सर्दी आते ही शुरू हो जाता है हमारा ढेर सारा खाना खाना। कभी केक, कभी गाजर का हलवा। गजक और मूंगफली से तो हमारी रोज की दोस्ती हो जाती है। खाना खाना तो ठीक है लेकिन जब इसका प्रभाव हमारे शरीर पर दिखने लगता है तब हमें लगता है कि अब क्या करें और फिर पार्टी शादी यह सब भी तो सर्दियों में ज्यादा होते हैं ऐसे में हमारे मनपसंद ड्रेस अगर हमारे शरीर पर फिट ही ना हो तो फिर हम क्या करें, तो आज के इस फास्ट दौर में एक ऐसा ही प्रचलन जल्दी-जल्दी प्रचलित हो रहा है जिसे अगर हम आजमाये तो हमारा वेट घटना निश्चित है। वह है इंटिमेट फास्टिंग जिसे अगर हमने अपनी रूटीन में शामिल कर लिया तो हमें अनेकों फायदे होते हैं। तो आइए अब जानते हैं क्या है इंटिमेट फास्टिंग क्या है इसके लाभ और क्या है इसके नुकसान
इंटीमेट फास्टिंग
इंटिमेट फास्टिंग में आपको खाने के बीच में 12 से लेकर 16 घंटे तक का गैप रखना होता है। शुरू शुरू में अगर आपसे 16 घंटे का गैप रखना संभव ना हो तो आप जितना ज्यादा घंटे का गैप रख सकते हैं आप उतना गैप रखें। मान लीजिए आपने रात का खाना 8:00 बजे तक खा लिया है तो आपको अगले दिन सुबह कम से कम 10 बजे तक कुछ नहीं खाना खाना है। अगले दिन अगर आप इतनी देर भूखे ना रह सके तो आप भीगे हुए काले चने या बादाम वगैरा ले सकते हैं। कोशिश करना है कि आप अपनी हर डाइट में प्रोटीन शामिल करें।
इंटिमेट फास्टिंग है हमारे यहां सदियों से चलन में
हमारे पूर्वज शाम 6:00 बजे से पहले अपना भोजन कर लिया करते थे और अगले दिन सुबह 10:00 बजे तक वो वह दोपहर का भोजन कर लिया करते थे। उस समय दूध दही घी भूजा, लाई, चना चबेना, फल, सत्तू, इन्हीं सब चीजों का प्रयोग नाश्ते में होता था। हमारी दादी नानी नाश्ते के लिए अलग से भोजन नहीं बनाती थी। बल्कि नाश्ता होता ही नहीं था। सुबह स्नान ध्यान के बाद सीधे दाल, चावल, सब्जी रोटी एक बार में 10:00 बजे तक खा लिया ली जाता था।उसके बाद अगर दोपहर में भूख लगती थी तो दोपहर की भूख के लिए चना चबेना, सत्तू सभी के लिए काफी था परअब ऐसा नहीं है।
क्या है आज की जीवन शैली का भोजन
अब हम सुबह उठते हैं तो उठते ही हमारे मील शुरू हो जाते हैं। सबसे पहले हम चाय लेते हैं और खाली पेट चाय नहीं लेनी है तो उसके साथ हम बिस्किट जरूर लेते हैं। कुछ डाइट कॉन्शियस लोग शायद बिस्किट ना भी ले ऐसे लोग ड्राई फ्रूट्स, सीड्स तो चाय के साथ लेना पसंद करते ही है। उसके बाद बारी आती है सुबह के नाश्ते की। नाश्ता हल्का होना चाहिए इसलिए हम सब हलवा, परांठा, पुरी पकौड़ी को छोड़कर उपमा, दलिया ओट्स नमकीन जवे पर आ गए हैं। और फिर दोपहर में हम दाल चावल रोटी सब्जी खाते ही है। शाम को 5:00 बजे हमें फिर चाय के साथ कुछ खाने के लिए चाहिए होता है। फिर चाहे वह नमकीन, बिस्किट ही क्यों ना हो।
क्या हमारी भोजन शैली हमें फायदा पहुंचा रही है
हमें खुद याद नहीं रहता कि हम कितनी बार अपने मुंह मैं भोजन डाल चुके होते हैं। भले ही हम कितना हैल्दी खाना खाए हमारे शरीर का वजन बढ़ना तो तय है। क्योंकि हमारा शरीर अपने भोजन को पचाता नहीं है और हम दूसरा मील ले लेते हैं। इससे हमारा डाइजेशन कमजोर हो जाता है साथ ही साथ हमारे शरीर की सारी ऊर्जा भोजन को पचाने में ही लग जाती है। जो भोजन पचता नहीं है वो फिर वसा के रूप में हमारे शरीर में इकट्ठा होता है या फिर हमारी छोटी आज बड़ी आदमी पड़े पड़े सड़ता रहता है और हमें बीमार मोटा और आलसी बनाता है।
इंटिमेट फास्टिंग से कैसे रखें शरीर को फिट
अगर हम अपनी खाने के समय को चार टाइम से दो टाइम में परिवर्तित कर दें तो मोटापे की समस्या का काफी हद तक समाधान मिल सकता है। अगर हम भोजन के समय को दो टाइम नहीं कर पा रहे हैं तो कम से कम हम तीन टाइम ही कर दें। रात का खाना अगर हम स्किप कर देते हैं और फिर सुबह खाते हैं तो यह इंटिमेट फास्टिंग का ही एक रूप है। इससे हमारे पेट को अपने भोजन को पचाने का समय भी मिलेगा और हम स्वस्थ रह पाएंगे।