केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार यानी 20 अगस्त को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की चल रही जांच के संबंध में सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे ‘फर्जी पत्र’ पर स्पष्टीकरण जारी किया।
केंद्रीय एजेंसी ने पाया है कि सोशल मीडिया पर एक ‘फर्जी पत्र’ वायरल हो रहा है जिसमें सीबीआई अधिकारी के नाम का उल्लेख है और मामले की जांच वापस लेने की मांग की गई है। सीबीआई ने पत्र की विषय-वस्तु को ‘फर्जी’ करार दिया है।
सीबीआई ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “डॉ. आकाश नाग नामक व्यक्ति के नाम से एक फर्जी पत्र, जो खुद को डीआईजी, संयुक्त निदेशक, अपराध शाखा, कोलकाता बता रहा है, आधिकारिक बैनर ‘केंद्रीय जांच ब्यूरो, उप महानिरीक्षक कार्यालय, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, कोलकाता’ के तहत केंद्रीय गृह सचिव को संबोधित कर रहा है, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहा है। यह पत्र आरजी कर अस्पताल, कोलकाता की एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से संबंधित मामले के बारे में है। यह स्पष्ट किया जाता है कि उक्त पत्र फर्जी है।”
केंद्रीय एजेंसी ने आगे टिप्पणी की कि मामले को दिल्ली स्थित मुख्यालय द्वारा देखा जा रहा है और वहां आकाश नाग नाम का कोई अधिकारी नहीं है।
इसमें कहा गया है, “मामले की जांच सीबीआई मुख्यालय, दिल्ली द्वारा की जा रही है। इसके अलावा, सीबीआई में डॉ. आकाश नाग, डीआईजी, संयुक्त निदेशक, अपराध शाखा, एसीबी, कोलकाता नाम और पदनाम का कोई अधिकारी नहीं है। उक्त पत्र की सामग्री झूठी है और इसलिए इसका जोरदार खंडन किया जाता है।”
केंद्रीय एजेंसी ने आम जनता से भी उक्त पत्र या इसी प्रकार के किसी भी संचार को नजरअंदाज करने का आग्रह किया।
इसमें कहा गया है, “आम जनता और सभी हितधारकों को सलाह दी जाती है कि वे उक्त पत्र या इसी तरह के किसी भी शरारती संचार को नजरअंदाज करें। यह दोहराया जाता है कि सीबीआई सभी मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए और पूरी व्यावसायिकता के साथ मामले की जांच कर रही है।”
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर मृत और अर्धनग्न अवस्था में पाई गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है और शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटों के निशान मिले हैं।
इस बीच, इस भयावह घटना से पूरे देश में आक्रोश फैल गया है और लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तथा अपराधी के लिए मृत्युदंड की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया और इसकी निंदा की। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि देश ‘जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए एक और बलात्कार का इंतजार नहीं कर सकता।’
इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का भी गठन किया।