न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के कर्मचारियों ने बताया कि आरबीआई ने 122 करोड रुपए की धांधली का पता कैसे लगाया।
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी ने किया खुलासा
कर्मचारियों ने बताया कि बैंक में अनियमिताओं का पता तब लगा जबकि न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की प्रभादेवी शाखा मैं बैंक के कोऑपरेटिव कार्यालय और गोरेगांव शाखा का ऑडिट किया।
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के कर्मचारी ने की थी शिकायत
बैंक के वरिष्ठ कर्मचारियों ने बैंक में चल रही अनियमितताओं की शिकायत आरबीआई से की थी और जब आरबीआई ने 12 फरवरी को बैंक में ऑडिट किया तो वह कर्मचारी बैंक में मौजूद थे। जब आरबीआई के उप महा प्रबंधक रविंद्र और एक अन्य अधिकारी संजय कुमार बैंक में ऑडिट के लिए गए तो उस समय बैंक में बैंक मैनेजर, सहायक महाप्रबंधक और आरोपी जीएम और शिकायतकर्ता लेखा प्रमुख हितेश मेहता और अन्य बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ऑडिट के लिए उपस्थित थे। आरबीआई अधिकारी कर्मचारी द्वारा बताए गए तीसरी मंजिल पर पहुंचे जहां पर बैंक का लॉकर था। आरबीआई ऑफीसर्स ने बैंक कर्मचारी अतुल महादेव से चाबीयां ली। कई घंटों तक यह जांच चली। जांच में आरबीआई अधिकारियों को पता चला की रजिस्टर में मौजूद धनराशि और लॉकर में मौजूद धनराशि में काफी अंतर है। आरबीआई ऑफीसर्स ने बैंक के सीनियर्स एम्पलाइज को बताया कि इस समय 122 करोड रुपए बैंक से मिसिंग है। दूसरी तरफ न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की गोरेगांव शाखा की जांच की गई और वहां पर भी नकदी में हेर फेर पाई गई।
कर्मचारी ने बताया उस दिन के घटनाक्रम के बारे मे
कर्मचारी ने बताया कि आर बी आई आफिसर्स ने हमसे कहा कि अगर आपने हमें नहीं बताया कि पैसा कहां है तो आप परेशानियों में पड़ जाएंगे। आर बी आई आफिसर्स ने हमसे कहा कि अगर हम चाहे तो हम ईमेल के जरिए भी अपनी बात बता सकते हैं। उस समय गमन करता मेहता भी वहां मौजूद थे उन्हें बाद में आरबीआई ने अलग से डिस्कशन के लिए बुलाया। जब आरबीआई ने उनसे नकदी के विषय में पूछताछ की तो मेहता जी ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने नकदी का हेर फेर किया है। मेहता ने कहा कि उन्होंने यह पैसा लोगों में निवेश के लिए बांट दिया है और उन्होंने अपने लोगों को कोविड-19 के समय भी काफी पैसा दिया था।
दादर पुलिस ने दर्ज की एफ आई आर
दादर पुलिस ने एक एफ आई आर लॉन्च कर ली है। दादर पुलिस ने आगे की कार्यवाही के लिए यह केस मुंबई पुलिस की अपराध शाखा इकोनामिक ऑफेंस विंग ईओडब्ल्यू के हवाले कर दिया है। मुंबई पुलिस ने शनिवार को मेहता के घर की तलाशी ली और उसे गिरफ्तार कर लिया।
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया मैनेजर के साथी को
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने संडे को धर्मेश पौन एक निवेशक जो की कांदिवली से है को गिरफ्तार कर लिया है। धर्मेश की न्यू इंडिया कॉरपोरेशन बैंक के 122 करोड रुपए के घोटाले में संलिप्तता बताई जा रही है। बैंक के जनरल मैनेजर मेहता ने धर्मेश पौन को निवेश करने के लिए 70 करोड रुपए दिए थे। दोनों अपराधियों को 21 फरवरी तक के लिए डिमांड में रखा जाएगा। मेहता 1988 से न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के साथ है और अभी अगले साल ही मेहता का रिटायरमेंट होने वाला था।
मेहता ने लिख कर दिया कि उन्होंने निवेश के लिए पैसे को दिया था अपने जानने वालों को
जब मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मेहता को गिरफ्तार कर लिया कब उन्होंने बताया कि उन्होंने फोन को 70 करोड रुपए दिए थे जिसने कि उन्हें कुछ सालों पहले एक फ्लैट बचा था और मेहता ने बताया कि उन्होंने तीसरे आरोपी अरुण भाई को भी निवेश के लिए पैसे दिए थे। इस समय अरुण भाई फरार है।
कोविड के समय से ही मेहता ने शुरू किया किया करोड़ों का गबन
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कोविड महामारी के बाद से ही मेहता ने गबन शुरू कर दिया था। मेहता ने पौन के रियल एस्टेट में बैंक के 70 करोड रुपए का निवेश किया। जनवरी में मेहता ने 59 लाख रुपए और 2024 के शुरुआत में 1.75 करोड रुपए पौन को दिए थे। बिजली ठेकेदार अरुण भाई के साथ मेहता ने 40 करोड रुपए का निवेश किया था।