ठंड में सुबह जल्दी उठना एक महाभारत लगता है। शाम होते ही सब लोगअपने-अपने बिस्तरों में घुस जाते हैं। जब सूरज दर्शन देता है तब तो फिर भी ईश्वर की कृपा होती है लेकिन जब भयंकर ठंड पड़ती है तब तो सूरज भगवान भी दर्शन देना भूल जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सर्दी में सिर्फ ठंडी लगती है। सर्दियों का मौसम ठंड के साथ-साथ लेकर आता है ढेर सारे व्यंजन। मीठे, नमकीन, तीखे जाने कितने तरह के स्वादों का इंतजार सर्दी के मौसम में होता है।
सर्दियों में हम खाते हैं गाजर का हलवा, गजक, रबड़ी,केक, मूंगफली समोसे, जलेबी, गोभी ,मूली आलू के पराठे। ऐसे न जाने कितने व्यंजन हम सर्दियों में अपने पेट के हवाले कर देते हैं और फिर जब हमारा वजन बढ़ने लगता है तो हमें चिड़चिड़ाहट होने लगती हैं। पर बात तो फिर वही अटक जाती है जब हम खाते तो ढेर सारा है पर उसे घटाने की सोचते ही हमें ठंड लगने लगती है। रही सही कसर सर प्रदूषण और कोहरा कर देते हैं। जैसे-जैसे सूरज दिखना बंद होता है हम भी अपने खोल में बंद होने लगते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत तो बुजुर्ग व्यक्तियों को होती है एक उम्र के बाद आपको खाना ही सबसे प्यारा लगने लगता है। क्योंकि कोई जिम्मेदारियां बचती ही नहीं है करने के लिए।आप की सारी जिंदगी संघर्ष में बीत जाती है। और फिर बुढ़ापे में आप अपनी बहुत सारी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं जो आप बहुत पीछे छोड़ आए हैं फिर चाहे वह गाजर का हलवा खाना हो या मटर की कचौड़ी। पर दिक्कत तो तब आती है जब हम खा तो ढेर सारा लेते हैं लेकिन उसे पचाना मुश्किल लगने लगता है।जैसे-जैसे वजन बढ़ता है हमें हमारा शरीर ही बोझ लगने लगता है। ऐसे में व्यक्ति तन व मन दोनों से कमजोर होने लगता है। दूसरी तरफ शाम 6:00 बजते ही कोहरा और ठंड सड़कों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। जाड़ों में तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल होता है फिर ऐसे मौसम में कैसे रखें अपने तन व मन दोनों का ध्यान।
सर्दियों में तन को कैसे रखें स्वस्थ
सर्दियों में जरूरी नहीं कि हम सूर्योदय के समय ही उठे हम सुबह 8:00 बजे उठकर भी टहल सकते हैं। 6-6-6 टहलने की पद्धति सर्दियों में बहुत कारगर होती है। सर्दियों में शरीर की मालिश अवश्य करनी चाहिए। मालिश के लिए तिल का तेल सरसों का तेल या नारियल का तेल प्रयोग कर सकते हैं। मालिश हमेशा गुनगुने तेल से ही करनी चाहिए।अगर संभव हो तो सुबह की गुनगुनी धूप में थोड़ी देर बैठना चाहिए। सूर्य नमस्कार एक ऐसा व्यायाम है जो आपको एक व्यायाम में ही अनेकों आसनों के लाभ देता है तो आप समय के अभाव में सूर्य नमस्कार करके ही खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। सूर्य भेदी प्राणायाम करके आप सर्दी जुकाम से खुद को दूर रख सकते हैं। अनुलोम विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका यह सारे प्राणायाम सर्दियों में करने वाले होते हैं इनमें से किसी दो को करके भी आप स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं। बेड पर बैठकर या लेट कर भी आप स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर कर अपने जोड़ों को फ्लैक्सिबल बना सकते हैं। सर्दियों में सबसे ज्यादा तकलीफ उंगलियों ,घुटनों और जोड़ों में ही होती है।अगर आप सुबह शाम स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करेंगे तो आप सर्दियों में भी स्वस्थ रहेंगे।
कैसे रखें मन को स्वस्थ
सर्दियों में खुद को आशावादी बनाए रखें। खुश रहें ।ज्यादा समय तक बिस्तर पर ना रहे। सर्दियों में नहाना कभी टालें नहीं। हल्के गुनगुने पानी से रोज नहाए। भले ही नहाने में ज्यादा समय ना लगाए। सर्दियों में दिन छोटे होते हैं पर रातें बड़ी होती है। रातों में सिर्फ सोकर या बिस्तर पर जाकर अपना समय बर्बाद ना करें अच्छी किताबें पढ़कर अपनी पसंद के टीवी सीरियल देखकर गाने सुनकर जो भी आपको अच्छा लगे अवश्य करें। अगर आपको गार्डनिंग का शौक है तो सुबह शाम थोड़ा सा समय पौधों को भी दीजिए यकीन मानिए यकीन मानिए मन को स्वस्थ रखने में पौधों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है।
अपने मन को स्वस्थ रखें। सुबह शाम आपके जो भी ईष्ट उनका व भगवान का ध्यान अवश्य करें।
सारांश
सर्दियों का मौसम भले ही आपको मुश्किलों से भरा लगता हो लेकिन अगर आपने इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा तो आपकी सर्दियां खुशनुमा हो जाएगी और आप हर साल इंतजार करेंगे सर्दियों के आने का
आप इन सब बातों का ध्यान रखकर सर्दी के मौसम में भी तन और मन दोनों से स्वस्थ रह सकते हैं
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