Tuesday, January 7, 2025
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छत्तीसगढ़: बीजापुर में नक्सली हमले में 8 डीआरजी जवान और ड्राइवर शहीद

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों द्वारा किए गए एक घातक हमले में 8 जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) जवान और एक ड्राइवर शहीद हो गए। यह हमला एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के जरिए किया गया, जो क्षेत्र में नक्सली खतरे की गंभीरता को उजागर करता है।

घटना: बास्‍टार-कुटरू मार्ग पर धमाका

यह दर्दनाक घटना बीजापुर जिले के बास्‍टार-कुटरू मार्ग पर हुई, जहां डीआरजी जवानों को ले जा रही गाड़ी को आईईडी से उड़ा दिया गया। सुरक्षा बलों का यह दल दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर जिलों की एक संयुक्त कार्रवाई से लौट रहा था।

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी ने पुष्टि की कि यह हमला पिछले दो वर्षों में नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर किया गया सबसे बड़ा हमला है। डीआरजी, राज्य पुलिस की एक विशेष इकाई, बस्तर क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे वे नक्सलियों के प्राथमिक लक्ष्य बन जाते हैं।

इतिहास: एक सतत चुनौती

यह हमला छत्तीसगढ़ में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच लगातार संघर्ष की कड़ी का हिस्सा है। इससे पहले, 26 अप्रैल 2023 को दंतेवाड़ा जिले में हुए एक ऐसे ही हमले में नक्सलियों ने आईईडी से सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाकर 10 पुलिसकर्मियों और एक ड्राइवर की जान ले ली थी।

इन हमलों की पुनरावृत्ति इस क्षेत्र में नक्सलवाद के खात्मे की चुनौती को रेखांकित करती है। हाल के वर्षों में ऑपरेशनों की तीव्रता और महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, नक्सली अभी भी गुरिल्ला रणनीति और घात लगाकर हमले करने में सक्षम हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया और प्रतिबद्धता

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे “कायरतापूर्ण” करार दिया। उन्होंने बस्तर को मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त बनाने के सरकार के वादे को दोहराते हुए कहा कि शहीद जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

“हमारी सरकार बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। ऐसे हिंसक कृत्य केवल हमारे संकल्प को मजबूत करते हैं,” उप मुख्यमंत्री ने कहा।

राज्य सरकार ने नक्सल विरोधी अभियानों को और तेज करने का संकल्प लिया है, साथ ही इन संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों की सुरक्षा और मनोबल सुनिश्चित करने के उपायों पर जोर दिया है।

चल रहे नक्सल विरोधी अभियान

बीजापुर में यह हमला बस्तर क्षेत्र में चल रहे एक बड़े ऑपरेशन के दौरान हुआ। यह अभियान शनिवार को दक्षिण अबूझमाड़ के घने जंगलों में, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा के पास, एक भीषण मुठभेड़ में बदल गया।

सोमवार सुबह तक, मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़कर पांच हो गई, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल थीं। इस मुठभेड़ में डीआरजी के हेड कांस्टेबल सन्नू करम ने भी अपनी जान गंवा दी।

इस ऑपरेशन में नारायणपुर, बस्तर, कोंडागांव और दंतेवाड़ा जिलों के डीआरजी दलों और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के जवान शामिल थे। सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को इस क्षेत्र में छिपे नक्सली अड्डों को ध्वस्त करने के उद्देश्य से अभियान शुरू किया था।

बस्तर क्षेत्र, जो अपने घने जंगलों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के लिए जाना जाता है, लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा है। सुरक्षा बल क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखने और विद्रोहियों के नेटवर्क को कमजोर करने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं।

पिछले वर्ष की समीक्षा: नक्सलियों पर प्रहार और चुनौतियां

पिछले साल, छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण सफलता मिली। 2023 में, राज्य में अलग-अलग मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों ने 219 नक्सलियों को मार गिराया। यह विद्रोह के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक बड़ी उपलब्धि थी।

इस साल, 3 जनवरी को, रायपुर संभाग के गरियाबंद जिले में हुई एक मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने एक नक्सली को मार गिराया। हालांकि, बीजापुर में हुई इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि नक्सलियों का खतरा अब भी बना हुआ है और इन क्षेत्रों में सुरक्षा बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण है।

आगे की राह: सामूहिक प्रयास की आवश्यकता

बीजापुर का यह हमला नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई की मानवीय लागत को उजागर करता है। यह यह भी दिखाता है कि इस समस्या के समाधान के लिए केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। एक व्यापक दृष्टिकोण, जिसमें विकास योजनाएं और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को संबोधित करने के प्रयास शामिल हों, की आवश्यकता है।

2026 तक नक्सलवाद उन्मूलन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता सराहनीय है, लेकिन इसके लिए निरंतर प्रयास, बेहतर खुफिया तंत्र और राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय की आवश्यकता होगी।

जैसे-जैसे देश इन बहादुर जवानों के बलिदान पर शोक व्यक्त करता है, उनका यह बलिदान छत्तीसगढ़ में शांति और स्थिरता लाने के लिए नए प्रयासों का आधार बनेगा। चुनौतियां कठिन हैं, लेकिन दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयास से बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त करने का सपना साकार हो सकता है।

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