भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने रविचंद्रन अश्विन के बीच सीरीज में संन्यास लेने के फैसले पर नाराजगी जताई है। गावस्कर ने इसे टीम के लिए परेशानी खड़ी करने वाला फैसला बताया और इसे महेंद्र सिंह धोनी के 2014-15 ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीच में संन्यास लेने से जोड़ा।
अश्विन का अचानक संन्यास और टीम पर असर
अश्विन, जो भारत के सबसे अनुभवी और सफल स्पिनरों में से एक हैं, ने गाबा टेस्ट के ड्रॉ होने के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। गावस्कर का मानना है कि इस तरह का फैसला टीम की रणनीति और संतुलन को बिगाड़ सकता है। उन्होंने कहा, “अश्विन सीरीज के अंत तक इंतजार कर सकते थे। इससे टीम की तैयारी पर असर नहीं पड़ता। धोनी ने भी 2014-15 में तीसरे टेस्ट के बाद अचानक संन्यास लिया था, जिससे टीम के पास खुद को संभालने का समय नहीं मिला था।”
टीम की योजना पर पड़ा असर
गावस्कर ने यह भी कहा कि चयन समिति हर दौरे के लिए खिलाड़ियों को एक खास रणनीति के तहत चुनती है। उन्होंने बताया कि सिडनी जैसी स्पिनर-अनुकूल पिच पर अश्विन की मौजूदगी बेहद अहम हो सकती थी। “सिडनी जैसी जगहों पर, जहां स्पिनरों को मदद मिलती है, अश्विन का होना टीम के लिए फायदेमंद होता। उन्होंने कहा, “सीरीज के बीच में इस तरह का फैसला लेना असामान्य है और यह टीम के संतुलन को प्रभावित करता है।”
क्या वॉशिंगटन सुंदर लेंगे जगह?
जब गावस्कर से पूछा गया कि अश्विन की जगह कौन लेगा, तो उन्होंने वॉशिंगटन सुंदर का नाम लिया। गावस्कर ने कहा, “शायद सुंदर को पहले से ही अश्विन का उत्तराधिकारी तैयार किया जा रहा है। रोहित शर्मा ने बताया कि सुंदर जल्द ही टीम में शामिल हो रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि चयनकर्ता उन्हें अगले स्पिनर के तौर पर देख रहे हैं।”
वहीं, वॉशिंगटन सुंदर ने अश्विन को एक भावुक संदेश के साथ विदाई दी। इंस्टाग्राम पर पोस्ट लिखते हुए सुंदर ने कहा, “अश्विन अन्ना, आप सिर्फ एक साथी नहीं, बल्कि प्रेरणा और मार्गदर्शक रहे हैं। आपके साथ खेलना और ड्रेसिंग रूम साझा करना सम्मान की बात रही है। मैंने आपके खेल और जीवन के हर पहलू से बहुत कुछ सीखा है।”
सीरीज के अहम मोड़ पर टीम के लिए चुनौती
अश्विन के संन्यास ने टीम इंडिया के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है, क्योंकि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 1-1 से बराबरी पर है। गाबा टेस्ट ड्रॉ होने के बाद अब भारत को मेलबर्न और सिडनी में अहम मुकाबले खेलने हैं। खासकर सिडनी की स्पिन-अनुकूल पिच पर अश्विन का अनुभव और उनकी गेंदबाजी टीम के लिए बड़ा हथियार हो सकता था।
अश्विन का शानदार करियर
अश्विन का करियर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। 400 से अधिक टेस्ट विकेट और बल्ले से अहम योगदान देने वाले इस खिलाड़ी ने भारत के लिए कई यादगार प्रदर्शन किए हैं। हालांकि, उनके संन्यास का समय सवालों के घेरे में है।
निष्कर्ष
रविचंद्रन अश्विन के अचानक संन्यास ने न केवल टीम को रणनीतिक तौर पर कमजोर किया है, बल्कि एक खालीपन भी छोड़ दिया है। वॉशिंगटन सुंदर जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए यह मौका खुद को साबित करने का है। हालांकि, टीम इंडिया के लिए यह एक बड़ी परीक्षा होगी कि वह इस चुनौती से कैसे निपटती है। अश्विन ने भले ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। अब वक्त है कि नई पीढ़ी इस जिम्मेदारी को उठाए और टीम को आगे ले जाए।