फ्रांस के दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोट दिया। जिसमें प्रधानमंत्री मिसाइल बर्नर अविश्वास प्रस्ताव हार गए हैं। अब प्रधानमंत्री मिशेल बर्नियर को इस्तीफा देना पड़ेगा। अविश्वास प्रस्ताव को पारित करने के लिए 268 फोटो की कम से कम आवश्यकता थी। जिसमें से 331 वोट फ्रांस के दक्षिण पंथी और वामपंथी सांसदों ने बुधवार को बजट विवाद के कारण एक साथ मिलकर मतदान किया। जिसके कारण प्रधानमंत्री मिशेल बर्नियर को और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा फ्रांस में 60 साल के बाद ऐसा हुआ है।
क्या कहना है राष्ट्रपति मैक्रो का
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो ने कहा कि 2027 तक वह अपना शेष कार्यकाल पूरा करेंगे। नये विधानसभा चुनाव जुलाई तक होंगे। चुनाव के बाद नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा। वो आज शाम को फ्रांसीसीयों को संबोधित करेंगे। राष्ट्रपति मैक्रो का कहना है कि जुलाई तक मंत्रियों को मिलजुल कर सरकार चलानी पड़ेगी। फ्रांस में 1 साल से पहले चुनाव न कराने का नियम है। मैक्रो ने दक्षिणपंथी नेताओं की अविश्वास प्रस्ताव में शामिल होने की आलोचना की है। और इसे संशय में डालने वाला कहा है। मैक्रो का कार्यकाल अभी 2 साल तक रहने वाला है। जिसके कारण फ्रांस में उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है। व्यावहारिक रूप से मैक्रो बर्नियर और उनके मंत्रियों को अगले चुनाव तक सत्ता संभालने की जिम्मेदारी दे सकते हैं लेकिन इसमें बजट पारित करने के लिए विशेष नियमों का पालन करना होगा।
सिर्फ 3 महीने चली बर्नियर की सरकार
बर्नियर फ्रांस के आधुनिक गणराज्य में सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले व्यक्ति बने हैं। फ्रांस में जुलाई में आम चुनाव हुए थे जिसमें किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। सितंबर में बर्नियर ने राष्ट्रपति मैक्रो से मिलकर सरकार बनाने की पेशकश की थी। जिसे राष्ट्रपति मैक्रो ने स्वीकार कर लिया था।
बर्नियर अल्पमत की सरकार चला रहे थे।
क्यों हुआ बर्नियर का विरोध
बर्नियर ने फ्रांस में सामाजिक सुरक्षा बजट को लेकर टैक्स बढ़ा दिया था। बर्नियर के इस फैसले का दक्षिण पंथी व वामपंथी दोनों पार्टियों ने विरोध किया था। दोनों ही पार्टियों ने टैक्स कटौती के लिए प्रदर्शन किए थे। जिसपर बर्नियर ने बिना वोटिंग कराये ही इन प्रस्ताव को पास करने का फैसला कर लिया था। जिसके कारण सदन के सदस्यों ने मिलकर बर्नियर की सरकार का विरोध करने का फैसला किया और बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ गए।
क्या होगी फ्रांस की स्थिति
फ्रांसीसी इतिहास में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया है। राष्ट्रपति मैक्रो द्वारा जून में अचानक चुनाव करवा दिए गए थे। किसी भी पक्ष को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था ।जिसके कारण अल्पमत की सरकार बनी थी। फ्रांस में अगली सरकार जुलाई तक ही बन पाएगी। आने वाले समय में फ्रांस में कार्य प्रणाली किस तरह से कार्य करती है यह चिंता का विषय होगा। फ्रांस की राजनीतिक स्थिति का प्रभाव विश्व पर पड़ने वाला है यह यूरोपीय संघ को अनिश्चितता की स्थिति में डालकर कमजोर कर सकता है।
ADMIN POST.
— Tommy Robinson 🇬🇧 (@TRobinsonNewEra) December 5, 2024
The French government has collapsed after Prime Minister Michel Barnier is ousted after losing a vote of no confidence.
Macron next.
Get Le Pen in.
The tide is turning in the West. pic.twitter.com/jZZiq632Zl
क्या कहना है विपक्ष का
विपक्ष का कहना है कि अब विश्वास प्रस्ताव के द्वारा सरकार को गिरकर ही अनुचित बजट से फ्रांस की जनता को बचाया जा सकता था। विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति माइक्रो को भी इस्तीफा दे देना चाहिए यही संकट का पूर्ण समाधान है
क्या होगा फ्रांस में आगे
हो सकता है प्रधानमंत्री बर्नियर 1 साल तक अपनी मंत्रिमंडल के समय नई सरकार बनने तक सरकार संभाले। विपक्ष के तेवरों को देखकर ऐसा होना थोड़ा मुश्किल लग रहा है। विपक्ष के अनुसार राष्ट्रपति मेट्रो के कारण यह संकट आया है उनका इस्तीफा ही इस संकट को दूर कर सकता है। उधर राष्ट्रपति मैक्रो अपने कार्यकाल को पूरा करने के इच्छुक है वह अपना पद नहीं छोड़ना चाहते।