ट्रंप टैरिफ से निपटने की भारत की रणनीति: निर्यात बाज़ार का विस्तार और घरेलू मांग को बढ़ावा

India's strategy to deal with Trump tariffs

अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद, भारत सरकार ने तुरंत एक बड़ी रणनीति तैयार की है। इसका उद्देश्य है – निर्यात के नए बाज़ार ढूँढना और घरेलू मांग को मजबूत करना, ताकि अमेरिकी बाज़ार से संभावित 48 अरब डॉलर के नुकसान की भरपाई की जा सके।

भारतीय निर्यात को झटका: श्रम-प्रधान उद्योग सबसे प्रभावित

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने सरकार को चेताया है कि ट्रंप के इस फैसले से टेक्सटाइल, लेदर, श्रिम्प और ज्वेलरी जैसे श्रम-प्रधान सेक्टर को गहरा झटका लग सकता है। इन क्षेत्रों में लाखों लोग कार्यरत हैं और सीधे तौर पर उनकी आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।

भारत का त्वरित एक्शन प्लान

सूत्रों के अनुसार, वाणिज्य मंत्रालय अगले 72 घंटों में कई अहम बैठकों का आयोजन करेगा। इसमें उद्योग जगत, ट्रेड प्रतिनिधियों और अन्य देशों के अधिकारियों के साथ बातचीत होगी। लक्ष्य है कि भारत अपने उत्पादों को एक “विश्वसनीय, टिकाऊ और नवाचार-आधारित आपूर्तिकर्ता” के रूप में पेश कर सके।

40 देशों पर फोकस

भारत पहले से ही 200+ देशों को निर्यात करता है, लेकिन अब खास ध्यान 40 देशों (जैसे इंग्लैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय राष्ट्र) पर दिया जाएगा। ये देश कुल 590 अरब डॉलर का टेक्सटाइल और अपैरल आयात करते हैं और भारत के लिए बड़े अवसर लेकर आ सकते हैं।

किन सेक्टरों पर असर?

  • टेक्सटाइल और अपैरल – FY25 में भारत ने अमेरिका को 37 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जिस पर अब 50% शुल्क लगेगा।

  • लेदर इंडस्ट्री – आगरा के निर्यातकों के अनुसार, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों से बड़ी उम्मीद है।

  • जेम्स एंड ज्वेलरी – डायमंड और सोने-चाँदी के व्यापार में तुर्किये और थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को लाभ हो सकता है।

  • श्रिम्प फार्मिंग – आंध्र प्रदेश के किसान चिंतित हैं क्योंकि इस सेक्टर पर 60% तक का टैरिफ लगाया गया है। चीन, स्पेन और जापान नए संभावित बाज़ार हो सकते हैं।

अफ्रीका और लैटिन अमेरिका: नए अवसर

भारत सरकार अब अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में व्यापार बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठा रही है।

  • भारत-अफ्रीका व्यापार पहले ही 100 अरब डॉलर के पार है और 2021 में हुए African Continental Free Trade Agreement से इसमें और बढ़ोतरी की संभावना है।

  • लैटिन अमेरिका के साथ भारत का व्यापार FY28 तक 100 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।

घरेलू खपत को बढ़ावा

विदेशी झटकों से बचने के लिए सरकार ने घरेलू खपत बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया है। इसके तहत GST सुधार योजना लाई जाएगी, जिससे गाड़ियों, घरेलू उपकरणों और रोज़मर्रा की वस्तुएँ सस्ती हो सकती हैं।

राहत की खबर

सभी निर्यात पर असर नहीं होगा। लगभग 30% निर्यात (27.6 अरब डॉलर) अमेरिकी बाज़ार में बिना शुल्क के जारी रहेगा। इसमें खास तौर पर फार्मा और API (Active Pharmaceutical Ingredients) शामिल हैं, जो भारत के लिए बड़ी राहत है।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले ने भारतीय निर्यात को बड़ी चुनौती दी है। हालांकि, भारत सरकार की सक्रिय रणनीति – नए देशों में निर्यात बढ़ाना और घरेलू मांग को प्रोत्साहित करना – इस झटके को अवसर में बदल सकती है।

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