Sunday, December 22, 2024
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चीन ने किया अमेरिका पर पलटवार रोका निर्यात

अभी हाल ही में में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बढ़ाने की बात की थी और अब चीन ने पलटवार करते हुए अपनी कई सारी वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगा दी है। इन वस्तुओं में कंप्यूटर चिप बनाने वाले उपकरण किस साथ साथ बहुत सारे खनिज भी शामिल है।

क्या कहना है चीन का

चीन का कहना है कि अमेरिका के सभी नियमों का उद्देश्य चीन को मुश्किलों में डालना है। चीन के वाणिज्य सचिव ने कहा कि की बदले हुए नियमों का अभिप्राय यही है कि अमेरिका चीन की टेक्नोलॉजी को कमजोर करना चाहता है। अमेरिका चाहता है कि चीन सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत न बन पाए। अमेरिका ने चीन को मेमोरी चिप्स निर्यात करने पर अंकुश लगाया है मेमोरी चिप्स इस समय उन्नत तकनीक ए आई के प्रयोग के लिए बहुत जरूरी है। इस तकनीक का प्रयोग डाटा कलेक्ट करने में किया जा रहा है। साथ ही साथ साथ अमेरिका ने चीन को दिए जाने वाले सेमीकंडक्टर के पार्ट्स पर रोक लगाकर चीन को खुद के सेमीकंडक्टर बनाने से रोक दिया है। अमेरिका के सांथ साथ ब्रिटेन भी अमेरिका में और अन्य पश्चिमी देशों में सेमीकंडक्टर के मैन्युफैक्चरिंग और इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहन दे रहा है। जिसके कारण चीन की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को कम काम काम मिल रहा है।

चीन ने किन चीजों के निर्यात पर अंकुश लगाया है चीन अमेरिका को गैलियम जर्मेनियम और एंटीमनी जैसे महत्वपूर्ण खनिज निर्यात करता है। ये कच्चे माल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक चिप और ऐसे ही बहुत सारी जरूरी चीजों के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा चीन अमेरिका को कई अन्य प्रकार के उपकरण भी निर्यात करता है‌। चीन ने उन जरूरी वस्तुओं के निर्यात पर भी रोक लगा दिया है। चीन ने ग्रेफाइट के निर्यात पर भी अंकुश लगा दिया है। चीन ने हीरे, सिंथेटिक सामग्रियों,  कठोर पदार्थ के निर्यात पर नियंत्रण कर लिया है। जिनका प्रयोग कटिंग टूल्स, डिस्क ब्रेक और प्रोटेक्टिंग लेयर बनाने में किया जाता है।

क्यों उठाया चीन ने यह कदम

अभी हाल ही में अमेरिका ने चीन पर कड़े निर्यात शुल्क लगाने का फैसला किया था। अमेरिका ने चीन को उन्नत सेमीकंडक्टर, उन्हें बनाने के उपकरण और सॉफ्टवेयर निर्यात करने पर रोक लगा दी थी या फिर ऐसी स्थितियां बना दी थी कि चीन के लिए निर्यात बहुत मुश्किल हो जाए। अमेरिका आगे भी चीन पर कड़े निर्यात शुल्क लगाने के विषय में सोच रहा है। अमेरिका ने कड़े निर्यात शुल्क लगाने के साथ-साथ चीन के लिए निर्यात नियमों को भी और मुश्किल कर दिया है। अमेरिका ने अभी हाल ही में 140 और कंपनियों को निर्यात शुल्क बढ़ाने वाली कंपनियों की लिस्ट में शामिल किया है। यह सभी कंपनियां चीन की है या फिर चीन में स्थित है।

चीन के प्रतिबंध से क्या होगा नुकसान अमेरिका का

उन्नत किस्म के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने के लिए इस समय सिलिकॉन की जगह अर्धचालक में गैलियम और जरमैनियम का प्रयोग किया जा रहा है अब जबकि चीन ने इन सामग्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया है तब अमेरिका के लिए 19 प्रौद्योगिकी अच्छी किस्म खनिज पदार्थ का मिलन और अच्छी क्वालिटी के इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के लिए कच्चा माल मिलना बहुत मुश्किल हो जाएगा

क्या महत्व है उन वस्तुओं का जिनका निर्यात चीनी कंपनी ने बंद किया है

चीनी निर्यात नियंत्रण के अंतर्गत आने वाले सामग्रियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत आवश्यक है जिनकी आपूर्ति न होने पर कंप्यूटर पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं और सुरक्षा उपकरणों के साथ-साथ आई का प्रयोग करने के लिए बनने वाली चिप्स का निर्माण होना मुश्किल है। गैलियम जिसका निर्यात चीन ने करना बंद कर दिया है के द्वारा मेमोरी चिप्स बनती है। मेमोरी चिप्स को अमेरिका चीन को निर्यात नहीं करना चाहता। उन्हें लगता है कि चीन का सुरक्षा नेटवर्क अमेरिका के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। इसके अतिरिक्त गैलियम का प्रयोग एलईडी, लेजर, मैग्नेट बनाने में किया जाता है। महत्वपूर्ण खनिज जर्मेनियम ऑप्टिकल फाइबर सोलर पैनल बनाने के काम आता है। गैलियम जर्मेनियम की न मिलने से अर्थव्यवस्था को 3 बिलीयन डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है चीन ने साल 2023 में ही धातु के निर्यात पर लाइसेंस लगाने की आवश्यकता जताई थी। इस साल चीन ने जर्मनी जर्मेनियम और गैलियम दोनों का ही निर्यात नहीं किया है।

क्या कर सकता है अमेरिका

चीन के अलावा जापान भी गैलियम का आयात करता है। स्क्रैप मेटल को रिसाइकल कर जापान गैलियम बनाता है। यूरोपीय संघ के साथ मिलकर अमेरिका खनिज सुरक्षा साझेदारी बना रहा है अफ्रीका की यात्रा भी इसी योजना का एक हिस्सा है अलास्का और टेनेसी में भी खनन कर जिंक से जर्मेनियम निकल गया है रीसाइक्लिंग कार्यक्रम के द्वारा भी स्क्रैप जर्मेनियम निकाला जा सकता है।

सारांश

पहले अमेरिका ने अब चीन ने अमेरिका पर पाबंदियां लगाई है। यह पाबंदियां दोनों देशों के बीच वैचारिक मतभेद को दर्शाती हैं। अगर यह पाबंदियां समय रहते नहीं हटती है तो विश्व को आर्थिक के साथ-साथ अन्य और नुकसानों के लिए भी तैयार रहना होगा। भले ही इन प्रतिबंधों से प्रत्यक्ष रूप से दोनों देशों को अधिक
नुकसान नहीं होगा क्योंकि दोनों देश सक्षम है लेकिन इन दोनों देशों में संबंध खराब होने से पूरे विश्व के अन्य देशों को भी नुकसान हो सकता है।

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