बांग्लादेश ने बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में चीन के एयरफील्ड और एयर बेस को बनाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के द्वारा बताया जा रहा है बांग्लादेश के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के द्वारा चीन को बांग्लादेश में बुलाया गया है। पिछले महीने जब मोहम्मद यूनुस बीजिंग की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने चीनी अधिकारियों से बांग्लादेश में चीनी एयर बेस बनाने के लिए बात की थी। इस एयर बेस से भारत को भौगोलिक, राजनीतिक और राजनीतिक स्तर पर सचेत रहना होगा। इस कॉरिडोर के बनने से चीन फायदे में आ जाएगा हो सकता है यह चीन की भारत को घेरने की रणनीति का हिस्सा हो। क्योंकि चीन पाकिस्तान में श्रीलंका में म्यांमार में और अफ्रीका में अपने बंदरगाह और सैनिक सुविधा केंद्र बना चुका है अगर बांग्लादेश में भी चीन की सेना पहुंच जाती है तो यह भारत को चारों तरफ से घेरने की स्ट्रिंग पर्ल नीति हो सकती है। ऐसा करने के बाद चीन पूरी तरह से भारत को घेर लेगा। पूर्वोत्तर भारत वैसे ही भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र है यहां नागालैंड, मणिपुर, असम में अलगाववादी गतिविधियों है जिसके कारण अस्थिरता का भी खतरा हो सकता है।
क्यों हो सकता है लालमोनिरहाट में एयर बेस बनाना भारत के लिए खतरे की घंटी?
बांग्लादेश का लालमोनिरहाट जिला उत्तरी पश्चिमी बांग्लादेश में स्थित है। यह स्थान भारत के पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिलों के काफी पास है। इस हिस्से को सिलीगुड़ी गलियारा भी कहा जाता है इसी हिस्से को चिकन नेक का भी नाम दिया गया है।
क्या है चिकन नेक और क्या साजिश रच रहा है बांग्लादेश चीन के साथ मिलकर
सिलीगुड़ी गलियारा भारत का एक काफी संवेदनशील इलाका है। यह इलाका पश्चिम बंगाल के एक सकरे हिस्से में है और यह हिस्सा पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी राज्यों से जोड़ता है। चिकन नेक की सीमा नेपाल बांग्लादेश और भूटान से मिली हुई है। इस क्षेत्र में भारतीय सेना काफी चौकस है। अभी तक भारत के किसी पूर्वी पड़ोस में चीनी वायु सेवा का लड़ाकू विमान तैयार नहीं किया गया है लेकिन अब लगता है कि बांग्लादेश चीन के साथ मिलकर एयरवेज बनाना चाहता है। बांग्लादेश का यह प्रस्ताव चीन के लिए जहां खुशियों का सबब बन सकता है वहीं भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय बन सकता है। अगर चीन अपना एयरबेस बंगाल के समीप स्थित बांग्लादेश के लालमोनिरहाट बनता है तो इससे भारत का पूर्वोत्तर राज्य सुरक्षित हो सकता है भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल में भी चीन के वर्चस्व का खतरा हो सकता है। ऐसा इसलिए भी लग रहा है क्योंकि अभी हाल ही में मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के लिए चीनी सहायता प्राप्त की है।
बांग्लादेश कैसे मदद ले रहा है चीन की?
बांग्लादेश ने चीन की मदद मोंगला बंदरगाह के नवीनीकरण में ली है। चीन ने बांग्लादेश की इस परियोजना में 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद की है। चीन ने बांग्लादेश की चटगांव में औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का प्रस्ताव भी रखा है। चीन इस समय बांग्लादेश को टेक्नोलॉजिकल मदद के नाम पर 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर दे रहा है।
क्या बांग्लादेश और पाकिस्तान मिलकर समर्थन में उतर आए हैं चीन के और क्या विरोधी हो रहे हैं भारत के?
चीन और पाकिस्तान अभी तक तो एक दूसरे के साथ नहीं थे लेकिन अब बांग्लादेश और पाकिस्तान आपस में कई समझौतों पर साथ हो रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार 24 अप्रैल को बांग्लादेश जाएंगे। पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच 17 अप्रैल को बांग्लादेश जाएगी। बांग्लादेश और पाकिस्तान की यह 2012 के बाद पहली मंत्री स्तरीय यात्रा होगी। इससे पहले 2012 में बांग्लादेश और पाकिस्तान के मंत्रियों की एक दूसरे के देशों में यात्रा हुई थी। इन सारी यात्राओं को देखकर कहीं ना कहीं भारत के विरोधी आपस में एक हो रहे हैं ऐसा प्रतीत हो रहा है। जब तक शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थी बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध अच्छे थे जिसके कारण पाकिस्तान और बांग्लादेश एक दूसरे से दूरी बनाकर रहते थे। लेकिन जब से मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में शासन में आए हैं तब से स्थितियां भारत के लिए चिंतनीय होती नजर आ रही है।