी अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री करते हैं। इस बार बैठक की खास बात थी कि यह हाल ही में वैश्विक स्तर पर हुए व्यापारिक निर्णयों और “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद पहली बड़ी चर्चा थी।
किन मुख्यमंत्रियों ने बनाई दूरी?
ममता बनर्जी: सन्नाटा भी एक संदेश देता है
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक से नदारद रहीं। राज्य सचिवालय के सूत्रों के अनुसार उनकी अनुपस्थिति का कोई कारण सार्वजनिक नहीं किया गया। न ही यह स्पष्ट किया गया कि उनकी जगह कौन प्रतिनिधित्व करेगा। हालांकि संभावना जताई गई कि मुख्य सचिव मनोज पंत बैठक में भाग ले सकते हैं।
भाजपा की ओर से ममता पर तीखा हमला बोला गया। राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य ने कहा, “जब बंगाल आर्थिक संकट से जूझ रहा है, बेरोजगारी और पलायन का सामना कर रहा है, ऐसे समय में मुख्यमंत्री को केंद्र के साथ तालमेल बिठाकर समाधान की तलाश करनी चाहिए थी। पर उन्होंने राजनीतिक अहंकार के चलते राज्य के हितों की बलि दे दी।”
पिनाराई विजयन: परछाईं में प्रतिनिधि
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया और अपनी जगह वित्त मंत्री बालगोपाल को भेजा। हालांकि सूत्रों के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं था कि चूंकि यह मुख्यमंत्रियों की बैठक है, क्या मंत्री को बैठक में भाग लेने की अनुमति मिलेगी। गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी विजयन दिल्ली में हुई नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
सिद्धारमैया: व्यस्तता बनी दूरी की वजह
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूर में पहले से तय कार्यक्रम का हवाला देकर बैठक से दूरी बनाई। हालांकि उनके कार्यालय ने यह स्पष्ट किया कि यह कोई बहिष्कार नहीं है। उन्होंने अपनी ओर से एक संबोधन गवर्निंग काउंसिल को भेजा है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि उसे बैठक में कौन प्रस्तुत करेगा।
एन. रंगासामी: लगातार गैरहाजिर
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन. रंगासामी ने बिना कोई कारण बताए लगातार दूसरे साल नीति आयोग की बैठक को टाल दिया। उनकी यह चुप्पी अब सवालों को जन्म दे रही है।
पीएम मोदी का संदेश: “टीम इंडिया” का सपना
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में जोर दिया कि अगर केंद्र और राज्य एक टीम की तरह काम करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने कहा, “विकसित भारत हर भारतीय का सपना है। जब हर राज्य विकसित होगा, तभी देश समृद्ध होगा। ये 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षा है।”
पर्यटन पर खास फोकस: एक राज्य, एक वैश्विक डेस्टिनेशन
पीएम मोदी ने हर राज्य से आग्रह किया कि वे कम से कम एक पर्यटन स्थल को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर विकसित करें। इससे न केवल उस क्षेत्र का विकास होगा, बल्कि आसपास के शहर भी पर्यटन केंद्र बन सकेंगे। उन्होंने कहा, “One State: One Global Destination” का सिद्धांत पर्यटन, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा।
निष्कर्ष: राजनीतिक दूरियां या नीति से दूरी?
नीति आयोग की यह बैठक न केवल आर्थिक दिशा तय करने का मंच थी, बल्कि यह दिखाती है कि राजनीति और विकास के रास्ते कितने अलग हो सकते हैं। जब कुछ राज्य विकास संवाद से दूर रहते हैं, तो यह सवाल उठता है — क्या हम वाकई विकसित भारत @2047 की ओर बढ़ रहे हैं या फिर सियासी अहंकार इस राह में रोड़े अटका रहा है?
परिणामतः, केंद्र-राज्य समन्वय ही वह कड़ी है, जो भारत को वैश्विक मंच पर अग्रणी बना सकती है। इसके बिना विकसित भारत का सपना अधूरा ही रह जाएगा।