बेंगलुरु, जून 2025 — सुपरस्टार और मक्कल निधि मय्यम पार्टी के प्रमुख कमल हासन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उनकी किसी फिल्म या अभिनय कौशल को लेकर नहीं, बल्कि कन्नड़ भाषा पर दिए गए एक विवादास्पद बयान को लेकर। चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि “कन्नड़ भाषा तमिल से जन्मी है।” इस कथन ने दक्षिण भारत की राजनीति और सांस्कृतिक भावनाओं में जबरदस्त हलचल मचा दी है।
हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी: “फेंटे हुए अंडे को अलग नहीं किया जा सकता”
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कमल हासन को फटकार लगाई। अदालत ने उन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग न करने की सख्त हिदायत दी।
न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा—
“शब्दों को बोले जाने के बाद वापस नहीं लिया जा सकता। जैसे एक बार अंडा फेंट दिया जाए तो उसे फिर से अलग नहीं किया जा सकता, वैसे ही बोले गए शब्दों को भी सुधारा नहीं जा सकता। मगर माफ़ी मांगी जा सकती है।”
आप आम आदमी नहीं हैं, ज़िम्मेदारी समझिए: कोर्ट
70 वर्षीय दिग्गज अभिनेता, जो आने वाले दिनों में राज्यसभा सांसद बनने की ओर अग्रसर हैं, को कोर्ट ने याद दिलाया कि उनकी सामाजिक ज़िम्मेदारी कहीं अधिक है।
“आप एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक व्यक्तित्व हैं। आपको बोलने का अधिकार है, पर यह अधिकार किसी की भावनाएं आहत करने की सीमा तक नहीं जाना चाहिए।”
अदालत ने कमल हासन को सलाह दी कि अगर किसी की भावना आहत हुई हो तो वह बिना देरी के माफ़ी मांगें, जिससे मामला शांत किया जा सके और सामाजिक सौहार्द बना रहे।
KFCC का सख्त रुख: माफ़ी नहीं तो फिल्म रिलीज़ नहीं
कमल हासन की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘Thug Life’ गुरुवार को रिलीज़ होने जा रही है, लेकिन कर्नाटक में इसकी रिलीज़ पर संकट मंडरा रहा है। कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (KFCC) ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जब तक कमल हासन माफ़ी नहीं मांगते, फिल्म को राज्य में रिलीज़ नहीं होने दिया जाएगा।
KFCC अध्यक्ष एम. नरसिम्हुलु ने कहा—
“कमल हासन कहते हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया, इसलिए माफ़ी नहीं मांगेंगे। लेकिन अगर वे माफ़ी नहीं मांगते, तो फिल्म की रिलीज़ की कोई संभावना नहीं है।”
कई डिस्ट्रीब्यूटर और थिएटर मालिकों ने भी फिल्म के बहिष्कार की बात कही है।
याचिका और सुनवाई का सिलसिला
हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें राज्य सरकार और KFCC को निर्देश देने की मांग की गई कि वे फिल्म की रिलीज़ को बाधित न करें। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील ध्यान चिनप्पा ने अदालत में प्रस्तुत किया कि कमल हासन ने यह बयान किसी दुर्भावना से नहीं, बल्कि प्यार और सांस्कृतिक जुड़ाव के भाव से दिया था।
न्यायालय ने संकेत दिया कि यदि कमल हासन माफ़ी मांग लेते हैं, तो यह विवाद यहीं समाप्त हो सकता है। अदालत ने दोपहर 2:30 बजे तक की मोहलत दी और उम्मीद जताई कि अभिनेता सकारात्मक रुख अपनाएंगे।
बयान जिसने विवाद खड़ा किया
चेन्नई के एक फिल्म लॉन्च इवेंट के दौरान कमल हासन ने तमिल भाषा के महत्व पर बोलते हुए कहा—
“Uyire Urave Tamizhe” — अर्थात “मेरा जीवन और मेरा परिवार, तमिल है।”
इसके बाद उन्होंने कन्नड़ अभिनेता शिवा राजकुमार की ओर इशारा करते हुए कहा—
“ये मेरे उस परिवार के सदस्य हैं। आपकी भाषा तमिल से जन्मी है, इसलिए आप भी हमारे अपने हैं।”
यही पंक्ति विवाद का कारण बनी। कर्नाटक बीजेपी प्रमुख बी.एस. येदियुरप्पा और अन्य नेताओं ने इसे कन्नड़ भाषा का अपमान बताया। प्रो-कन्नड़ संगठन भी मैदान में उतर आए और माफ़ी की मांग करने लगे।
माफ़ी से मिल सकती है राहत
KFCC के सदस्य और प्रो-कन्नड़ नेता सा. रा. गोविंदा ने ANI से कहा—
“यह बहुत साधारण मसला है। कमल हासन जैसे वरिष्ठ अभिनेता को बस एक माफ़ी मांगनी है, और कन्नडिगा दिल से स्वीकार करेंगे। अगर वो नहीं करते, तो फिल्म रिलीज़ नहीं होगी।”
निष्कर्ष: सुलह ही समाधान है
इस पूरे प्रकरण से स्पष्ट है कि भाषाई और सांस्कृतिक मुद्दों पर बयान देते समय जिम्मेदारी और संवेदनशीलता जरूरी है। एक शब्द, एक वाक्य, पूरे दक्षिण भारत में विवाद खड़ा कर सकता है। अब सबकी निगाहें हैं कमल हासन पर—क्या वो अपने शब्दों के लिए माफ़ी मांगकर इस विवाद को विराम देंगे या फिर टकराव का रास्ता चुनेंगे?