Monday, April 14, 2025
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डिलीट करना सीखे अनवांटेड स्टफ के साथ भूली-बिसरी यादों को भी अपनी मेमोरी से, जीएं वर्तमान में और आनंद ले हर पल का

हममें से हर कोई सोचता है कि हमारे दिमाग में सालों पुरानी बातें, अपने बचपन की बातें कुछ ऐसा जिसने हमें सुख दिया था कुछ ऐसा जिसे याद कर आज भी हमारी आंखें नम हो जाती है हमेशा याद रहती है पर हम भूल जाते हैं कि अभी हमने क्या किया था। अभी हमने कहां क्या रखा था क्यों होता है ऐसा आईए जानते हैं, और कैसे कर सकते हैं हम अपनी वर्तमान याददाश्त को भी स्ट्रांग

पहली बात तो अपनी याददाश्त को दोष देना बंद करें

अधिकतर लोग कहते हैं अब हमारी याददाश्त कमजोर हो गई है हम बूढ़े हो गए हैं हमें कुछ याद नहीं रहता पर हमें बचपन का सब कुछ अभी भी याद है तब सोचिए आपकी याददाश्त कमजोर कैसे हो सकती है हां यह सच है कि आपको अभी जो चाहिए वह याद नहीं है क्योंकि आपने अपने मस्तिष्क को पुरानी यादों में से बाहर ही नहीं आने दिया है। आप हमेशा अपने पास्ट के बारे में ही सोचते हैं या फिर अपने भविष्य की चिंता करते हैं। वर्तमान में जीने के विषय में तो आप सोच ही नहीं पाते बस आप अपने काम पूरे करते हैं वह भी भाग दौड़ वाली जिंदगी में। सुकून के दो पल तो शायद आपको अपनी भूतकाल में ही याद रहते हैं। तो बस आज के बाद कहना बंद कीजिए कि मुझे कुछ याद नहीं रहता। कहिए कि मेरी मेमोरी बहुत तेज है,मैं जानता हूं मैंने कहां क्या रखा है। और बस आप देखेंगे कि वह चीज आपकी नजरों के सामने ही है।

अपनी वस्तुओं को रखिए सही जगह पर लिखना शुरू कीजिए कलम से कागज पर

अगर आपको लगता है कि आप रखी चीजों को भूलने लगे हैं तो बस उनको उनको प्रॉपर प्लेस पर रखने की आदत डाल दीजिए। हो सकता है की आपको यह आदत डालने के बाद भी चीजों को ढूंढने में परेशानी का अनुभव हो तो ऐसे में जब आपकी कोई भी चीज मिसिंग हो तो आप वहां से शुरू कीजिए जब आपने अपनी कलम, चश्मा, घड़ी को आखिरी बार इस्तेमाल किया था और फिर आप देखेंगे आपको याद आ जाएगा कि आखिरी बार आपने उस चीज को कहां प्रयोग किया उसके बाद आपने क्या किया और इस बीच में आपने उसे चीज को कहां रखा था आपको याद आ जाएगा, बस जाइए और वह चीज आपका इंतजार कर रही होगी।

कागज और कलम का साथ फिर से पकड़ लीजिए

ऐसा नहीं है कि अब हम नहीं लिखते हैं अब हम रोज लिखते हैं बहुत सारा लिखते हैं। साथ ही साथ पढ़ते भी बहुत सारा है लेकिन होता क्या है बस हम उसे मोबाइल पर लिखते हैं और मोबाइल पर लिखा ही भूल जाते हैं। क्या कभी ऐसा कागज कलम के साथ होता था। जी नहीं बिल्कुल भी नहीं होता था क्योंकि जब हम कागज पर कलम से लिखते हैं तो सिर्फ हमारा हाथ हमारी आंखें ही हमारा साथ नहीं देती। हमारी आंखें हमारा हाथ हमारा दिमाग हमारा पूरा शरीर एकाग्रचित होकर लिखता है फिर पढ़ता है और फिर मनन करता है। तो बस उठा लीजिए एक बार फिर से कागज और कलम। दिन में आपके साथ जो भी अच्छा हुआ हो उसे लिखिए बुरे को भी लिखिए लेकिन बस लिखकर भूल जाइए। उसे अपने दिल और दिमाग में जगह मत बनाने दीजिए।

लेट इट गो

चीजों को, बातों को दिमाग से निकालना शुरू कीजिए वह बातें वह लोग जिन्हें सोचकर आपको दुख होता था अभी तक तो आप सिर्फ उन्ही को पीछे छोड़ते आये हैं पर आज से एक नया गुरुमंत्र लीजिए बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले। सोचिए वह दौर भी अच्छा था यह दौर भी अच्छा है बस ऐसा सोचकर आगे बढ़ जाइए अपने बचपन में, अपने पास्ट में खोने से अच्छा है आज के वर्तमान को बेहतर किया जाए।

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