किट (KIIT) विश्वविद्यालय में तीसरे वर्ष की बीटेक छात्रा प्रकृति लम्साल, जो नेपाल की रहने वाली थीं, 16 फरवरी को अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाई गईं। आरोप है कि उन्हें उनके सहपाठी, 21 वर्षीय लखनऊ निवासी अद्विक श्रीवास्तव द्वारा मानसिक प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग का शिकार बनाया गया था।
इस घटना के बाद विश्वविद्यालय परिसर में आक्रोश भड़क उठा। 500 से अधिक नेपाली छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया, जो उस समय और उग्र हो गया जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें जबरन बाहर निकालने की कोशिश की। इस प्रकरण ने नेपाल सरकार के साथ-साथ भारतीय प्रशासन का भी ध्यान आकर्षित किया।
KIIT आत्महत्या मामला: आरोपी पर लगे आरोप
प्रकृति लम्साल के चचेरे भाई सिद्धांत सिग्देल की शिकायत के अनुसार, अद्विक श्रीवास्तव लंबे समय से उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे, जिससे मजबूर होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।
सिग्देल द्वारा दर्ज एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि लम्साल ने विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय (IRO) में शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने केवल चेतावनी देकर मामले को टाल दिया।
सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में दावा किया गया कि श्रीवास्तव ने लम्साल को ब्लैकमेल किया था। इसके अलावा, एक कथित ऑडियो क्लिप वायरल हुई, जिसमें एक पुरुष आवाज को महिला के साथ दुर्व्यवहार और धमकियां देते सुना जा सकता है।
16 फरवरी की शाम को पुलिस ने श्रीवास्तव को भुवनेश्वर के बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर हिरासत में लिया। रिपोर्टों के अनुसार, वह शहर छोड़ने की कोशिश कर रहे थे। सोशल मीडिया पर उनके नाम की एक हवाई टिकट भी वायरल हुई, जिसमें दिखाया गया कि उन्होंने उसी दिन भुवनेश्वर से कोलकाता जाने की योजना बनाई थी। इससे उनके भागने की आशंका और गहरा गई।
वर्तमान में श्रीवास्तव आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 108 के तहत गिरफ्तार हैं। पुलिस ने सबूतों की जांच के लिए लम्साल का मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिया है।
KIIT आत्महत्या मामला: छात्रों का प्रदर्शन और विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया
लम्साल की मौत के बाद नेपाली छात्र समुदाय ने विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया और उचित कार्रवाई नहीं की।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में छात्रों और विश्वविद्यालय सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें देखी गईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने 17 फरवरी को नेपाली छात्रों को तुरंत परिसर छोड़ने का आदेश जारी किया और उन्हें अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया।
आंखों देखी घटनाओं के अनुसार, छात्रों को जबरन बसों में भरकर 30 किलोमीटर दूर कटक रेलवे स्टेशन ले जाया गया, जहां उनके लिए किसी प्रकार की उचित व्यवस्था नहीं थी। कई छात्रों के पास ट्रेन टिकट नहीं थे, जबकि कुछ ने दावा किया कि उनके 28 फरवरी को परीक्षा निर्धारित थी।
इस बीच, रिपोर्टों में यह भी सामने आया कि कुछ विश्वविद्यालय अधिकारियों ने विरोध के दौरान नस्लीय रूप से अपमानजनक टिप्पणियां कीं। एक अधिकारी ने कथित रूप से टिप्पणी की कि विश्वविद्यालय नेपाली छात्रों पर उतना खर्च करता है जितना नेपाल का राष्ट्रीय बजट है, जिसका वीडियो भी सामने आया है।
KIIT आत्महत्या मामला: नेपाल के प्रधानमंत्री का हस्तक्षेप
नेपाली छात्रों को जबरन बेदखल किए जाने की खबरों ने राजनयिक तनाव को जन्म दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी किया। उन्होंने भारतीय सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की।
नेपाल दूतावास ने नई दिल्ली से दो अधिकारियों को भुवनेश्वर भेजा ताकि प्रभावित छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बढ़ते दबाव और विरोध के चलते, ओडिशा सरकार ने विश्वविद्यालय को अपने आदेश वापस लेने का निर्देश दिया। इसके बाद, KIIT ने एक नया बयान जारी कर नेपाली छात्रों को वापस लौटने के लिए आमंत्रित किया और विश्वविद्यालय में नियमित शैक्षणिक गतिविधियां फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया।
नेपाल दूतावास ने छात्रों को यह भी आश्वासन दिया कि वे अपनी मर्जी से छात्रावास में रह सकते हैं या घर लौट सकते हैं। इसी बीच, ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने स्वीकार किया कि KIIT प्रशासन को छात्रों को निष्कासित नहीं करना चाहिए था और उन्होंने मामले को गंभीरता से लेने की बात कही।
KIIT आत्महत्या मामला: जांच जारी
इस मामले की गहन जांच जारी है। पुलिस लम्साल के मोबाइल और लैपटॉप के वैज्ञानिक विश्लेषण में जुटी हुई है ताकि ब्लैकमेलिंग के आरोपों की सच्चाई सामने आ सके।
वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि लम्साल और श्रीवास्तव के बीच प्रेम संबंध था और आत्महत्या का कारण व्यक्तिगत विवाद हो सकता है। हालांकि, छात्रों और लम्साल के परिवार ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है।
इस घटना ने राजनयिक दबाव, छात्र आक्रोश और प्रशासनिक लापरवाही के आरोपों के बीच पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। अब यह देखना होगा कि पुलिस जांच किस नतीजे पर पहुंचती है और क्या विश्वविद्यालय प्रशासन एवं आरोपी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है।