भारत में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) संरचना में बड़े बदलाव की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, रेट रेशनलाइजेशन पर मंत्रियों के समूह (GoM) ने 148 वस्तुओं पर जीएसटी दरों में महत्वपूर्ण बदलाव की सिफारिश की है। इनमें कुछ खास उत्पादों के लिए 35% की नई जीएसटी दर शामिल है।
तंबाकू और एरेटेड ड्रिंक्स पर फोकस
प्रस्तावों में सबसे अहम बदलाव तंबाकू और उससे संबंधित उत्पादों तथा एरेटेड वाटर (कार्बोनेटेड पेय) पर है। फिलहाल इन पर 28% जीएसटी लगती है, जिसे बढ़ाकर 35% करने की सिफारिश की गई है। यह कदम स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाले इन उत्पादों की खपत को हतोत्साहित करने और राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है।
परिधानों और लग्ज़री वस्तुओं पर नई दरें
GoM ने रेडीमेड कपड़ों के लिए भी एक नई श्रेणीबद्ध कर संरचना प्रस्तावित की है। सूत्रों के अनुसार:
- ₹1,500 तक के कपड़ों पर 5% जीएसटी लागू होगी।
- ₹1,500 से ₹10,000 के बीच के कपड़ों पर 18% जीएसटी लगेगी।
- वहीं, ₹10,000 से अधिक कीमत वाले प्रीमियम कपड़ों पर 28% जीएसटी प्रस्तावित है।
#GSTSentimeter | GoM proposes #GST tweaks for 148 items, a new 35% tax slab & higher tax on high-end garments, watches, cosmetics & more.
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18News) December 3, 2024
How will it impact the economy, GST architecture & your wallet? @ShereenBhan discusses the potential impact of the decision with Najib… pic.twitter.com/QICVZ3vZXR
इसके अलावा, महंगे घड़ियों और जूते जैसी लग्ज़री वस्तुओं पर भी कर की दरें बढ़ सकती हैं। ₹25,000 से अधिक कीमत वाली घड़ियां और ₹15,000 से ऊपर के जूते पर जीएसटी दर को 18% से बढ़ाकर 28% करने का सुझाव दिया गया है।
रोजमर्रा की जरूरतों पर जीएसटी में कटौती
दूसरी ओर, पैनल ने कुछ आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाने की सिफारिश की है। पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और नोटबुक्स, जिन पर वर्तमान में क्रमशः 18% और 12% जीएसटी लगती है, को घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है। यह आम जनता के लिए राहतभरा कदम हो सकता है।
जीएसटी दरों में प्रस्तावित बदलाव
नीचे प्रस्तावित दरों का सारांश दिया गया है:
श्रेणीवर्तमान जीएसटी दरप्रस्तावित जीएसटी दरतंबाकू28%35%एरेटेड वाटर28%35%घड़ियां (₹25,000 से ऊपर)18%28%जूते (₹15,000 से ऊपर)18%28%पैकेज्ड पानी18%5%नोटबुक्स12%5%
व्यापक प्रभाव
इन सिफारिशों से सरकार का दोहरा उद्देश्य स्पष्ट होता है। एक तरफ लग्ज़री और हानिकारक उत्पादों से अधिक राजस्व जुटाना है, तो दूसरी तरफ आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स घटाकर आम उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करना है।
यदि ये प्रस्ताव लागू होते हैं, तो इसका सीधा असर उद्योगों की मूल्य निर्धारण रणनीति और उपभोक्ता व्यवहार पर पड़ेगा। जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में इन दरों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।