देश भर में लगभग 97619 बैंक है। जिनमें 96000 ग्रामीण सहकारी बैंक है। इसके अलावा देश भर में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, 22 निजी क्षेत्र के बैंक, 44 विदेशी बैंक और 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक है। हम सभी अधिकतर सरकारी और बड़े बैंकों में ही अपना लाॅकर और अपना पैसा रखना चाहते हैं। इस समय देश में सबसे बड़ा बैंक एचडीएफसी बैंक है जो कि प्राइवेट बैंक है। उसके बाद आइसीआइसीआइ बैंक का नंबर आता है। उसके बाद एसबीआई का नंबर आता है जो कि एक सरकारी बैंक है। अगर बड़े बैंकों की बात की जाए तो हमारे पास 80 बड़े बैंक है जबकि छोटे बैंकों की संख्या 6000 है। अब सोचने का विषय है कि हम सभी बड़े बैंकों में ही अपना पैसा क्यों जमा करते हैं, क्या छोटे बैंकों पर हमें भरोसा नहीं है। जी हां नहीं है क्योंकि जितना बड़ा बैंक होगा उतने ज्यादा उसके कस्टमर होंगे और उसके दिवालिया होने का खतरा उतना ही कम होगा बैंक दिवालिया होते क्यों है आईए जानते हैं
कैसे चलता है बैंक का खर्च
बैंक ग्राहकों के पैसे से चलते हैं। बैंक ग्राहकों को उसके जमा पैसे पर ब्याज देते हैं और जमा पैसों को उन लोगों को लोन देने में या बाॅन्ड में निवेश करने में लगाते हैं। बैंक का खर्च उनकी असैट से चलता है। जब बैंकों की लायबिलिटी असैट से ज्यादा हो जाती है तो वो बैंक अपना खर्चा पूरा नहीं कर पाते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कि बैंकों में लोग अपना पैसा जमा नहीं करते या असुरक्षा की भावना के कारण लोग अपना जमा पैसा निकालने लगते हैं। जब लोग बैंकों से अपना पैसा निकलने लगते हैं तो बैंक दिवालिया होने लगते हैं क्योंकि उनके पास असैट से ज्यादा लायबिलिटी हो जाती है और इसी को बैंक का डूबना कहा जाता है
कैसे होता है बैक दिवालिया
जब ग्राहक बैंक से अपने सारे पैसे निकालने लगते हैं तो बैंक के सामने बैकरन की स्थिति हो जाती है। ग्राहकों का पैसा देने के लिए और अपने खर्चे पूरे करने के लिए बैंक को फिर अपने निवेश किए गए बाॅन्ड को बेचना पड़ता है। जिससे बैंक में आर्थिक संकट उत्पन्न होने लगता है। बैंक डूब जाता हैं और दिवालिया हो जाता है।
बैंकों के दिवालिया होने पर क्या ग्राहकों को मिलता है उनका पैसा
बैंकों के दिवालिया होने पर ग्राहकों को नये नियमों केअंतर्गत अधिकतम ₹ पाच लाख मिलते हैं। अगर आपके बैंक में इससे ज्यादा अमाउंट हो तब भी आपको अधिकतम 5 लख रुपए ही मिलेंगे। सरकारी गैर-सरकारी सभी बैंकों में यही नियम लागू होता है। 1960 से रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुविधा शुरू की थी। जिस पर बैंकों के डूबने पर ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन डीआईसीजीसी के अंतर्गत ग्राहकों को बैंक में जमा राशि पर इंश्योरेंस कवर मिलता है। भारत में यह राशि 4 फरवरी 2020 से पहले ₹100000 हुआ करती थी।
क्या है यह रिजर्व बैंक का नियम
इस नीति के अंतर्गत जिस तारीख को बैंक का लाइसेंस रद्द किया जाता है या बैंक बंद करने की घोषणा की जाती है। उस तारीख पर ग्राहक के जमा धनराशि पर ब्याज मिलाकर अधिकतम पांच लाख रुपए ही ग्राहक को मिलते हैं। चाहे फिर उसके अकाउंट में कितने ही पैसे क्यों न जमा हो।