अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में अमेरिका का दौरा करेंगे। यह घोषणा दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद की गई, जो 20 जनवरी को ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के बाद पहली बार हुई।
ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, “वह (पीएम मोदी) फरवरी में अमेरिका आएंगे,” यह जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दी। यह बातचीत उस समय हुई है जब राजनयिक हलकों में दोनों नेताओं के बीच जल्द मुलाकात कराने की संभावनाओं पर चर्चा हो रही थी।
प्रवास और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा
इस बातचीत के दौरान ट्रंप ने प्रवास के मुद्दे को उठाया और कहा कि भारत अवैध प्रवासियों को वापस लेने के मामले में “सही कदम” उठाएगा। अमेरिका में अवैध प्रवासियों पर सख्ती का ट्रंप का संकल्प उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने में एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है, खासकर पिछली बार जो बिडेन के हाथों हारने के बाद।
पीएम मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली बार सितंबर में अमेरिका का दौरा किया था, जहां उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा आयोजित चौथे क्वाड लीडर्स समिट में हिस्सा लिया था। इस बैठक में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भी शामिल हुए थे। उसी यात्रा के दौरान, मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘भविष्य का शिखर सम्मेलन’ को भी संबोधित किया था।
हाल ही में ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया, जो दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक है।
व्हाइट हाउस का बयान
व्हाइट हाउस के अनुसार, मोदी और ट्रंप के बीच बातचीत को “उपयोगी” बताया गया, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग को गहरा और मजबूत करने पर जोर दिया गया। नेताओं ने पीएम मोदी के आगामी व्हाइट हाउस दौरे की तैयारियों पर भी चर्चा की और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की मजबूती को रेखांकित किया।
बयान में यह भी कहा गया कि दोनों नेताओं ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक क्वाड गठबंधन को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। इसमें भारत की मेजबानी में इस वर्ष होने वाले क्वाड लीडर्स की बैठक का विशेष उल्लेख किया गया।
दोनों देशों के बीच सहयोग को और प्रगाढ़ करने के संकल्प के साथ, पीएम मोदी की आगामी फरवरी यात्रा से दुनिया के दो प्रमुख लोकतंत्रों के रिश्तों में नई मजबूती आने की उम्मीद है।