Wednesday, February 12, 2025
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Mahakumbh में अमिताभ बच्चन ने किया स्नान? ट्वीट देख कन्फ्यूज हुए फैन।

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर अपनी गहरी सोच और भारतीय परंपराओं के प्रति सम्मान को व्यक्त करते हुए एक्स पर गूढ़ संदेश साझा किया है। उन्होंने महाकुंभ के प्रथम स्नान के अवसर पर अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, “महाकुंभ स्नान भव:”।

उनका यह छोटा सा संदेश गहरे अर्थ और आध्यात्मिकता से भरा हुआ है, जिसे उनके प्रशंसकों और अनुयायियों ने बड़े चाव से लिया है। महाकुंभ, भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का सबसे बड़ा आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में आयोजित होता है। महाकुंभ का पहला स्नान विशेष महत्व रखता है, जिसे हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति और जीवन के पापों से मुक्ति का मार्ग माना जाता है।

पोस्ट में छिपा है गहरा संदेश

अमिताभ बच्चन के इस पोस्ट में इस स्नान की आध्यात्मिकता, पवित्रता और महत्व को सार्थक रूप से प्रकट किया गया है। उनके पोस्ट में गहरा संदेश छिपा है। उनका यह पोस्ट सोशल मीडिया पर इस समय चर्चा का व‍िषय बना हुआ है। उनके लाखों फॉलोअर्स ने पोस्ट को लाइक और शेयर किया है।

यूजर्स ने बांधे तारीफों के पुल

Mahakumbh 2025

एक यूजर ने लिखा, “आपका यह संदेश भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है।” अमिताभ बच्चन हमेशा से भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति अपनी आस्था और सम्मान के लिए जाने जाते हैं। चाहे वह कविताओं के माध्यम से हो या सोशल मीडिया पर उनके संदेश, उन्होंने बार-बार यह दिखाया है कि वे भारतीयता के सच्चे प्रतीक हैं। उनका यह संदेश न केवल महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि इसे आज की पीढ़ी के लिए और भी प्रासंगिक बनाता है।

सनातन धर्म के वैभव का प्रतीक है महाकुंभ

द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती तीर्थराज प्रयाग पहुंच गए हैं। प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचने पर शिष्यों और भक्तों ने उनका भव्य स्वागत किया। वहां से शंकराचार्य श्रीमनकामेश्वर महादेव मंदिर आए। मंत्रोच्चार के बीच उनका पूजन करके आरती उतारी गई।

शंकराचार्य ने कहा कि महाकुंभ सनातन धर्म के वैभव का प्रतीक है। संगम की रेती पर जनकल्याण के निमित्त संत यज्ञ और अनुष्ठान करते हैं। सनातन धर्म सबको अपनाने की सीख देता है, हम किसी को उपेक्षित नहीं करते। हम वसुधैव कुटुंबकम का मर्म आत्मसात करने वाले लोग हैं।

हमें अपने धर्म पर गर्व करने की जरूरत

उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने धर्म और संस्कारों के प्रति समर्पित रहना चाहिए, क्योंकि वही आधार है। धर्म और संस्कार से दूर रहने वाला व्यक्ति का अस्तित्व विहीन हो जाता है। हमें अपने धर्म पर गर्व करने के साथ बच्चों को उससे जोड़ना चाहिए। बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ बड़ों से संस्कार मिलना आवश्यक है। श्रीमनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी के नेतृत्व में शंकराचार्य का स्वागत किया गया।

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