सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (18 फरवरी) को यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया (जिन्हें ‘बीयर बाइसेप्स’ के नाम से जाना जाता है) को मुंबई, गुवाहाटी और जयपुर में दर्ज एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की। यह मामला ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो के एक एपिसोड में दिए गए उनके कथित अश्लील बयानों से जुड़ा हुआ है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने अल्लाहबादिया द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया और केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और असम सरकार को नोटिस जारी किया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ एपिसोड के आधार पर उनके खिलाफ कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी।
अंतरिम राहत की शर्तें
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अल्लाहबादिया को दी गई राहत निम्नलिखित शर्तों पर आधारित है:
- उन्हें जांच में सहयोग करना होगा और जब भी जांच अधिकारी बुलाएंगे, उपस्थित होना होगा।
- वह पूरी तरह से जांच में सहयोग करेंगे और पुलिस स्टेशन में किसी भी वकील को साथ नहीं ले जा सकेंगे।
- उन्हें अपना पासपोर्ट ठाणे पुलिस स्टेशन में जमा करना होगा।
- बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के वह देश से बाहर नहीं जा सकेंगे।
- वह या उनके सहयोगी अगले आदेश तक कोई नया शो प्रसारित नहीं करेंगे।
इसके अतिरिक्त, अदालत ने अल्लाहबादिया को महाराष्ट्र और असम की स्थानीय पुलिस से सुरक्षा की मांग करने की स्वतंत्रता दी, यदि उन्हें किसी प्रकार के खतरे का सामना करना पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त फटकार
हालांकि कोर्ट ने अंतरिम राहत दी, लेकिन सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अल्लाहबादिया की भाषा को “गंदी और विकृत मानसिकता” से प्रेरित बताते हुए कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने अल्लाहबादिया के वकील डॉ. अभिनव चंद्रचूड़ से पूछा, “क्या आप इस तरह की भाषा का बचाव कर रहे हैं?” चंद्रचूड़ ने स्वीकार किया कि वह व्यक्तिगत रूप से इस भाषा से घृणा करते हैं, लेकिन यह सवाल उठाया कि क्या यह वास्तव में एक आपराधिक अपराध बनता है।
उन्होंने ‘अपूर्व अरोड़ा’ मामले का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि सिर्फ अश्लील भाषा का उपयोग करना अपने आप में अश्लीलता नहीं होता। लेकिन न्यायमूर्ति सूर्यकांत इस तर्क से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा, “अगर यह अश्लीलता नहीं है, तो फिर अश्लीलता क्या है? क्या ‘अपूर्व अरोड़ा’ मामला किसी को कुछ भी कहने की छूट देता है?”
एक से अधिक एफआईआर का मुद्दा
जब चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हो रही हैं, तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि अभी तक केवल दो एफआईआर दर्ज हुई हैं—एक मुंबई में और दूसरी गुवाहाटी में। चंद्रचूड़ ने बताया कि उनके अनुसार एक और एफआईआर जयपुर में दर्ज हुई है और देशभर में शिकायतें की जा रही हैं। उन्होंने ‘टीटी एंटनी’ मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि एक ही अपराध के लिए कई एफआईआर नहीं हो सकतीं। लेकिन न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक एफआईआर अलग-अलग बयानों के संदर्भ में दर्ज की गई है।
अभद्र भाषा और समाज पर प्रभाव
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “उनके मन में बहुत गंदी बातें हैं, जो उन्होंने इस कार्यक्रम में उगली हैं। उन्होंने माता-पिता का भी अपमान किया है। अदालत उन्हें राहत क्यों दे?” उन्होंने आगे कहा, “आपकी भाषा ऐसी है कि माता-पिता शर्मिंदा होंगे, बहनें और बेटियां शर्मिंदा होंगी, पूरा समाज शर्मिंदा होगा। यह विकृत मानसिकता को दर्शाता है।”
