Saturday, December 21, 2024
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गुकेश की ऐतिहासिक जीत: सबसे युवा विश्व चैंपियन बनकर रचा इतिहास

पूर्व विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्परोव ने भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश की ऐतिहासिक जीत की जमकर प्रशंसा की है। हाल ही में गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया, और इसके साथ ही वह सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाले खिलाड़ी बन गए। केवल 18 वर्ष की उम्र में, गुकेश ने मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर यह खिताब अपने नाम किया। इस जीत के साथ, उन्होंने 1985 में 22 साल की उम्र में यह खिताब जीतने वाले कास्परोव का लगभग चार दशक पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया।
गैरी कास्परोव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर गुकेश की जीत की तारीफ करते हुए लिखा, “मेरी बधाई @DGukesh को। उन्होंने शतरंज के खेल की सबसे ऊंची चोटी पर विजय प्राप्त की है: अपनी मां को गर्व महसूस कराया।”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “गुकेश ने अपनी उम्र को देखते हुए हर बाधा और विरोधी को शानदार तरीके से परास्त किया। इससे अधिक कुछ नहीं मांगा जा सकता। आज का दिन इस खेल की ऐतिहासिक परंपरा में एक नया अध्याय है।”

डिंग की गलती पर कास्परोव का बचाव

14 खेलों की इस रोमांचक चैंपियनशिप में गुकेश ने 7.5-6.5 के अंतर से जीत दर्ज की। हालांकि, निर्णायक 14वें गेम में डिंग लिरेन की चूक चर्चा का बड़ा विषय बनी। जबकि पूर्व विश्व चैंपियन व्लादिमीर क्रैमनिक ने डिंग की गलती पर कड़ी आलोचना की और इसे “शतरंज के अंत” तक कह दिया, कास्परोव ने अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया।
कास्परोव ने डिंग की गलती को ज्यादा महत्व नहीं दिया और कहा कि गलतियां शतरंज का हिस्सा हैं, चाहे खेल कितना ही बड़ा क्यों न हो। उन्होंने पूछा, “कौन सी विश्व चैंपियनशिप बिना गलती के हुई है?” उन्होंने अपने और अन्य दिग्गज खिलाड़ियों के करियर की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि खेल के दबाव में गलतियां होना स्वाभाविक है।
उन्होंने 2014 में मैग्नस कार्लसन और विश्वनाथन आनंद के बीच हुए विश्व चैंपियनशिप मैच का उदाहरण दिया, जिसमें “g6” की दोहरी गलती हुई थी। कास्परोव ने कहा, “इस चैंपियनशिप में खेल का स्तर बहुत ऊंचा था, पिछले मैचों के बराबर। डिंग ने शानदार प्रतिरोध दिखाया। गलतियां खेल का हिस्सा हैं और इससे बचा नहीं जा सकता।”

भारतीय शतरंज के लिए एक नया युग

गुकेश की जीत केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय शतरंज के लिए एक नया युग लेकर आई है। कास्परोव ने कहा कि शतरंज अपने “मूल” यानी भारत में वापस आ रहा है और यह जीत भारतीय शतरंज के पुनर्जागरण का प्रतीक है।
“गुकेश ने खुद को बेहतरीन तरीके से तैयार किया और इस प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी ने जीत दर्ज की। उनकी यह जीत भारत के लिए एक असाधारण वर्ष का समापन है। ओलंपियाड में भी भारत का दबदबा दिखा और अब ‘विश्वनाथन आनंद के बच्चों’ का युग शुरू हो चुका है,” उन्होंने कहा।
कास्परोव ने यह भी कहा कि गुकेश की जीत एक प्रेरणा होनी चाहिए और भारतीय शतरंज को अब इस ऊंचाई को और बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने लिखा, “सबसे ऊंची चोटी पर विजय प्राप्त की गई है। अब लक्ष्य इसे और ऊंचा करना होना चाहिए। मेरी शुभकामनाएं। यह केवल शुरुआत है।”


 

कास्परोव की अपनी यादें

गुकेश की ऐतिहासिक जीत ने कास्परोव को उनके खुद के सफर की भी याद दिलाई। उन्होंने एक संयोग की ओर इशारा किया कि 12 दिसंबर को ही उनकी पहली विश्व चैंपियनशिप में एक बड़ी उपलब्धि हुई थी।
“वैसे, आज 12/12 पर मैंने गौर किया कि यह मेरे करियर के एक महत्वपूर्ण पड़ाव की 40वीं वर्षगांठ भी है। 1984 में, आज के दिन मैंने कारपोव के खिलाफ अपने पहले मैच में पहली जीत हासिल की थी। यह वह कदम था जिसने मेरी प्रतिष्ठा को बचाने की शुरुआत की,” कास्परोव ने कहा।
1985 में, कास्परोव ने अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी अनातोली कारपोव को हराकर सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। यह रिकॉर्ड लगभग 40 वर्षों तक अटूट रहा, जिसे अब भारत के गुकेश ने अपने नाम कर लिया है।

गुकेश की जीत का महत्व

गुकेश की इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल उन्हें महान खिलाड़ियों की श्रेणी में शामिल किया है, बल्कि यह वैश्विक शतरंज के परिदृश्य को भी बदलने वाला पल है। इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि युवा खिलाड़ी भी सबसे ऊंचे स्तर पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
कास्परोव ने अपनी बधाई में कहा, “गुकेश की यह जीत सिर्फ शतरंज के लिए नहीं, बल्कि भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।” यह जीत न केवल गुकेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।

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