Monday, March 31, 2025
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भारत बनाएगा 126 लड़ाकू विमान, चीन-पाकिस्तान में खलबली।

भारतीय वायुसेना (IAF) की क्षमता वृद्धि के लिए 126 लड़ाकू विमानों के निर्माण की योजना पर चर्चा हाल के वर्षों में जोरों पर है। यह कदम चीन और पाकिस्तान की बढ़ती हवाई शक्ति के बीच भारत की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। इस लेख में, हम इस योजना के विभिन्न पहलुओं, वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और संभावित प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

निष्कर्ष

126 लड़ाकू विमानों के निर्माण की यह योजना भारतीय वायुसेना की क्षमता वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन उचित रणनीतियों और समन्वय के माध्यम से इन्हें पार किया जा सकता है। यह पहल न केवल भारत की सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करेगी।

पृष्ठभूमि

भारतीय वायुसेना की वर्तमान में लड़ाकू विमानों की संख्या 1965 के बाद से सबसे निचले स्तर पर है। यह स्थिति चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाओं की बढ़ती क्षमता के मुकाबले चिंता का विषय है। चीन ने हाल ही में छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया है और पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी के 40 स्टेल्थ फाइटर जेट J-35 देने की योजना बना रहा है। इन परिस्थितियों में, भारतीय वायुसेना की क्षमता में वृद्धि अत्यंत आवश्यक हो गई है।

126 लड़ाकू विमानों की योजना

भारतीय वायुसेना ने 126 नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता को पहचानते हुए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इस योजना का उद्देश्य वायुसेना की कम होती संख्या को बढ़ाना और आधुनिक तकनीक से लैस विमानों को शामिल करना है। यह कदम भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने और संभावित खतरों का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है।

स्वदेशी उत्पादन की दिशा में कदम

India 5th Gen Fighter Jet

इस योजना के तहत, भारत स्वदेशी डिजाइन, विकास और उत्पादन पर विशेष ध्यान दे रहा है। रक्षा मंत्रालय ने इस उद्देश्य के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसका नेतृत्व रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह कर रहे हैं। यह समिति स्वदेशी परियोजनाओं के माध्यम से वायुसेना की क्षमता वृद्धि के तरीकों पर विचार करेगी।

चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि, इस योजना के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। उदाहरण के लिए, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Mk1a परियोजना में अमेरिकी आपूर्तिकर्ता GE द्वारा आपूर्ति श्रृंखला समस्याओं के कारण देरी हो रही है। इसके अलावा, रूस से S-400 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति में भी विलंब हो रहा है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, भारत को अपनी स्वदेशी उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देना होगा और वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की खोज करनी होगी।

चीन और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

भारत की इस योजना से चीन और पाकिस्तान की चिंताएँ बढ़ सकती हैं। पाकिस्तान को J-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स की आपूर्ति और चीन की छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के विकास के बीच, भारत की यह पहल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। यह संभव है कि इन देशों की वायुसेनाएँ अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए नए कदम उठाएँ।​​

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