Sunday, March 9, 2025
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क्या भारत और चीन में हो रही है हाथी और ड्रैगन वाली दोस्ती

लगता है कि चीन भारत से अपने संबंध अच्छे करना चाहता है क्योंकि मुश्किल वक्त में पड़ोसी तो पड़ोसी की मदद करेगा‌। अब जो चीन रूस के साथ मिलकर एक वर्ल्ड ऑर्डर के सपने के बारे में सोच रहा था उसके सपने को डोनाल्ड ट्रंप ने सपना ही रहने दिया है। इस समय की परिस्थितियों को देखकर लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप रूस से अपने संबंध अच्छे करना चाहते हैं। रूस और अमेरिका के संबंध अगर अच्छे होते हैं तो चीन की जगह रूस अमेरिका पर भरोसा करेगा जिसके कारण वर्ल्ड ऑर्डर में रूस चीन का साथ नहीं देगा बल्कि अमेरिका का देगा। ऐसी स्थितियों में चीन को भारत का हाथ पकड़ना समझदारी भरा कदम लग रहा है।
चीनी विदेश मंत्री वांग पी ने भी भारत और चीन को एक दूसरे के लिए सही बताया है। अभी हाल ही में रूस के कजान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक सफल बैठक हुई थी जिसके बाद भारत और चीन के संबंधों में भी सकारात्मक प्रगति आई है। चीन के विदेश मंत्री ने चीन की संसद के वार्षिक सत्र में कहा कि चीन के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री दोनों ही संबंधों में आपकी सुधार के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। जून 2020 में भारत और चीन के संबंध नकारात्मक हो गए थे जब गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच पारस्परिक गतिरोध उत्पन्न हो गए थे।

क्या कहना है चीन के विदेश मंत्री का भारत और चीन के आपसी संबंधों और ग्लोबल साउथ के विषय में?

चीन के विदेश मंत्री ने कहा की ड्रैगन और हाथी को साथ में नाचना ही होगा। भारत और चीन की दौस्ती ही एक मायने में सही विकल्प हो सकती है। एक दूसरे को नीचा दिखाने की बजाय एक दूसरे का समर्थन करना और एक दूसरे से बचने के बजाय सहयोग को मजबूत करना ही हमारे बुनियादी हितों के लिए आवश्यक है। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने नेताओं के बीच बनी आम समझ का ईमानदारी से पालन किया है। सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को भी मजबूत किया गया है और इसी के कई सकारात्मक परिणाम भी हासिल हुए हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में हमारे पास आधिपत्यवाद का विरोध करने में अग्रणी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी है‌ ग्लोबल साउथ उन देशों को कहा जाता है जो कि विकासशील, कम विकसित या अविकसित होते हैं मूल रूप से ये देश अफ्रीका एशिया और लैटिन अमेरिका में हैं। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि हमें न केवल अपने देश के वैध अधिकारों व हितों की रक्षा करनी चाहिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मापदंडों को भी बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति की की बैठक के बाद दोनों देशों को मिलें हैं सकारात्मक नतीजे

चीन के विदेश मंत्री का कहना है कि भारत चीन के संबंध में सकारात्मक प्रगति हुई है और पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य गतिरोध के पिछले वर्ष समाप्त होने के कारण सभी स्तरों पर सकारात्मक नतीजे मिल रहे हैं चीन व भारत में पूर्वी लद्दाख को लेकर पिछले 4 वर्ष से सैन्य गतिरोध चल रहा था।

दोनों देशों के नेता चाहते हैं सार्थक बातचीत

प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा एलओसी पर गश्त लगाने और सैनिकों को पीछे हटाने के लिए एक समझौता किया था जिसका पालन करने के लिए दोनों ही पक्षों ने समर्थन किया और द्विपक्षीय बातचीत के लिए दोबारा से आदेश जारी किए। 23 अक्टूबर 2024 को दोनों देश के नेताओं ने इस बातचीत को बहाल करने के आदेश दिए थे।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग पी ने 18 दिसंबर को विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान इस विषय में सार्थक मीटिंग भी आयोजित की थी। चीन के विदेश मंत्री का कहना है की सीमा या अन्य किसी मुद्दों पर मतभेद होने से विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं होना चाहिए। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे की सफलता में सहयोगी बनना होगा दोनों देशों को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा।

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