Sunday, April 13, 2025
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“अगर जेल भी जाना पड़े, तो जाऊंगी” — ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों को दिया भरोसा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ममता बनर्जी का भावुक संदेश: “मैं आपके साथ हूं, आखिरी सांस तक”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में हजारों बर्खास्त शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से मुलाकात की। ये वे लोग हैं जिनकी नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद रद्द कर दी गईं। कोर्ट ने 2016 में स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) द्वारा की गई 25,753 नियुक्तियों को “दूषित और पक्षपातपूर्ण” करार देते हुए खारिज कर दिया।

इस फैसले से राज्यभर में हड़कंप मच गया, और ममता बनर्जी ने स्थिति को संभालने के लिए खुलकर बर्खास्त कर्मियों के साथ खड़े होने का ऐलान किया। स्टेडियम में उमड़े जनसैलाब ने यह जता दिया कि यह सिर्फ एक सरकारी आदेश नहीं था, बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका पर गहरी चोट थी।

“मैं योग्य उम्मीदवारों की नौकरी नहीं जाने दूंगी”

अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा, “जो लोग स्कूलों में अपनी नौकरियां गंवा बैठे हैं, मैं उनके साथ खड़ी हूं। उनकी गरिमा बहाल करना मेरी प्राथमिकता है।” उन्होंने आगे कहा, “अगर किसी को लगता है कि मुझे उनके साथ खड़े होने के लिए जेल भेजना चाहिए, तो मैं इसके लिए भी तैयार हूं।”

ममता ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालनकर्ता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठेगी। “हम एक ऐसी योजना बना रहे हैं, जिससे योग्य लोगों को सेवा से बाहर न होना पड़े या उनकी सेवा में कोई बाधा न आए,” उन्होंने जोड़ा।

भीड़ के बीच बेचैनी और उम्मीद

नेताजी इंडोर स्टेडियम के बाहर हालात नियंत्रण से बाहर हो गए। बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी आए जिनके पास आधिकारिक पास नहीं था, लेकिन वे मुख्यमंत्री का भाषण सुनने के लिए पहुंचे थे। पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

भीतर मौजूद शिक्षक और कर्मचारी आंसुओं के साथ अपने भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन ने उनमें एक नई उम्मीद जगा दी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और नियुक्तियों की निरस्तीकरण

3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 2016 में हुई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया। कोर्ट ने इसे “दूषित और पक्षपातपूर्ण प्रक्रिया” बताया। कोर्ट का यह आदेश कोलकाता हाई कोर्ट के पहले के फैसले की पुष्टि थी।

इसके चलते हजारों शिक्षक और गैर-शिक्षण स्टाफ, जो पिछले कई वर्षों से सेवा में थे, अचानक बेरोजगार हो गए। कई परिवारों के लिए यह फैसला एक आर्थिक आपदा बन गया।

भाजपा का हमला: सुवेंदु अधिकारी ने मांगा इस्तीफा

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता में प्रदर्शन करते हुए कहा, “ममता बनर्जी को इस्तीफा देना चाहिए। वह इस भ्रष्ट तंत्र की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी के भतीजे ने इस घोटाले में ₹700 करोड़ की रिश्वत ली है। इससे पहले भी भाजपा ने कोर्ट के फैसले के एक दिन बाद जोरदार रैली निकाली थी, जिसमें तृणमूल सरकार पर SSC भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए।

संकट की घड़ी में राजनीतिक और नैतिक परीक्षा

यह मुद्दा अब केवल एक कानूनी विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नैतिक और सामाजिक संकट बन गया है। ममता बनर्जी जहां पीड़ितों के साथ खड़ी होकर सहानुभूति और संवेदनशीलता दिखा रही हैं, वहीं भाजपा इसे सरकार की विफलता और भ्रष्टाचार का प्रतीक बता रही है।

एक ओर हजारों परिवार अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, तो दूसरी ओर राज्य सरकार विकल्पों की तलाश में जुटी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम है, लेकिन ममता बनर्जी का मानवीय रुख और राजनीतिक साहस इस पूरे घटनाक्रम को नया मोड़ दे सकता है।

अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस संकट को किस तरह से संभालती है और क्या पीड़ितों को फिर से न्याय और सम्मान मिलेगा। लेकिन फिलहाल, मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश है: “मैं उनके साथ हूं — चाहे इसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।”

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