आज मकर संक्रांति है अब मकर संक्रांति में भी थोड़ा असमंजस है कि 14 जनवरी को मने या 15 जनवरी को लेकिन फिलहाल इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है तो आईए जानते हैं –
क्या है मकर संक्रांति और हिंदू धर्म में क्या है मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति को अगर उजाले का त्यौहार त्योहार कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि इसी दिन से भगवान सूर्य हमें अपनी रोशनी से धीरे-धीरे लाभान्वित करने लगते हैं। सर्दियों में जब हम सूरज की धूप के लिए तरस जाते हैं ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व खुशियां लेकर आता है इस दिन सूर्य मकर रेखा में प्रवेश करता है। आज सोचती हूं तो आश्चर्य होता है कि हमारे पूर्वजों ने कितने सालों पहले वह खोज लिया था जिसे हम आज खोज कर गौरवान्वित हैं। यह समझ लीजिए हम हिंदुओं के लिए तो यह नव वर्ष के शुभारंभ जैसा ही है आखिर क्यों ना हो इस दिन भगवान भास्कर अपने तेज से हम सबके मन में फैले कोहासे को दूर करते हैं तभी तो मैंने इसे उजाला का त्यौहार भी लिखा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और दान निकाला जाता है।
क्या होता है मकर संक्रांति के दिन
हमारा हिंदू धर्म अनेकता में एकता का प्रतीक है सबके यहां मकर संक्रांति अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है फिर भी कुछ बातें सभी में समान होती है जैसे सुबह उठकर सभी स्नान करते हैं चाहे वह गंगा में करें या घर में। स्नान के बाद दान अवश्य निकाला जाता है। मकर संक्रांति के लिए घर-घर में तिल के लड्डू, लाई के लड्डू बनाए जाते हैं। इस दिन तिल अवश्य खाने की मान्यता है।
मकर संक्रांति में दिया जाता है दान
हमारे घर में दान का विशेष महत्व है। पर दान देखा देखी में या दिखावे के लिए नहीं किया जाना चाहिए। दान आपकी सामर्थ्य के अनुसार होता है लेकिन सभी की कोशिश यही रहती है कि मकर संक्रांति के दिन वे उड़द की दाल, चावल(खिचड़ी), गुड़ की भेली, तिल के लड्डू और साथ ही कुछ रुपए भी अवश्य दान में निकालें। दान हमेशा सुपात्र को ही दिया जाना चाहिए। फिर चाहे एक ब्राह्मण हो या फिर कोई जरूरतमंद हो। भिखारी को दान देना एक तरीके से हमारे देश में भिखारी परंपरा को बढ़ावा देना ही है। अक्सर हम देखते हैं मंदिरों के बाहर या गंगा जमुना जैसी नदियों के किनारे पर भिखारी के नाम पर बच्चे और युवा लोगों की भीड़ लगी होती है मुझे तो लगता है ऐसे लोगों को भी देकर हम अपनी अर्थव्यवस्था को कमज़ोर ही कर रहे हैं। खैर ये मेरे विचार हैं। लोग कंबल का गर्म कपड़ों का रेवाड़ी गजक मूंगफली का भी दान करते हैं।
मकर संक्रांति के दिन उड़ाई जाती है पतंग
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के बाद पूरी दोपहर सब पतंग उड़ाते हैं इस दिन आसमान पतंग से भर जाता है कहीं-कहीं तो इस दिन पतंग का मेला भी लगता है। पर अब तो न जानें कौन-कौन से मांजे आने लगे हैं जिनके कारण मकर संक्रांति और बसंत पंचमी से पहले ही सरकार को उन मांझों को प्रतिबंधित करने की घोषणा करनी पड़ती है फिर भी न जाने कितने पक्षी उन मांजों की भेंट चढ़ जाते हैं और कितने ही नौजवान दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं तो बस पतंग उड़ाएं लेकिन अपना और सबका ध्यान रखते हुए।
मकर संक्रांति के दिन बनती है सबके घर खिचड़ी
मकर संक्रांति के दिन सभी के घर उड़द की दाल की खिचड़ी बनती है। इस दिन घर-घर से देसी घी की, पापड़ों की और चटनी की खुशबू सभी का मनमोह लेती है। कल्पना कीजिए गरमा गरमखिचड़ी जिसमें देसी घी पड़ा हो। साथ ही चटनी, अचार और आलू बैगन का चोखा हो, तो बस मजा ही आ जाता है। पूर्वांचल के घरों में तो आज के दिन दोपहर के खाने का यही मेनू रहता है शाम को आलू गोभी की सब्जी, आलू मटर की सब्जी और उसके साथ पुड़ियां। उत्तर भारत के खाने में अगर पूरी ना हो तो लगता है कुछ कमी रह गई है। बिहार की तरफ कुछ घरों में दही चूड़ा भी खाया जाता है। चूड़े को पहले पानी से धोया जाता है फिर दही और गुड़ के साथ चूड़ा खाया जाता है। कुछ घरों में इस दिन मटर का पुलाव या तहरी बनती है।
सारांश
मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान किया जाता है। सूर्य भगवान को जल चढ़ाया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है।। स्नान के बाद दान निकाला जाता है। भोजन में खिचड़ी, दही चूड़ा या तहरी खाई जाती है