Friday, January 31, 2025
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Deva Movie Review: शाहिद कपूर और पूजा हेगड़े की थ्रिलर: एक्शन, सस्पेंस और रोमांच का दमदार संगम

Deva Movie Review: Deva फिल्म बॉलीवुड में एक्शन और थ्रिलर का बेहतरीन मिश्रण साबित होती है, जिसमें शाहिद कपूर ने अपने किरदार के जरिए एक मजबूत छाप छोड़ी है। यह फिल्म न सिर्फ दर्शकों को रोमांचित करती है, बल्कि एक्शन और ड्रामा के बीच एक अच्छा संतुलन भी बनाती है। शाहिद कपूर इस फिल्म में एक पुलिस ऑफिसर ‘देव’ के किरदार में हैं, जो रहस्य और बदले की भावना में फंसा हुआ है।

शुरूआत: एक्शन और रहस्य से भरी कहानी

फिल्म की शुरुआत मुंबई से होती है, जहां देव (शाहिद कपूर) अपनी बाइक पर एक अंधेरे सुरंग में तेज़ी से जा रहा होता है। वह अपने सीनियर फारहान (प्रवेश राणा) से बात करता है, यह बताते हुए कि उसने एक मामले को हल कर लिया है। लेकिन उससे पहले कि वह खुशखबरी पूरी तरह से सुनाए, अचानक उसका संतुलन बिगड़ जाता है और एक भयंकर दुर्घटना होती है, जिसके कारण उसका सिर सुरंग की दीवार से टकराता है।

अस्पताल में देव को बेहोश और तारों से बंधे हुए दिखाया जाता है। उसकी हालत गंभीर है और उसके दिमाग की यादें मिक्स हो गई हैं। फारहान जब देव से मिलने आता है, तो उसे यह दुखद सच सामने आता है कि देव उसे पहचान नहीं पाता। यह घटना फिल्म के रहस्य को और गहरा कर देती है, और कहानी की दिशा बदल जाती है।

देव का अतीत और उसकी पहचान

फिल्म के फ्लैशबैक में हम देव के अतीत को देखते हैं, जब वह एक स्मार्ट, हॉटहेड और साहसी पुलिस ऑफिसर था। उसकी जिंदगी में ढेर सारे अच्छे और बुरे पल आते हैं, जैसे अपनी बहन की शादी में डांस करना और फारहान के साथ अपने मजबूत रिश्ते का पता चलता है। इस अतीत से हम समझ पाते हैं कि देव का वर्तमान स्थिति उसके अतीत के मुकाबले बहुत कमजोर और संघर्षपूर्ण है।

एक अन्य पुलिस अधिकारी, रोहन (पवैल गुलाटी), जो ईमानदार और न्यायप्रिय है, भी फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह एक सड़क पर यातायात की जांच कर रहा होता है, जब एक भ्रष्ट राजनेता, अतरे (अतुल श्रीवास्तव), पुलिस से बचने की कोशिश करता है। देव इस मौके को अपनी आक्रामकता दिखाने के लिए इस्तेमाल करता है और अतरे के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू करता है।

देव की बागी शख्सियत और उसकी खोज

देव कोई सामान्य हीरो नहीं है। वह बिना सोचे-समझे काम करता है, आदेशों का पालन नहीं करता और धूम्रपान करता है। वह अपनी जिंदगी में कई तरह की उलझनों में फंसा रहता है, जैसे उसकी पड़ोसी के साथ अफेयर। लेकिन, इसके बावजूद वह न्याय के प्रति अपने कर्तव्यों को कभी नहीं भूलता। उसकी सबसे बड़ी चुनौती है प्रभात जाधव, एक खतरनाक गैंगस्टर, जिसे वह पकड़ने के लिए जी-जान से लगा हुआ है।

