भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के लिए समय तेजी से बीत रहा है। एक हफ्ते से भी कम समय में उन्हें चयनकर्ताओं को यह साबित करना होगा कि वे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए पूरी तरह तैयार हैं। लंबे समय तक चोटिल रहने के बाद हाल ही में प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में लौटे शमी पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की मेडिकल टीम कड़ी नजर रखे हुए है। बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफी में उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के बावजूद, उनकी वापसी का रास्ता अब भी फिटनेस और प्रदर्शन पर निर्भर है।
फिटनेस की कसौटी पर शमी
चोट से उबरने के बाद शमी की मौजूदा स्थिति का मूल्यांकन BCCI की मेडिकल टीम कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें न केवल अपना खेल स्तर सुधारना है, बल्कि वजन कम करके अपनी सहनशक्ति भी बढ़ानी होगी।
एच न्यूज के मुताबिक, एक BCCI सूत्र ने कहा, “शमी की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कब तक मेडिकल टीम पर अपनी निर्भरता खत्म कर सकते हैं। फिलहाल, हर स्पेल के बाद उन्हें उपचार की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि, उम्मीद है कि लगातार मैच खेलने से उनका वजन घटेगा और सहनशक्ति बेहतर होगी।”
सूत्र ने यह भी बताया कि SMAT (सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी) के शुरुआती मैच शमी के आकलन के लिए एक महत्वपूर्ण मानक होंगे। इन खेलों में उनका प्रदर्शन यह तय करेगा कि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीव्र दबाव के लिए कितने तैयार हैं।
विशेषज्ञों की निगरानी में विशेष ट्रेनिंग
शमी की फिटनेस पर नितिन पटेल, जो BCCI के खेल विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं, और नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) के ट्रेनर निशांत बोर्डोलोई द्वारा कड़ी नजर रखी जा रही है। यह टीम शमी की ट्रेनिंग और रिकवरी को इस तरह से निर्देशित कर रही है कि वह जल्द से जल्द अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर लौट सकें।
समय के साथ दौड़
शमी के लिए SMAT मैच 23 नवंबर से शुरू हुए, और उनके पास चयनकर्ताओं को प्रभावित करने के लिए केवल 10 दिन का समय है। हालांकि, चयनकर्ता उनके अनुभव और कौशल को देखते हुए उन्हें टीम में शामिल करने के इच्छुक हैं। लेकिन वे इस बात को लेकर भी सतर्क हैं कि कहीं जल्दबाजी में वापसी से उनकी चोट और गंभीर न हो जाए।
सूत्र ने आगे कहा, “टी20 मैचों में दो ओवर के छोटे-छोटे स्पेल्स टेस्ट क्रिकेट के लिए आदर्श तैयारी नहीं माने जा सकते। टेस्ट मैच में जिस स्तर की तीव्रता और सहनशक्ति की जरूरत होती है, वह पूरी तरह अलग होती है। अगर शमी SMAT में फिटनेस और फॉर्म साबित कर देते हैं, तो उन्हें टीम इंडिया के ट्रेनिंग कैंप में शामिल किया जा सकता है, लेकिन तत्काल खेलने का फैसला जोखिम भरा हो सकता है। चयनकर्ता फरवरी में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर बेहद सतर्क हैं और कोई भी गलती से बचना चाहते हैं।”
दिसंबर में संभावित वापसी
अगर शमी अपनी फिटनेस चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार कर लेते हैं, तो वह बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट, जो 14 दिसंबर से शुरू होगा, में टीम में वापसी कर सकते हैं। उनकी वापसी निश्चित रूप से भारतीय गेंदबाजी आक्रमण को और अधिक धारदार बनाएगी, खासकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ महत्वपूर्ण श्रृंखला में।
हालांकि, शमी की अनुपस्थिति में भी टीम ने पर्थ में हुए पहले टेस्ट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। कार्यवाहक कप्तान जसप्रीत बुमराह ने अपनी नेतृत्व क्षमता और गेंदबाजी कौशल का शानदार प्रदर्शन करते हुए 8 विकेट झटके। वहीं, मोहम्मद सिराज ने 5 और डेब्यूटेंट हर्षित राणा ने 4 विकेट लेकर टीम की जीत में अहम योगदान दिया। भारत ने इस मैच को 295 रनों के बड़े अंतर से अपने नाम किया।
दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा
BCCI का यह कठोर रुख यह दिखाता है कि वे खिलाड़ियों की फिटनेस और दीर्घकालिक स्थिरता को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते। अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर की व्यस्तता और तेज गेंदबाजों पर बढ़ते शारीरिक दबाव को देखते हुए, यह जरूरी है कि खिलाड़ियों की फिटनेस को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
शमी का अनुभव और कौशल भारतीय टीम के लिए अनमोल हैं, लेकिन प्रबंधन उन्हें पूरी तरह फिट और लंबे समय तक उपलब्ध देखना चाहता है। चयनकर्ताओं और कोचिंग स्टाफ का यह कदम टीम के दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुरूप है।
प्रशंसकों को अब शमी की वापसी का बेसब्री से इंतजार है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत वापसी नहीं है, बल्कि भारतीय क्रिकेट में फिटनेस और प्रदर्शन की उच्चतम मानकों को स्थापित करने का भी एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित हो सकता है।