Wednesday, January 8, 2025
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बजट 2025: आरएसएस से जुड़े संगठनों ने मांगी कर छूट, रोजगार वृद्धि और विनिर्माण पर जोर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट पेश करने के लिए तैयार हैं, और इस बार बजट को लेकर देशभर में उम्मीदें चरम पर हैं। आरएसएस से जुड़े संगठनों ने वित्त मंत्री के साथ पूर्व-बजट चर्चा में कर सुधारों, रोजगार सृजन, और व्यापार एवं विनिर्माण से जुड़ी महत्वपूर्ण समस्याओं को हल करने के लिए कई ठोस मांगें रखी हैं। मध्यम वर्ग को कर छूट की आस है और विभिन्न क्षेत्रों के लिए लक्षित हस्तक्षेप की मांग बढ़ रही है। ऐसे में बजट 2025 भारत के आर्थिक ढांचे को मजबूती देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

आयकर छूट सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की मांग

आरएसएस से जुड़े संगठनों ने आयकर छूट सीमा को 10 लाख रुपये तक बढ़ाने की प्रमुख मांग रखी है। यह प्रस्ताव मध्यम वर्ग को राहत देने के उद्देश्य से किया गया है, जो लंबे समय से आयकर स्लैब में बदलाव का इंतजार कर रहा है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), जो आरएसएस से जुड़ा श्रमिक संगठन है, ने इसे उपभोक्ता खर्च बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

बीएमएस ने कहा कि आयकर छूट सीमा बढ़ाने से न केवल वेतनभोगी वर्ग को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि यह घरेलू मांग को पुनर्जीवित करने में भी मददगार साबित होगा। इस मांग का उद्देश्य आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ाना और उपभोग के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

मनरेगा के कार्यदिवसों में वृद्धि

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन की जरूरत को देखते हुए बीएमएस ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कार्यदिवसों को 100 से बढ़ाकर 200 करने का प्रस्ताव दिया है। यह सुझाव विशेष रूप से उन ग्रामीण परिवारों के लिए है जो मौसमी बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।

बीएमएस प्रतिनिधि पवन कुमार के अनुसार, मनरेगा कार्यदिवसों को दोगुना करने से ग्रामीण परिवारों को स्थायी आय का साधन मिलेगा और कृषि संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता आएगी। यह प्रस्ताव मनरेगा की गरीबी उन्मूलन और आय असमानता को कम करने की भूमिका को रेखांकित करता है।

श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिए विशेष पैकेज

बीएमएस ने सरकार से कृषि, बागान, बीड़ी, और मत्स्य पालन जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिए लक्षित सहायता पैकेज की मांग की है। ये उद्योग, जो लाखों लोगों को रोजगार देते हैं, अक्सर कमजोर आर्थिक स्थिति में होते हैं और इन्हें संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन क्षेत्रों को समर्पित समर्थन देकर सरकार उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रख सकती है और उन पर निर्भर लोगों की आजीविका सुरक्षित कर सकती है।

इसके साथ ही, बीएमएस ने आठवें वेतन आयोग को लागू करने की भी मांग की है। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के कल्याण के लिए इसे एक आवश्यक कदम बताया। अन्य प्रमुख सिफारिशों में ग्रेच्युटी की गणना की अवधि को 15 दिनों से बढ़ाकर 30 दिन करना और पेंशनरों पर लगने वाले करों को समाप्त करना शामिल है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए सुझाव

लघु उद्योग भारती, जो छोटे और मध्यम उद्यमों का प्रतिनिधित्व करता है, ने जीएसटी रिफंड प्रक्रिया को तेज करने, छोटे जीएसटी फाइलिंग त्रुटियों के लिए माफी योजना लागू करने, और जीएसटी दरों में समायोजन की मांग की है।

कृषि क्षेत्र के लिए आग्रह

भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने कृषि क्षेत्र को राहत देने के लिए खेती से जुड़े इनपुट्स पर जीएसटी छूट की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान निधि में समय-समय पर वृद्धि और उर्वरक सब्सिडी को सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर करने की सिफारिश की है।

चीन के साथ व्यापार असंतुलन पर चिंता

स्वदेशी जागरण मंच, जो आरएसएस का आर्थिक प्रकोष्ठ है, ने चीन के साथ व्यापार असंतुलन को लेकर चिंता जताई है। मंच ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक विनिर्माण नीतियों और व्यापार उपायों की सिफारिश की है। इसमें टैरिफ और अन्य व्यापारिक प्रावधान शामिल हैं जो भारतीय उद्योगों को मजबूत करेंगे।

बजट 2025 को लेकर इन संगठनों की सिफारिशें देश के आर्थिक सुधार और रोजगार सृजन के लक्ष्य को रेखांकित करती हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन सुझावों में से कितनों को बजट में शामिल करती हैं और किस तरह से यह बजट विभिन्न वर्गों की उम्मीदों पर खरा उतरता है।

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