दिल्ली में चुनावी हलचल के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। AAP विधायक मुकेश अहलावत ने आरोप लगाया है कि उन्हें BJP में शामिल होने के लिए 15 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर दिया गया था। इस आरोप के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
मुकेश अहलावत का सनसनीखेज दावा
दिल्ली सरकार में पहली बार मंत्री बने मुकेश अहलावत ने दावा किया कि उन्हें बीती रात एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसमें BJP से जुड़ने के लिए आर्थिक लाभ और ऊंचे पद की पेशकश की गई। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस नंबर को सार्वजनिक कर दिया और स्पष्ट किया कि वे हर हाल में अपनी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के प्रति वफादार रहेंगे।
“मैं मर जाऊंगा, मुझे टुकड़ों में काट दिया जाए, लेकिन मैं अरविंद केजरीवाल का साथ कभी नहीं छोड़ूंगा।” – मुकेश अहलावत
उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया कि बीजेपी सरकार बना रही है और अगर वे AAP छोड़कर बीजेपी में आते हैं तो उन्हें मंत्री पद और 15 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। परंतु उन्होंने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया।
AAP की प्रतिक्रिया: साजिश का आरोप
दिल्ली की मुख्यमंत्री अतिशी और आम आदमी पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर BJP पर जोरदार हमला बोला। AAP नेता संजय सिंह पहले ही BJP पर उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगा चुके हैं।
अतिशी ने कहा कि “अगर BJP को 50 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं, तो वे हमारे विधायकों से संपर्क क्यों कर रहे हैं? यह दिखाता है कि एग्जिट पोल एक साजिश है, जिससे हमारे विधायकों को तोड़ा जाए।”
अरविंद केजरीवाल ने भी इसे “फर्जी सर्वे” करार दिया और कहा कि इन सर्वे का असली उद्देश्य AAP विधायकों पर दबाव बनाना और उन्हें BJP में शामिल होने के लिए मजबूर करना है। उन्होंने दावा किया कि पार्टी के सभी विधायक मजबूती से AAP के साथ खड़े हैं और कोई भी बीजेपी के इस जाल में नहीं फंसेगा।
BJP का जवाब: हताशा की राजनीति
बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह AAP की निराशा और संभावित हार का नतीजा है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने संजय सिंह को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे अपने बयान वापस नहीं लेते तो उन्हें मानहानि का मुकदमा झेलना पड़ेगा।
क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली में सत्ता परिवर्तन की आहट के बीच इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। जहां AAP इसे अपने विधायकों को एकजुट रखने की रणनीति मान रही है, वहीं BJP इसे उनकी हार की बौखलाहट बता रही है।
निष्कर्ष
दिल्ली की सियासत इस वक्त बेहद गर्म है। चुनाव परिणाम आने से पहले जिस तरह के दावे और आरोप लगाए जा रहे हैं, वे दर्शाते हैं कि यह मुकाबला कांटे का है। अब देखना होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है और क्या AAP के विधायक BJP के इस कथित प्रलोभन के सामने टिक पाते हैं या नहीं।