तुलना नूपुर शर्मा मामले से
चंद्रचूड़ ने नूपुर शर्मा मामले का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने उन्हें राहत दी थी, जबकि उनके बयान अधिक गंभीर थे। उन्होंने यह भी बताया कि अल्लाहबादिया को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने टिप्पणी की, “अगर कोई सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए ऐसी बातें कह सकता है, तो अन्य लोग भी धमकियां देकर सस्ती लोकप्रियता हासिल कर सकते हैं।”
वकील की पुलिस स्टेशन में मौजूदगी पर सवाल
चंद्रचूड़ ने बताया कि जब उनका एक सहयोगी पुलिस स्टेशन में अल्लाहबादिया के साथ गया था, तो उसे भी भीड़ ने घेर लिया। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने नाराजगी जताते हुए पूछा, “वकील वहां क्यों गया? किस कानून के तहत? क्या सिर्फ पैसे देकर कोई भी वकील को ऐसी सेवाएं देने के लिए कह सकता है? यह वकीलों की पोशाक का भी अपमान है।”
परिवार को मिली धमकियां
चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि अल्लाहबादिया की मां, जो एक डॉक्टर हैं, को भी फर्जी मरीज बनकर धमकियां मिल रही हैं। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “उसने अपने माता-पिता के लिए कितनी शर्मिंदगी पैदा की है!”
विवादित वीडियो का सोशल मीडिया पर वायरल होना
अदालत ने यह भी कहा कि वे जानते हैं कि अल्लाहबादिया ने यह विवादास्पद बयान कहाँ से कॉपी किया था। हालांकि, अन्य देशों में इस तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए कड़े दिशा-निर्देश होते हैं, जैसे कि कंटेंट वार्निंग और डिस्क्लेमर। लेकिन ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो के इस एपिसोड में ऐसा कोई एहतियात नहीं बरता गया।
इस पर चंद्रचूड़ ने सफाई दी कि यह शो केवल वयस्कों के लिए था और इसे केवल भुगतान करने वाले सब्सक्राइबर्स ही देख सकते थे। विवाद तब हुआ जब शो के 45 मिनट के एपिसोड का 10-सेकंड का एक क्लिप सोशल मीडिया पर लीक हो गया। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्षों से जवाब तलब किया।
वीडियो के प्रसारण के बाद बढ़ा विवाद
गौरतलब है कि रणवीर अल्लाहबादिया के विवादित बयान ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो के एक एपिसोड का हिस्सा थे, जिसमें कॉमेडियन समय रैना के साथ यूट्यूबर आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह और अपूर्वा मखीजा भी शामिल थे। जब इस एपिसोड के वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुए, तो भारी जनाक्रोश पनपा। इसके बाद समय रैना ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए अपने यूट्यूब चैनल से ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ के सभी एपिसोड हटा दिए। अल्लाहबादिया ने भी माफी जारी कर स्वीकार किया कि उनके बयान अनुचित थे।
एफआईआर और न्यायिक प्रक्रिया
10 फरवरी को गुवाहाटी पुलिस ने पांच यूट्यूबर्स और कंटेंट क्रिएटर्स के खिलाफ “अश्लीलता फैलाने और यौन विषयों पर अश्लील चर्चा करने” के आरोप में एफआईआर दर्ज की। महाराष्ट्र साइबर विभाग और जयपुर पुलिस ने भी इस विवाद में मामले दर्ज किए हैं।
आगे की प्रक्रिया
14 फरवरी को, वकील चंद्रचूड़ ने इस याचिका का उल्लेख मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष किया, जिन्होंने बताया कि इस पर पहले ही सुनवाई की तारीख तय की जा चुकी थी। हालांकि चंद्रचूड़ ने कहा कि असम पुलिस द्वारा कड़ी कार्रवाई की आशंका है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।
गौरतलब है कि 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रणवीर अल्लाहबादिया को ‘नेशनल क्रिएटर्स अवार्ड’ में ‘डिसरप्टर ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार प्रदान किया था।