कांग्रेस ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर एक नया विवाद उठाया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि यह कदम सोमवार को राज्यसभा की महत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय मंत्रियों जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति के कारण उठाया गया। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ इस अनुपस्थिति से नाराज थे और इसे सम्मान का उल्लंघन मानते हुए, उन्होंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
बैठक में अनुपस्थिति का कारण:
राज्यसभा के बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में जेपी नड्डा, जो कि राज्यसभा में नेता हैं, और किरेन रिजिजू, जो कि संसदीय कार्य मंत्री हैं, दोनों ही अनुपस्थित रहे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से सूचित नहीं किया गया कि ये मंत्री बैठक में नहीं आएंगे, जिसके परिणामस्वरूप वह नाराज हो गए।
वहीं, नड्डा ने अपनी अनुपस्थिति का कारण यह बताया कि वह महत्वपूर्ण संसदीय कार्यों में व्यस्त थे और उन्होंने उपराष्ट्रपति के कार्यालय को पहले ही इसकी सूचना दे दी थी।
जयराम रमेश का बयान:
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस घटना को गंभीर बताते हुए कहा, “कुछ बहुत गंभीर हुआ है जो नड्डा और रिजिजू की जानबूझकर अनुपस्थिति का कारण बन गया। बैठक के लिए इंतजार किया गया, लेकिन दोनों मंत्री नहीं आए।” रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ को सूचित नहीं किया गया और उनकी अनुपस्थिति से वह बेहद नाराज हो गए थे।
धनखड़ का इस्तीफा:
इस राजनीतिक विवाद के बीच, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार की रात अचानक इस्तीफा दे दिया। वह सोमवार को अपने अंतिम दिन के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता कर रहे थे और न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे।
धनखड़, जो अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद 2027 तक कार्यकाल पूरा करने वाले थे, के इस्तीफे से सभी राजनेता हैरान हैं। उनका इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए दिया गया है, हालांकि उन्होंने अपनी सेहत को लेकर किसी भी समस्या का संकेत नहीं दिया था।
राजनीतिक संदर्भ में घटनाएं:
धनखड़ के कार्यकाल के दौरान, विपक्ष के साथ उनके कई विवाद हुए, जिसमें उन्होंने कई बार विपक्ष को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ पद से हटाने का प्रस्ताव भी रखा था, जो कि भारतीय लोकतंत्र में पहली बार हुआ था। हालांकि, यह प्रस्ताव बाद में राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश ने खारिज कर दिया।
नड्डा और रिजिजू की प्रतिक्रिया:
नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि उनका बयान “जो मैं कहता हूं वही रिकॉर्ड में आएगा,” दरअसल उन विपक्षी सांसदों के लिए था जो लगातार हस्तक्षेप कर रहे थे, न कि उपराष्ट्रपति के लिए। उन्होंने इस संदर्भ में यह भी स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी का उद्देश्य उपराष्ट्रपति का अपमान करना नहीं था।
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद का परिदृश्य:
धनखड़ के इस्तीफे के बाद, भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। उनके इस्तीफे के बावजूद, विपक्षी नेताओं ने इसे उनके कार्यकाल की एक और विवादास्पद घटना के रूप में देखा। राजनीतिक रूप से, यह घटना भारतीय राजनीति में एक गहरी छाप छोड़ गई है और इसके परिणामस्वरूप राज्यसभा की कार्यवाही और विपक्ष की भूमिका पर नई बहस छिड़ गई है।
निष्कर्ष:
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा और राज्यसभा की बैठक में मंत्रीगण की अनुपस्थिति ने एक नई राजनीतिक हलचल मचाई है। जबकि सत्ता पक्ष इसे सामान्य संसदीय कार्यवाही का हिस्सा मानता है, विपक्ष इसे एक गंभीर राजनीतिक घटनाक्रम मानता है। अब यह देखना होगा कि अगले दिनों में इस मुद्दे पर और क्या विकास होते हैं और क्या इसमें किसी नए मोड़ की संभावना है।