Friday, January 3, 2025
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जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉलटर स्टीनमियर ने भंग किया जर्मनी की संसद को 23 फरवरी से पहले होंगे दोबारा चुनाव

जर्मन राष्ट्रपति फ्रेंक वाल्टर स्टीनमियर ने जर्मनी की संसद को भंग कर दिया है।ऐसा उन्होंने स्कोल्ज गठबंधन की सरकार के टूटने के बाद किया है। दोबारा चुनाव कराने का समय 23 फरवरी निश्चित किया गया है यह चुनाव समय से पहले होंगे।

ओलाफ स्कोल्ज की गठबंधन की सरकार निरस्त

स्कोल्ज 16 दिसंबर को विश्वास मत हार गए थे। जिसके कारण अब वह अल्पमत की सरकार चला रहे थे उनका तीन दलों का गठबंधन था जिसे जर्मनी में पसंद नहीं किया जा रहा था। आपस में उन सब के बीच में विरोध चल रहा था।ओलाफ स्कोल्ज ने जर्मनी की स्थिर अर्थव्यवस्था को पुनःजीवित करने के लिए अपने वित्त मंत्री को बर्खास्त कर दिया था क्योंकि उनका अपनी वित्त मंत्री से विवाद हो गया था।

क्या कहना है जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रेंक वाल्टर स्टीनमियर का

स्टीनमियर ने कहां कि यह निर्णय पार्टी नेताओं से परामर्श के बाद लिया गया है। संसद में स्कोल्ज की सरकार के लिए बहुमत पर राजनीतिक दलों में आपसी सहमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में हमें ऐसी सरकार चाहिए जो कि स्थिर हो और कार्यवाही करने में सक्षम हो। हमें ऐसी सरकार चाहिए जिसे विश्वसनीय बहुमत हासिल हो इसलिए हमें लगता है कि हमारे देश की भलाई के लिए नए चुनाव एकमात्र विकल्प है।

स्टीन मियर पर क्यों निर्भर था कि वह संसद को भंग करके चुनाव बुलाए या नहीं

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी का संविधान संसद को खुद को भंग करने की अनुमति नहीं देता इसलिए यह राष्ट्रपति पर निर्भर होता है कि वह दोबारा संसद को भंग कर कर चुनाव कराए या नहीं। राष्ट्रपति को 21 दिन में या निर्णय लेना होता है। अगर चुनाव भंग हो जाते हैं तो 60 दिनों के भीतर दूसरे चुनाव कराने होते हैं।

जर्मनी में क्यों चौथी बार भंग हुई संसद

जर्मनी में चुनावी प्रक्रिया में पारंपरिक रूप से गठबंधन बनते हैं सर्वेक्षणों के द्वारा पता लगाया जाता है कि कोई पार्टी अपने दम पर पूर्ण बहुमत के नजदीक है या नहीं। चुनाव के बाद कई हफ्तों तक बातचीत होती है।

जर्मनी में पहले भी तीन बार संसद को समय से पहले भंग किया गया है 1972 में चांसलर विली ब्रांड, 1982 में हेल्मुट कोहल और 2005 में गैरहार्ड श्रोएडर के समय में भी ऐसा हुआ था। 2005 में श्रोएडर ने विश्वास मत का प्रयोग कर समय से पहले चुनाव करवाए थे। जिसमें दक्षिणपंथी व उनकी विरोधी एंजेला मर्केल कुछ वोटो से उनसे जीत गई थी।

जर्मनी में क्या रहने वाले हैं अगले चुनाव के मुद्दे

अब जबकि चुनाव का होना तय है और कई प्रमुख दलों के नेताओं ने 23 फरवरी को चुनाव की तिथि रखने के लिए हामी जता दी है। यह तिथि होने वाले चुनाव से 7 महीने पहले की है। तो मुद्दे क्या होंगे सोचने का विषय है। इस बार चुनाव के मुद्दे अप्रवासन, अर्थव्यवस्था की गति को कैसे बढ़ाया जाए। यूक्रेन की रूस के साथ युद्ध में कैसे मदद की जाए आदि रहने वाले हैं।

स्टीनमियर ने मतदान में बाहरी हस्तक्षेप को बताया लोकतंत्र के लिए खतरा

राष्ट्रपति का कहना है कि मतदान में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। हो चाहे वह गुप्त हो हाल ही में रोमानिया चुना , चाहे वह स्वतंत्र रूप से अभी स्पष्ट रूप से प्लेटफार्म एक्स द्वारा गहनता से अभ्यास किया जा रहा है एक रोमानिया अदालत ने देश के राष्ट्रपति के पहले चुनाव को रद्द कर दिया था इस तरीके के आरोप के सामने आने पर रूस ने जीतने वाले दूर दराज के बाहरी उम्मीदवार को आगे बढ़ाने के लिए एक संबंधित ऑनलाइन प्रोग्राम भी चलाया था।

किस पार्टी के जीतने के हैं चांसेस

इस समय अप्रवास विरोधी अल्टरनेटिव आफ जर्मनी एफडी पार्टी को अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। इस पार्टी ने एलिस वीडेल को कुलपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। लेकिन अन्य पार्टियों के लोग उनके साथ काम नहीं करना चाहते। जिससे उनके जीतने के चांसेस कम हैं। सर्वेक्षण के नतीजे से लगता है कि कोई भी पार्टी अकेले नहीं जीत पाएगी दो या तीन दलों को आपस में मिलकर सरकार बनानी होगी इसके लिए लंबे समय तक बातचीत होगी। स्कोल्ज की पार्टी विपक्षी संघ ब्लॉक से पीछे चल रही है। पर्यावरणवादी ग्रीन्स के उपकुलपति रॉबर्ट हैबेक 20 जो स्कोल्ज की पार्टी में भागीदार हैं भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि अगली सरकार कम से कम एक अन्य पार्टी के साथ गठबंधन करके बनेगी

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