Saturday, February 22, 2025
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रियाद में यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर हुई अमेरिका-रूस वार्ता पर जयशंकर और लावरोव की चर्चा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान मुलाकात की। इस बातचीत में विशेष रूप से यूक्रेन संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया गया। लावरोव की अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ रियाद में हुई बैठक के कुछ दिन बाद यह वार्ता हुई। रियाद में हुई बैठक का उद्देश्य यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों पर चर्चा करना था।

जयशंकर ने बाद में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति की समीक्षा की। यूक्रेन संघर्ष से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की, जिसमें उनकी रियाद बैठक भी शामिल थी। संपर्क में बने रहने पर सहमति हुई।”

रूसी विदेश मंत्रालय ने भी इस बैठक की पुष्टि की और मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों के बीच संवाद जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

वैश्विक कूटनीति में भारत की भूमिका:

पिछले कुछ हफ्तों में जयशंकर ने कई महत्वपूर्ण वैश्विक मंचों पर भाग लिया। जोहान्सबर्ग से पहले, उन्होंने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लिया, जहां 15 फरवरी को उन्होंने यूक्रेन के विदेश मंत्री एंड्री सिबीहा से मुलाकात की। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वाइट हाउस में हुई मुलाकात के एक दिन बाद हुई थी, जिसमें मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के शांति के पक्ष में होने की बात दोहराई।

सिबीहा ने जयशंकर का धन्यवाद करते हुए कहा, “हम भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और व्यापार, प्रौद्योगिकी, कृषि, सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने में रुचि रखते हैं। हम भारत की मजबूत वैश्विक आवाज़ से एक न्यायपूर्ण और स्थायी शांति लाने की उम्मीद करते हैं।”

रियाद वार्ता के नतीजे:

रियाद में अमेरिका और रूस के बीच हुई बैठक में दोनों देशों ने संवाद फिर से शुरू करने, दूतावासों से निष्कासित कर्मचारियों को वापस लाने और आर्थिक ढांचे पर चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की। हालांकि, यूक्रेन और यूरोप के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति ने ट्रांस-अटलांटिक साझेदारी की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भारत ने इन वार्ताओं पर अब तक कोई ठोस रुख नहीं अपनाया है। भारत ने हमेशा “संवाद और कूटनीति” का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था, “यह युद्ध का युग नहीं है” और “समाधान युद्ध के मैदान में नहीं मिल सकते।”

अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव:

रियाद बैठक ने अमेरिकी विदेश नीति में संभावित बदलाव का संकेत दिया है। बाइडन प्रशासन के तहत अमेरिका ने रूस को अलग-थलग करने और यूक्रेन का समर्थन करने की नीति अपनाई थी। इस नई कूटनीतिक पहल से यूरोपीय सहयोगी असहज हैं और उन्होंने पेरिस में बैठक कर अपनी रणनीति पर चर्चा की।

इस बीच, जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की अनुपस्थिति ने ध्यान आकर्षित किया। रूबियो ने बैठक के एजेंडे को “अमेरिका विरोधी” बताते हुए इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका पर “एकजुटता, समानता और स्थिरता” को बढ़ावा देने के नाम पर DEI (डाइवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन) और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया।

रूबियो ने कहा, “मेरा काम अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाना है, न कि करदाताओं के पैसे बर्बाद करना या अमेरिका विरोध को बढ़ावा देना।” DEI नीतियों को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान समाप्त कर दिया गया था।

निष्कर्ष:

जैसे-जैसे वैश्विक कूटनीतिक प्रयास तेज हो रहे हैं, दुनिया भर की निगाहें इन उच्च स्तरीय बैठकों के परिणामों पर टिकी हैं। यह देखा जाना बाकी है कि ये चर्चाएं यूक्रेन संघर्ष और व्यापक भू-राजनीतिक परिदृश्य को कैसे आकार देंगी। भारत, अपनी संतुलित कूटनीति के साथ, शांति स्थापना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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