दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के आसपास सोमवार सुबह-सुबह महसूस किए गए भूकंप के झटकों ने लोगों में दहशत पैदा कर दी है। सुबह करीब 5.36 बजे आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.0 मापी गई। हालांकि, जिस तरह के झटके दर्ज किए गए, उनका असर काफी तेज था।
दिल्ली-एनसीआर में महसूस किए गए इन भूकंप के झटकों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से सावधान रहने का भी आग्रह किया। पीएम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। सभी से शांत रहने और सुरक्षा सावधानियों का पालन करने और संभावित ऑफ्टरशॉक के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया जाता है। अधिकारी स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर दिल्ली में भूकंप की तीव्रता कम दर्ज किए जाने के बावजूद, इनका प्रभाव इतना तेज क्यों था? इस तरह के भूकंप के झटके पहले कब महसूस किए गए हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन आफ्टरशॉक्स को लेकर जनता को चेताया है, वह आखिर क्या होते हैं? एक बार भीषण भूकंप आने के 24-48 घंटे बाद एक के बाद कई बार झटके क्यों महसूस होते हैं?
दिल्ली में कम तीव्रता वाले भूकंप के बावजूद तेज झटके क्यों महसूस किए गए?
दिल्ली में भूकंप के बाद भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भूकंप के रिकॉर्ड रखने वाली संस्था- नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, झटकों की तीव्रता 4.0 मापी गई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतनी कम तीव्रता होने के बावजूद कंपन इतना तेज क्यों हुआ? इस पर एनसीएस के ही निदेशक ओपी मिश्रा ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि इसकी एक वजह यह रही कि भूकंप का केंद्र दिल्ली में ही पृथ्वी की सतह के करीब पांच किलोमीटर नीचे था, जिसकी वजह से धरती में कंपन का असर काफी तेज रहा।
इस तरह के शैलो (जमीन में 5 से 10 किलोमीटर की गहराई से आने वाले) भूकंप, ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। सतह से निकटता के कारण हल्के भूकंप आमतौर पर गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक तीव्र महसूस किए जाते हैं।
दिल्ली में पहले कब महसूस किए गए हैं इस तरह के भूकंप के झटके?
दिल्ली-एनसीआर में पहले भी इस तरह के भूकंप के झटके कई बार महसूस किए जा चुके हैं। दरअसल, दिल्ली-एनसीआर की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप के प्रति संवेदनशील बनाती है। यह क्षेत्र सीस्मिक जोन-IV में स्थित है। क्षेत्र में सक्रिय फॉल्ट लाइनों की उपस्थिति के कारण समय-समय पर हल्के भूकंप आते रहते हैं। यह क्षेत्र भूकंप के मामले में दूसरे सबसे खतरे वाले वर्ग में शामिल है। हालांकि, अब तक अधिकतर भूकंप के झटके मामूली रहे हैं और इनसे गंभीर नुकसान नहीं हुआ है।
पीएम मोदी ने जिन ऑफ्टरशॉक्स पर चेताया, वह क्या हैं?
भूकंप के बाद अक्सर कई झटके आते हैं, जो घंटों या कई दिनों तक जारी रहते हैं। ये झटके भूकंप के कारण हुई क्षति में और बढ़ोतरी करते हैं। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, झटके भूकंप की ही एक कड़ी होते हैं जो किसी फॉल्ट पर एक बड़े भूकंप के बाद आते हैं। झटके फाल्टलाइन (जहां चट्टानों के बीच छिद्र होता है) के पास आते हैं। हालांकि, झटके मुख्य भूकंप की तुलना में कमजोर होते हैं, लेकिन ये व्यापक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कई बार जब मुख्य भूकंप की तीव्रता ज्यादा होती है, तो उसके ऑफ्टरशॉक्स भी तेज रहते हैं और यह झटके राहत और बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं। कभी-कभी तो बचावकर्मी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। इन ऑफ्टरशॉक्स के आने की समयावधि तय नहीं होती। कई बार यह कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, तेज भूकंप की स्थिति में 24 से 48 घंटे के अंदर आने वाले ऑफ्टरशॉक्स सबसे खतरनाक माने जाते हैं।