🚨 भूमिहीनों के आशियाने पर चला बुलडोज़र, विरोध में उतरीं आतिशी
दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी एक्सटेंशन स्थित भूमिहीन कैंप में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा की गई तोड़फोड़ कार्रवाई ने एक बार फिर से राजधानी की राजनीति को गरमा दिया है। इस अभियान के विरोध में प्रदर्शन कर रहीं आम आदमी पार्टी (AAP) की वरिष्ठ नेत्री और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी को पुलिस ने मौके से बलपूर्वक हटाया।
यह विरोध प्रदर्शन उस वक्त शुरू हुआ जब DDA ने सैकड़ों झुग्गियों को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी। आतिशी मौके पर पहुंचीं और सैकड़ों झुग्गीवासियों के साथ खड़ी दिखीं। उनका कहना था कि यह कार्रवाई गरीबों के हक पर खुला हमला है और बीजेपी की “मनमानी नीति” का नतीजा है।
🗣️ आतिशी का तीखा बयान: “भाजपा को झुग्गीवासियों की बद्दुआ लगेगी”
प्रदर्शन के दौरान आतिशी ने कहा:
“मैं यहां हज़ारों परिवारों के समर्थन में खड़ी हूं। ये लोग आज बेघर हो जाएंगे क्योंकि बीजेपी ने अपनी सत्ता की सनक में गरीबों के आशियाने उजाड़ दिए। ये झुग्गीवासी बीजेपी को कभी माफ़ नहीं करेंगे। सत्ता का घमंड इन्हें ले डूबेगा।”
📃 DDA का आधिकारिक नोटिस: 3 दिन में खाली करो नहीं तो टूटेगा घर
दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर DDA ने भूमिहीन कैंप के सभी निवासियों को नोटिस जारी किया। नोटिस के अनुसार, उन्हें 8, 9 और 10 जून 2025 तक अपनी झुग्गियां खाली करने को कहा गया था।
स्पष्ट किया गया कि निर्धारित समयसीमा में घर न खाली करने पर प्रशासन खुद तोड़फोड़ की कार्रवाई करेगा।
यह भी बताया गया कि जिन झुग्गियों को हटाया जा रहा है, वे सभी “अवैध” घोषित की गईं हैं और लंबे समय से पुनर्वास नीति की अवहेलना कर रही थीं।
🛑 पुलिस की कार्रवाई: “खतरनाक ज़ोन में प्रवेश की कोशिश कर रहीं थीं आतिशी”
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आतिशी उस क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थीं जहाँ DDA का तोड़फोड़ अभियान चल रहा था। यह क्षेत्र आम नागरिकों के लिए प्रतिबंधित और असुरक्षित घोषित था।
सुरक्षा मानकों के मद्देनज़र उन्हें जबरन प्रदर्शन स्थल से हटाया गया।
📸 मौके की तस्वीरें: टूटते घर, रोते परिवार, और सड़कों पर बेबस लोग
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भूमिहीन कैंप में रहने वाले कई परिवार अपने सामान और बच्चों के साथ सड़क पर आ गए हैं। छोटे बच्चों की किताबें, बिस्तर, और बर्तन सड़कों पर बिखरे पड़े हैं। स्थानीय महिलाओं ने कहा कि बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के यह “इंसानियत के खिलाफ अपराध” है।
⚖️ राजनीतिक तापमान तेज़, AAP बनाम BJP आमने-सामने
यह मुद्दा अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है। आम आदमी पार्टी ने DDA और बीजेपी पर “गरीबों के विरुद्ध क्रूर अभियान” चलाने का आरोप लगाया है, वहीं बीजेपी का तर्क है कि अवैध अतिक्रमण हटाना ज़रूरी है और कानून के तहत ही यह कार्रवाई की जा रही है।
🧩 पुनर्वास नीति का सवाल: कहां जाएँ ये लोग?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक अहम सवाल फिर से खड़ा कर दिया है — क्या अवैध कॉलोनियों और झुग्गियों के पुनर्वास की कोई प्रभावी योजना है?
कई सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि सरकार को अतिक्रमण हटाना ही है तो उसके लिए पहले वैकल्पिक निवास और पुनर्वास सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
🔍 निष्कर्ष: आशियाने उजड़े, राजनीति गरमाई, इंसानियत सवालों में
कालकाजी भूमिहीन कैंप की यह घटना न केवल राजधानी की गरीब जनता की दुर्दशा को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सत्ता और प्रशासन की योजनाएं अक्सर ज़मीनी सच्चाइयों से कोसों दूर होती हैं।
झुग्गीवासियों का यह संघर्ष केवल आशियाने का नहीं, बल्कि अस्तित्व की लड़ाई है।