भारत-यूके ट्रेड डील: मोदी और स्टारमर ने साइन किया £6bn का समझौता
भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता 22 जुलाई 2025 को साइन किया गया, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टारमर ने एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता भारतीय वस्त्र, फुटवियर, ज्वेलरी और अन्य उत्पादों के ब्रिटेन में निर्यात को सस्ता करेगा, वहीं ब्रिटेन से चिकित्सा उपकरण, एयरस्पेस पार्ट्स और लक्जरी कारों का भारतीय बाजार में प्रवेश और भी सस्ता होगा।
मुख्य बिंदु:
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टैक्सों में कमी:
इस समझौते के तहत, भारत में ब्रिटिश सामानों के आयात पर लगाए गए शुल्कों में भारी कमी की गई है। उदाहरण के लिए, व्हिस्की पर शुल्क 150% से घटकर 75% हो गया है, और 2035 तक इसे 40% तक घटाने का लक्ष्य है। इसके साथ ही, भारतीय टेक्सटाइल, फुटवियर, और ज्वेलरी को ब्रिटेन में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी। -
भारत-यूके व्यापारिक संबंधों में वृद्धि:
इस समझौते के जरिए, भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार बढ़ेगा और भारत को ब्रिटिश उत्पादों जैसे चिकित्सा उपकरण, एयरस्पेस पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान का बेहतर एक्सेस मिलेगा। यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक विकास में मदद करेगा और 2,200 से अधिक नौकरियों का सृजन करेगा। -
कारों और ऑटो पार्ट्स पर शुल्क में कमी:
यूके से भारत को आने वाले वाहनों और ऑटो पार्ट्स पर 15% शुल्क लगाया जाएगा, जो अब तक के 25% से कम है। यह भारतीय बाजार में ब्रिटिश वाहनों की पहुंच को आसान बनाएगा। -
नए निवेश और संयुक्त कार्य:
समझौते के तहत, जापान के £550 बिलियन के निवेश का ऐलान किया गया है, जो भारतीय बाजार में ब्रिटिश कंपनियों के लिए नए व्यावसायिक अवसर उत्पन्न करेगा। इसके अलावा, भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा, शिक्षा, जलवायु, तकनीकी और नवाचार के क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ेगा। -
भारत-यूके के लिए नई योजना:
इस समझौते के साथ, एक नई योजना शुरू की जाएगी, जो अवैध प्रवासन की समस्या से निपटने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करने की अनुमति देगी। -
नोकरी और सामाजिक सुरक्षा में सुधार:
भारत और यूके के बीच सामाजिक सुरक्षा योजना का विस्तार किया गया है। भारतीय कर्मचारियों को ब्रिटेन में काम करने के दौरान दोहरी सामाजिक सुरक्षा शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टारमर ने कहा कि यह समझौता ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन का सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक समझौता है। उन्होंने कहा, “यह समझौता इस सरकार ने किया है और इसके साथ हम यह संदेश दे रहे हैं कि ब्रिटेन व्यापार के लिए खुला है।”
ब्रिटिश व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस समझौते के लाभों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह भारतीय कामकाजी श्रेणी को ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा योगदान में रियायत देगा। इसके साथ ही भारतीय श्रमिकों को ब्रिटेन में उन देशों के साथ समान अधिकार मिलेंगे, जिनके साथ पहले से ऐसे समझौते हैं।
विरोध और समर्थन:
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विरोध:
विपक्ष ने इस समझौते की आलोचना की है, खासकर ब्रिटिश श्रमिकों की स्थिति पर। उन्होंने कहा कि इस डील से ब्रिटिश श्रमिकों की स्थिति कमजोर हो सकती है, क्योंकि भारतीय श्रमिकों को यहां समान अधिकार प्राप्त होंगे। हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने इस पर स्पष्ट किया कि कोई भी भारतीय श्रमिक ब्रिटिश श्रमिकों से सस्ता नहीं होगा। -
समर्थन:
भाजपा और ब्रिटिश सरकार दोनों इस समझौते को ऐतिहासिक मानते हैं, जो दोनों देशों के बीच सहयोग और व्यापार को बढ़ावा देगा। भारतीय कंपनियां अब ब्रिटेन में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकती हैं, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
निष्कर्ष:
भारत और ब्रिटेन के बीच £6bn की इस व्यापार डील से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को नई दिशा मिलेगी। इससे न केवल व्यापार बढ़ेगा बल्कि दोनों देशों के बीच सुरक्षा, तकनीकी, जलवायु और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्रों में भी बेहतर सहयोग की संभावना है। हालांकि, इसे लेकर कुछ चिंताएं भी हैं, लेकिन यह समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।