कहानी में एक मोड़ तब आता है जब एक गलत ऑपरेशन के कारण कई पुलिस अफसर मारे जाते हैं, और देव के साथी रोहन का पिता भी इस घटना में घायल हो जाता है। इससे देव और उसकी टीम की खोज और भी तीव्र हो जाती है। लेकिन एक और हैरान करने वाली बात सामने आती है – पुलिस विभाग में एक गद्दार है, जो प्रभात जाधव को सूचनाएं दे रहा है और देव की योजनाओं को नाकाम कर रहा है।

डिया और देव का संघर्ष

डिया (पूजा हेगड़े), एक पत्रकार, देव की कठोरता और उसके तरीकों की आलोचना करती है। वह देव के तरीके को चुनौती देती है और उसकी सच्चाई को सामने लाती है। देव और डिया के बीच एक संघर्षपूर्ण संबंध बनता है, जो पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और गलतियों को उजागर करता है। हालांकि, डिया का किरदार पूरी फिल्म में सीमित रहता है और वह अपने पोटेंशियल तक नहीं पहुंच पाती।

रहस्य और क्लाइमेक्स

फिल्म का क्लाइमेक्स तब आता है जब देव और उसकी टीम आखिरकार प्रभात जाधव को पकड़ने में सफल होते हैं। लेकिन इस बार कुछ अलग होता है। प्रभात जाधव को पकड़ने के बाद अचानक स्थानीय लोग पुलिस के खिलाफ हिंसक हो जाते हैं, और स्थिति काफी तनावपूर्ण हो जाती है। प्रभात जाधव भागने में सफल होता है, लेकिन देव अपनी टीम के साथ उसका पीछा करता है। अंततः, देव एक सही शॉट मारता है, जो उसकी कड़ी मेहनत और निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाता है।

लेकिन, फिल्म में शांति जल्द ही खत्म हो जाती है। रोहन की वीरता के सम्मान में एक समारोह में, अचानक एक गोली उसे सीने में लग जाती है और वह मारा जाता है। यह दृश्य दर्शकों को झकझोर देता है और फिल्म की कथा को एक और मोड़ देता है।

शाहिद कपूर की अभिनय क्षमता

Deva में शाहिद कपूर का अभिनय कमाल का है। पहले हाफ में वह एक घमंडी, खतरनाक पुलिस अफसर के रूप में दिखते हैं, लेकिन दूसरे हाफ में उनका किरदार ज्यादा संजीदा और संवेदनशील हो जाता है। उनका बदलता हुआ रूप दर्शाता है कि वे एक बहुमुखी अभिनेता हैं।

फिल्म के अन्य कलाकार भी बेहतरीन हैं। पवैल गुलाटी का अभिनय विशेष रूप से प्रभावी है, जबकि प्रवेश राणा ने फारहान के किरदार में गंभीरता को उभारा है। पूजा हेगड़े को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता था, लेकिन उनका प्रदर्शन पर्याप्त है।

फिल्म का दृश्य और संगीत

Deva का विज़ुअल ऐस्थेटिक एक नियो-नॉयर थ्रिलर की तरह है, जिसमें मुंबई की गलियों का गहरा, स्याह चित्रण किया गया है। अमित रॉय की सिनेमैटोग्राफी और ए. श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग फिल्म को प्रभावी बनाती है। संगीत ने फिल्म के माहौल को और भी गहरा किया है, विशेष रूप से बैकग्राउंड स्कोर जो तनावपूर्ण दृश्यों में जान डालता है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, Deva एक प्रभावी एक्शन थ्रिलर है, जो एक साधारण बॉलीवुड मसाला फिल्म से कहीं अधिक है। फिल्म के पहले हाफ में कुछ सामान्य तत्व हैं, लेकिन दूसरे हाफ में यह फिल्म अपनी अलग पहचान बनाती है। शाहिद कपूर का अभिनय और फिल्म की गति दर्शकों को बांधे रखती है। यदि आप एक्शन और रहस्य के फैंस हैं, तो Deva निश्चित रूप से देखने लायक है।

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